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'यह कानून संविधान की मूल भावना के खिलाफ़ है': दिल्ली सेवा बिल पर मंत्री सौरभ भारद्वाज

भारत सरकार ने शनिवार को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) अधिनियम, 2023 पर गजट अधिसूचना...
'यह कानून संविधान की मूल भावना के खिलाफ़ है': दिल्ली सेवा बिल पर मंत्री सौरभ भारद्वाज

भारत सरकार ने शनिवार को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) अधिनियम, 2023 पर गजट अधिसूचना जारी कर दी। राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद यह बिल कानून बन गया। अब इसपर दिल्ली सरकार के मंत्री सौरभ भारद्वाज ने कहा है कि यह कानून संविधान की मूल भावना के खिलाफ़ है।

सौरभ भारद्वाज ने कहा, "कई बार ऐसा हुआ है कि सरकार ने संविधान की मूल भावना के खिलाफ कानून पारित किया और सुप्रीम कोर्ट ने उसे पलट दिया। मेरा मानना है कि यह कानून (दिल्ली सेवा अधिनियम) संविधान की मूल भावना के भी खिलाफ है।"

उन्होंने आगे कहा, "संविधान कहता है कि सरकार जनता द्वारा, चुने हुए प्रतिनिधियों के माध्यम से चलेगी। ऐसे में ऊपर से नियुक्त उपराज्यपाल सरकार नहीं चला सकते। यह संभव नहीं।"

"जब ये मामला कोर्ट में आएगा तो कोर्ट इस कानून को पलट देगी और संविधान लागू कर देगी। तब तक अफरा-तफरी मची रहेगी। एलजी मनमाने ढंग से सरकार चलाएंगे और जनता का काम रोक देंगे...यह दिल्ली के लिए दुर्भाग्यपूर्ण होगा।''

<blockquote class="twitter-tweet"><p lang="en" dir="ltr"><a href="https://twitter.com/hashtag/WATCH?src=hash&amp;ref_src=twsrc%5Etfw">#WATCH</a> | Delhi: AAP Minister Saurabh Bhardwaj says, &quot;Many times it has happened that the govt passed a law against the basic spirit of the Constitution and the Supreme Court overturned it. I believe that this law (Delhi Services Act) is also against the basic spirit of the… <a href="https://t.co/ZMTfS2Arxt">pic.twitter.com/ZMTfS2Arxt</a></p>&mdash; ANI (@ANI) <a href="https://twitter.com/ANI/status/1690611716168810497?ref_src=twsrc%5Etfw">August 13, 2023</a></blockquote> <script async src="https://platform.twitter.com/widgets.js" charset="utf-8"></script>

गौरतलब है कि राष्ट्रपति से मंजूरी मिलने के बाद दिल्ली सेवा बिल अब कानून बन गया है। इससे पहले, सात अगस्त को संसद से दिल्ली सेवा विधेयक पारित हो गया था, जिसे लेकर लोकसभा और राज्यसभा में पहले पक्ष विपक्ष के बीच काफी बहस भी देखने को मिली।

बता दें कि शनिवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) अधिनियम, 2023 यानी "दिल्ली सेवा बिल" को मंजूरी दे दी। इसके बाद भारत सरकार द्वारा इसकी अधिसूचना जारी करते ही बिल अब कानून बन गया है।

<blockquote class="twitter-tweet"><p lang="en" dir="ltr">Government of India issues gazette notification on Government of National Capital Territory of Delhi (Amendment) Act, 2023. <a href="https://t.co/dNcUFQPQOh">pic.twitter.com/dNcUFQPQOh</a></p>&mdash; ANI (@ANI) <a href="https://twitter.com/ANI/status/1690260770083454976?ref_src=twsrc%5Etfw">August 12, 2023</a></blockquote> <script async src="https://platform.twitter.com/widgets.js" charset="utf-8"></script>

दिल्ली के अधिकारियों की ट्रांसफर और पोस्टिंग से जुड़े अध्यादेश की जगह लेने वाला विधेयक तीन अगस्त को लोकसभा से पास हो गया। इसके बाद लोकसभा से पारित होने के बाद यह बिल सात अगस्त को राज्यसभा में भी पास हो गया। बिल के पक्ष में 131 वोट डाले गए तो इसके विरोध में विपक्षी सासंदों की ओर से सिर्फ 102 वोट पड़े।

इससे पहले 11 मई को सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि दिल्ली सरकार के नौकरशाहों के स्थानांतरण और पदस्थापना सहित सेवाओं पर नियंत्रण दिल्ली की केजरीवाल सरकार के पास है। इसको पलटते हुए केंद्र सरकार ने 19 मई को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) अध्यादेश, 2023 लागू किया था।

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