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लेटरल एंट्री में आरक्षण का सिद्धांत सामाजिक न्याय का मामला: अश्विनी वैष्णव

रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने मंगलवार को कहा, नरेंद्र मोदी सरकार ने सामाजिक न्याय सुनिश्चित करने के...
लेटरल एंट्री में आरक्षण का सिद्धांत सामाजिक न्याय का मामला: अश्विनी वैष्णव

रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने मंगलवार को कहा, नरेंद्र मोदी सरकार ने सामाजिक न्याय सुनिश्चित करने के लिए लेटरल एंट्री में आरक्षण के सिद्धांत को लागू करने का फैसला किया है।

वैष्णव ने संवाददाताओं से कहा कि प्रधानमंत्री ने इस महत्वपूर्ण निर्णय के साथ एक बार फिर बीआर अंबेडकर की संविधान के प्रति प्रतिबद्धता को मजबूत किया है। सूचना एवं प्रसारण और इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय का भी प्रभार संभाल रहे वैष्णव ने कहा, "यूपीएससी ने लेटरल एंट्री के लिए बेहद पारदर्शी तरीका अपनाया। अब हमने उसमें भी आरक्षण के सिद्धांत को लागू करने का फैसला किया है। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने हमेशा सामाजिक न्याय के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दिखाई है।"

उन्होंने कहा, "हमने ओबीसी आयोग को संवैधानिक दर्जा दिया, जो पहले एक साधारण निकाय था। चाहे वह नीट हो, मेडिकल प्रवेश हो, सैनिक विद्यालय हो या नवोदय विद्यालय, हमने हर जगह आरक्षण के सिद्धांत को लागू किया है।" वैष्णव ने कहा कि मोदी सरकार ने अंबेडकर के पंचतीर्थ (पांच पवित्र स्थलों) को गौरवपूर्ण स्थान दिया है। आज यह बहुत गर्व की बात है कि भारत के राष्ट्रपति भी आदिवासी समुदाय से आते हैं।

मंत्री ने कहा कि मोदी सरकार के "संतृप्ति कार्यक्रम" के तहत एससी, एसटी और ओबीसी समुदायों को अधिकतम लाभ मिल रहा है। वैष्णव ने 2014 से पहले लेटरल एंट्री में आरक्षण का पालन नहीं करने के लिए पिछली यूपीए सरकार पर हमला किया। उन्होंने कहा, "वित्त सचिवों की भर्ती लेटरल एंट्री के जरिए की गई और आरक्षण के सिद्धांत को ध्यान में नहीं रखा गया।" वैष्णव ने पूछा, "डॉ मनमोहन सिंह जी, डॉ मोंटेक सिंह अहलूवालिया और उनसे पहले डॉ विजय केलकर जी भी लेटरल एंट्री के जरिए ही वित्त सचिव बने थे। क्या उस समय कांग्रेस ने आरक्षण के सिद्धांत का ध्यान रखा था?"

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