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तीन तलाक बिल लोकसभा में पास, ओवैसी का संशोधन प्रस्ताव खारिज

लोकसभा में गुरुवार को तीन तलाक बिल पास हो गया। इसे द मुस्लिम वीमेन (प्रोटेक्शन ऑफ राइट्स ऑन मैरिज) बिल...
तीन तलाक बिल लोकसभा में पास, ओवैसी का संशोधन प्रस्ताव खारिज

लोकसभा में गुरुवार को तीन तलाक बिल पास हो गया। इसे द मुस्लिम वीमेन (प्रोटेक्शन ऑफ राइट्स ऑन मैरिज) बिल कहा गया है। एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी की ओर से मांग किए गए संशोधन प्रस्ताव को खारिज कर दिया गया। कांग्रेस, टीएमसी सहित कई पार्टियों ने बिल के विरोध में सदन से वॉकआउट किया। इससे पहले दिन भर सदन में बिल पर चर्चा हुई। कई पार्टियों ने बिल में पुरुष को तीन साल की सजा के प्रावधान और महिला को गुजारा भत्ता देने पर सवाल खड़े किए।

पैगंबर मोहम्मद भी तीन तलाक के खिलाफ थे: रविशंकर प्रसाद

चर्चा का जवाब देते हुए कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि पैगंबर मोहम्मद भी तीन तलाक के खिलाफ थे। एक बार उनके एक अनुयाई ने अपनी पत्नी को 3 तलाक दिया था, जिसके बाद वो काफी नाराज हो गए थे। अगर पैगंबर मोहम्मद ने इसको गलत माना है तो ओवैसी साहब को तीन तलाक की पीड़ित महिलाओं के साथ खड़ा होना चाहिए। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद 345 केस सामने आए हैं। क्या हमें इन महिलाओं को सड़क पर छोड़ देना चाहिए? मैं नरेंद्र मोदी की सरकार में मंत्री हूं, राजीव गांधी की सरकार में नहीं।

आजम खान की टिप्पणी पर विवाद

इस बिल पर चर्चा को दौरान कई नोक-झोंक भी देखने को मिले। समाजवादी पार्टी के सांसद आजम खान ने अध्यक्षता कर रहीं रमा देवी पर आपत्तिजनक टिप्पणी की। इस पर कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद समेत कई सांसदों ने आजम खान से माफी की मांग की। बीजेपी सदस्यों ने कहा कि आजम की बात में कुटिलता झलकती है। इस पर आजम खान ने कहा कि वह मेरी बहन हैं। आजम की टिप्पणी से चेयर पर मौजूद रमा देवी भी असहज हो गईं और इसके बाद लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला ने खुद चेयर संभाल ली। स्पीकर ओम बिड़ला ने आजम खान को नसीहत देते हुए कहा कि उन्हें अपनी भाषा का ध्यान रखना चाहिए। हंगामा बढ़ने पर आजम खान ने सदन से वॉकआउट किया। उन्होंने कहा कि ऐसे अपमानित होकर कौन बोलेगा।

इस दौरान रविशंकर प्रसाद ने कहा कि 19 साल के मेरे सदन के अनुभव में आज तक किसी भी सदस्य ने अध्यक्ष पद पर बैठे किसी सदस्य से, विशेषतौर पर महिला सदस्य के साथ इस तरह का बर्ताव नहीं किया है।

आजम के बचाव में उतरे अखिलेश

आजम खान के बचाव में उतरे सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बीजेपी पर उकसाने का आरोप लगाया। इस दौरान अखिलेश यादव ने भी असंसदीय शब्द का इस्तेमाल किया, जिस पर स्पीकर ओम बिड़ला ने उनसे माफी मांगने को कहा।

स्पीकर ने सदन में चेतावनी देते हुए कहा, 'सदन में भाषाई मर्यादा का रखें मान, कोई भी अपशब्द न बोलें। अगर सत्ता पक्ष में से किसी ने गलत शब्द बोला होगा तो उसे भी माफी मांगनी होगी। बैठें-बैठें कोई टिप्पणी न करें।'

