जबकि उत्तराखंड के कांग्रेसी नेताओं के बीच करीब एक साल से टकराव चल रहा था। प्रभारी होते हुए भी अंबिका इस मसले पर कुछ नहीं कर पाईं और यही कहती रहीं कि कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी लोगों से नहीं मिलते हैं। जबकि प्रभारी के तौर पर अंबिका भी लोगों से नहीं मिलतीं। यहां तक कि मीडियाकर्मियों से भी बात करने से कतराती हैं। अब सवाल उठ रहा है कि सोनी को पार्टी ने उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश का प्रभारी बनाकर पार्टी का ही बेड़ा गर्क करवा दिया।
अंबिका ने किसका किया नुकसान
कांग्रेस महासचिव अंबिका सोनी उत्तराखंड में कांग्रेसियों की बीच पड़ी फूट को भांप नहीं पाईं और राज्य में कांग्रेस की सरकार खतरे में पड़ गई।

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