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सुखबीर बादल ने प्रधानमंत्री से व्यापक राहत पैकेज की मांग की, किसानों के हित में कदम उठाने को कहा

शिरोमणी अकाली दल के अध्यक्ष  सुखबीर सिंह बादल ने आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से कहा कि वह हस्तक्षेप...
सुखबीर बादल ने प्रधानमंत्री से व्यापक राहत पैकेज की मांग की, किसानों के हित में कदम उठाने को कहा

शिरोमणी अकाली दल के अध्यक्ष  सुखबीर सिंह बादल ने आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से कहा कि वह हस्तक्षेप कर वित्तमंत्रालय को निर्देश दें कि वह किसानों के साथ भेदभाव करने की बजाय एक व्यापक राहत पैकेज पेश करें जिससे पिछले साल केंद्र सरकार द्वारा घोषित ब्याज माफी पर खेती पर लोन ब्याज नही लगेगा।
 
शिरोमणी अकाली दल के अध्यक्ष ने कहा कि इस योजना के दायरे में किसान समुदाय को शामिल नही करने के फैसले से छह महीने के लिए उधार लेने वालों को चक्रवृद्धि ब्याज  और सरल ब्याज के बीच अंतर का पहले  भुगतान नही प्रदान करना है, जिसने यह साबित कर दिया है कि नीति निर्माता जमीनी हकीकत से पूरे तरह बेखबर हैं।
 
यह भारतीय लोकतंत्र के लिए दुखद दिन है अगर नीति बनाने वाले खेती क्षेत्र से बेखबर हो गए हैं कि उन्हे पता नही है कि किसानों को कोविड-19 महामारका खामियाजा भुगतना पड़ा है। उन्होने कहा कि हजारों टन फल और सब्जियां बस खेतों में सड़ गई हैं। जिन किसानों ने पोली तथा नेट हाउस में निवेश किया था, उन्हे भारी नुकसान उठाना पड़ा, क्योंकि उनकी उपज की महीनों तक मार्केटिंग नही हो सकी थी।
 
उन्होने कहा कि डेयरी फार्मिंग जैसी खेती और संबद्ध कार्यों से जुड़ें हर किसी ने पैसा गंवा दिया । यहां तक कि पंजाब में धान उत्पादकों को भी भारी नुकसान उठाना पड़ा क्योंकि उन्हे लेबर को दोगुना भुगतान करना पड़ा था। बादल ने कहा कि किसान फसलों के कर्जे को पूरी तरह से माफ करने और टै्रक्टर कर्जे पर ब्याज की  छूट के साथ साथ अन्य संबद्ध गतिविधियों के लिए कर्जें पर छूट की आशा कर रहे थे। ‘ यह बेहद चौंकाने वाली बात है कि ऐसा करने की बजाय केंद्र सरकार किस्तों में उनसे वसूले जा रहे चक्रवृद्धि ब्याज से भी उन्हे बचाने को तैयार नही है। वित्तमंत्रालय ने ‘अन्नदाता’ के साथ भद्दा मजाक किया है, जिसने महामारी के दौरान राष्ट्र को भोजन की आपूर्ति के लिए अपनी जान जोखिम में डाल दी थी।
 
उन्होंने कहा कि मैं प्रधानमंत्री से अपील करता हूं कि वे मंत्रालय को इस भेदभावपूर्ण स्पष्टीकरण को वापिस लेने का निर्देश दें और इसके बजाय बैंकों को दिशा-निर्देश दें जो उन किसानों को ठोस राहत प्रदान करतें हैं जो फसलों का कर्जा चुकाने और उन्हे कर्जों पर ब्याज का भुगतान करने में असमर्थ हैं, कहा कि इस घोषणा को किसान समुदाय पर दोहरी मार के रूप में देखा जा रहा है जो अभी भी केंद्रीय कृषि मंडीकरण कानूनों के दुष्प्रभावों से जूझ रहा है, जिसके कारण पंजाब में मक्का और कपास उगाने वाले किसानों को नुकसान हुआ था और वे देश भर के किसानों को नुकसान हुआ है। ‘‘अब हमें वित्तमंत्रालय द्वारा बताया जा रहा है कि महामारी के कारण किसानों को बिल्कूल भी नुकसान नही हुआ और उसे किसी भी वित्तीय राहत की आवश्यकता नही है यह किसान समुदाय के घावों पर नमक छिड़कने के समान है जो पहले से ही महामारी के दौरान खाद्य उत्पादों की बिक्री न होने के कारण जूझ रहा है।

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