दिल्ली ट्रैफिक पुलिस ने एक ऑटो रिक्शा का 10 हजार रुपये का चालान काट दिया था। कारण सिर्फ इतना सा था कि ऑटो के पीछे ‘आई लव केजरीवाल’ का स्टीकर लगा हुआ था। ऑटो चालक ने कोर्ट की शरण ली और एक याचिका लगा दी। इसके बाद दिल्ली हाई कोर्ट के जस्टिस नवीन चावला ने इस पर दिल्ली सरकार, दिल्ली पुलिस और चुनाव आयोग से जवाब मांगा था। ऑटो चालक ने याचिका में दावा किया है कि यह ‘राजनीतिक विद्वेष’ के तहत की गई कार्रवाई थी।
आचार संहिता का दिया था तर्क
दिल्ली सरकार के वकील और पुलिस ने अदालत को बताया कि 10,000 रुपये का चालान क्यों काटा गया, इसकी जांच करने के लिए उन्हें कुछ समय दिया जाए। इसके बाद वे वस्तुस्थिति की रिपोर्ट अदालत में पेश करेंगे। जबकि चुनाव आयोग के वकील का कहना है कि यह कार्रवाई संभवत: आचार संहिता के उल्लंघन के लिए की गई थी। आचार संहिता के दौरान राजनीतिक विज्ञापन प्रतिबंधित होते हैं।
ऑटो चालक के वकील ने चुनाव आयोग के इस तर्क को सिरे से खारिज कर दिया है। वकील का कहना है कि सबसे पहले तो यह राजनीतिक विज्ञापन नहीं है। और यदि ऐसा है भी तो भी इसे प्रतिबंधित नहीं किया जा सकता क्योंकि इस स्टीकर का खर्च याचिकाकर्ता ने दिया है न कि किसी राजनीतिक दल ने। वकील ने कहा कि आचार संहिता में किसी व्यक्ति के निजी खर्च की बात नहीं है।
वकील ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि 2018 में दिल्ली सरकार द्वारा जारी किए गए दिशा-निर्देशों के तहत, ऑटो सहित सार्वजनिक सेवा वाहनों के पीछे, दाएं और बाएं तरफ राजनीतिक विज्ञापनों की अनुमति दी गई थी।
अगली सुनवाई 3 मार्च को
सभी पक्षों की संक्षिप्त दलीलें सुनने के बाद, अदालत ने 3 मार्च को सुनवाई की अगली तारीख से पहले सभी को अपना जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं।
याचिका के अनुसार ऑटो चालक ने अपने ऑटो पर ‘आई लव केजरीवाल’ और ‘सिर्फ केजरीवाल’ के स्टीकर लगाए हुए थे। ऑटो वाले का कहना है कि किसी भी सरकारी विभाग द्वारा इस तरह के स्टीकर न लगाने से संबंधित कोई भी अग्रिम सूचना के बिना यह कार्रवाई की गई।