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केंद्रीय मंत्री अठावले ने चिराग पासवान को ‘‘दिल्ली में ही रहने’’ और बिहार जाने की अपनी योजना टालने की दी सलाह

केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले ने बृहस्पतिवार को कहा कि बिहार से उनके युवा कैबिनेट सहयोगी चिराग...
केंद्रीय मंत्री अठावले ने चिराग पासवान को ‘‘दिल्ली में ही रहने’’ और बिहार जाने की अपनी योजना टालने की दी सलाह

केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले ने बृहस्पतिवार को कहा कि बिहार से उनके युवा कैबिनेट सहयोगी चिराग पासवान को कुछ समय के लिए ‘‘दिल्ली में ही रहना चाहिए’’ और बिहार जाने की अपनी योजना टाल देनी चाहिए। रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (आरपीआई) प्रमुख ने यह टिप्पणी एक संवाददाता सम्मेलन के दौरान पासवान के बार-बार कहे जाने वाले बयान, "बिहार मुझे बुला रहा है" के जवाब में की।

इससे पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) में उत्साह फैल गया है और पार्टी ने हाजीपुर के सांसद को "अगला मुख्यमंत्री" बताते हुए पोस्टर लगाना शुरू कर दिया है। अठावले, जो पासवान की तरह दलित नेता हैं, ने कहा, "मुझे नहीं लगता कि चिराग को बिहार में अपना आधार बदलने पर विचार करना चाहिए। उनके लिए कुछ समय के लिए दिल्ली में रहना बेहतर होगा।"

उन्होंने इस अवसर पर पासवान को 2020 के विधानसभा चुनाव की भी याद दिलाई, जिसे उन्होंने भाजपा नीत राजग से अलग होकर लड़ा था और "अपने दिवंगत पिता रामविलास पासवान की सलाह को नजरअंदाज किया था।" अठावले ने कहा, "यह सच है कि चिराग ने चुनावों में प्रभाव डाला। जिस पार्टी का वह नेतृत्व कर रहे थे, उसे पर्याप्त संख्या में वोट मिले। लेकिन वह कोई सीट नहीं जीत सकी।"

महाराष्ट्र के नेता ने कहा कि हालांकि उनकी पार्टी की उपस्थिति अब पश्चिमी राज्य से कहीं आगे तक है, "हमें एहसास है कि हम अभी बिहार में एक ताकत नहीं हैं। यही कारण है कि हम यहां कुछ महीनों में होने वाले विधानसभा चुनावों में कोई सीट नहीं मांगेंगे। लेकिन हम एनडीए की जीत सुनिश्चित करने के लिए प्रयास करेंगे।"

केंद्रीय मंत्री ने बिहार सरकार से पुनः बोधगया मंदिर अधिनियम-1949 के प्रावधानों में संशोधन करने का आग्रह किया ताकि महाबोधि महाविहार मंदिर का प्रबंधन बौद्धों को सौंपा जा सके।

उन्होंने कहा, "पिछली बार जब मैं पटना गया था, तो मैंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात की थी और उनसे बोधगया में बौद्धों द्वारा महाबोधि महाविहार मंदिर पर नियंत्रण की मांग को लेकर चल रहे विरोध प्रदर्शन में हस्तक्षेप करने का आग्रह किया था। मैंने फिर से राज्य सरकार से बोधगया मंदिर अधिनियम-1949 के प्रावधानों में संशोधन करने का अनुरोध किया ताकि महाबोधि मंदिर का प्रबंधन बौद्धों को सौंपा जा सके। बौद्धों के लिए एक अलग ट्रस्ट बनाया जाना चाहिए और मंदिर की जमीन ट्रस्ट को सौंप दी जानी चाहिए।"

उन्होंने कहा कि बौद्ध लोग मांग कर रहे हैं कि अन्य धर्मों के लोगों को बोधगया मंदिर प्रबंधन समिति (बीटीएमसी) का हिस्सा नहीं होना चाहिए, जो विश्व प्रसिद्ध महाबोधि मंदिर के प्रबंधन की देखरेख करती है। बीटीएमसी में चार बौद्ध और चार हिंदू सदस्य हैं, जबकि गया जिला मजिस्ट्रेट इसके पदेन अध्यक्ष के रूप में कार्य करते हैं।

अठावले ने कहा, "मैं प्राधिकारियों से मांग करता हूं कि वे इस मुद्दे का समाधान करें तथा बोधगया मंदिर अधिनियम, 1949 को निरस्त करके मंदिर प्रबंधन समिति पर बौद्ध नियंत्रण सुनिश्चित करें।" ऑपरेशन सिंदूर के बारे में पूछे जाने पर अठावले ने कहा, "प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सशस्त्र बलों ने पाकिस्तान को करारा जवाब दिया, जब दुश्मन देश ने पहलगाम में हमारे नागरिकों को निशाना बनाया।"

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