मीनाक्षी लेखी और अखिलेश में नोक-झोंक

इससे पहले तीन तलाक पर बहस के दौरान  भाजपा सांसद मीनाक्षी लेखी और सपा सांसद अखिलेश यादव के बीच तीखी बहस भी देखने को मिली। जब मीनाक्षी लेखी ने यूपी में तीन तलाक के बढ़ते मामलों के लिए अखिलेश सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि आपकी सरकार में शरिया अदालतें चलती रहीं और उनसे ऐसे मामलों को बढ़ावा मिला। अगर अखिलेश ने शरिया कोर्ट बंद कर दिए होते तो महिलाओं के साथ अन्याय नहीं होता, किस तरह के मुख्यमंत्री हैं ये। इस पर अखिलेश ने अपनी बात कहने की इजाजत मांगी लेकिन चेयर की ओर से उन्हें बोलने नहीं दिया गया। इसे लेकर नोक-झोंक हुई। बीजेपी सांसद अनुराग ठाकुर ने इस पर कहा कि अखिलेश वरिष्ठ सदस्य हैं और उन्हें किसी महिला सांसद को बोलने से नहीं रोकना चाहिए बल्कि अपनी बारी का इंतजार करना चाहिए।

पीएम मोदी के सामने नेहरू जैसी ही दिक्कत

सांसद मीनाक्षी लेखी ने तीन तलाक के पक्ष में बोलते हुए कहा कि एक धार्मिक देश में धर्म निरपेक्ष राज्य बनाना ही नेहरू की तरह पीएम मोदी के लिए सबसे बड़ी दिक्कत है। उन्होंने कहा कि धार्मिक कानून गलत हैं और उस सोच को ठीक करना जरूरी है। लेखी ने कहा कि बाबा साहब भी हिन्दू कानूनों को रोकना चाहता थे और बाद में इसी वजह से उन्होंने कांग्रेस छोड़ी। उन्होंने कहा कि संविधान का कानून किसी एक कौम के लिए नहीं बल्कि भारत की पूरी जनता के लिए है। उन्होंने कहा कि तलाक का अधिकार सभी को है, हिन्दू महासभा की गलती पर भी बात करूंगी और मुस्लिमों की गलत प्रैक्टिस को भी बंद करने पर भी बात करूंगी। लेखी ने कहा कि पीएम मोदी हिन्दुस्तान के प्रधानमंत्री होने का हक अदा कर रहे हैं जो नेहरू के बाद राजीव गांधी ने नहीं अदा किया था। विपक्ष मानता है कि हिन्दू पीएम मोदी मुस्लिम महिलाओं का भाई नहीं हो सकता।

भाजपा ने जारी किया व्हिप

सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने अपने सांसदों को इसके लिए व्हिप जारी किया है और उनसे सदन में अपनी उपस्थिति सुनिश्चित करने को कहा है। वहीं कांग्रेस ने यूपीए के सभी सहयोगी दलों से कहा है कि तीन तलाक बिल का विरोध करें। एनडीए गठबंधन में भाजपा की साथी जनता दल (यू) भी तीन तलाक बिल का विरोध करेगी।

बिल में एक साथ तीन बार तलाक बोलकर तलाक दिए जाने (तलाक-ए-बिद्दत) को अपराध करार दिया गया है और साथ ही दोषी को कारावास की सजा सुनाए जाने का भी प्रावधान किया गया है। नरेंद्र मोदी सरकार ने मई में अपना दूसरा कार्यभार संभालने के बाद संसद के इस पहले सत्र में सबसे पहले विधेयक का मसौदा प्रस्तुत किया था। कई विपक्षी दलों ने इसका सख्त विरोध किया है मगर सरकार का यह कहना है कि यह विधेयक लैंगिक समानता और न्याय की दिशा में एक कदम है।

नए विधेयक में ये हुए थे बदलाव

अध्यादेश के आधार पर तैयार नए बिल के अनुसार, आरोपी को पुलिस जमानत नहीं दे सकेगी। मजिस्ट्रेट पीड़ित पत्नी का पक्ष सुनने के बाद वाजिब वजहों के आधार पर जमानत दे सकते हैं। उन्हें पति-पत्नी के बीच सुलह कराकर शादी बरकरार रखने का भी अधिकार होगा। साथ ही मुकदमे का फैसला होने तक बच्चा मां के संरक्षण में ही रहेगा। आरोपी को उसका भी गुजारा देना होगा। तीन तलाक का अपराध सिर्फ तभी संज्ञेय होगा जब पीड़ित पत्नी या उसके परिवार (मायके या ससुराल) के सदस्य एफआईआर दर्ज कराएं।

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