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हिमंत बिस्व सरमा: कभी राहुल के थे खास सिपहसालार, एक झटके में टूटा रिश्ता, अब संभालेंगे असम की कमान

हिमंत बिस्वा सरमा असम के नये मुख्यमंत्री होंगे। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के तीन सदस्यीय केंद्रीय...
हिमंत बिस्व सरमा: कभी राहुल के थे खास सिपहसालार, एक झटके में टूटा रिश्ता, अब संभालेंगे असम की कमान

हिमंत बिस्वा सरमा असम के नये मुख्यमंत्री होंगे। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के तीन सदस्यीय केंद्रीय पर्यवेक्षकों की मौजूदगी में रविवार को यहां नवनिर्वाचित विधायकों की बैठक में यह निर्णय लिया गया।

सरमा ने 1996 में अपना राजनीतिक कैरियर शुरू किया था और पहली बार 2001 में जालुकबाड़ी विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में असम गण परिषद के नेता भृगु फुकन को पराजित किया था। इसके बाद 2006, 2011 और 2016 के विधानसभा चुनाव में इसी सीट पर अपनी जीत का सिलसिला बनाये रखा। इस बार 2021 का चुनाव भी यहीं से लड़ा और छठवीं बार जीत हासिल की।

उन्होंने मंत्री के रूप में असम शिक्षा, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण, कृषि, योजना और विकास, पीडब्ल्यूडी और वित्त जैसे महत्वपूर्ण विभागों का दायित्व संभाला है।

हिमंत बिस्व सरमा का जन्म असम के जोराहाट में 01 फरवरी 1969 में हुआ था। सियासत में उतरनेसे पहले वे कॉटन कॉलेज यूनियन सोसाइटी के महासचिव थे। साल 1996 से 2001 तक वे गौहती उच्च न्यायालय में भी लॉ प्रैक्टिस की थी। सरमा को खेलों में विशेष रूचि है। वर्ष 2017 में उन्हें भारत के बैडमिंटन एसोसिएशन के अध्यक्ष के रूप में निर्वाचित किया गया था। वह असम बैडमिंटन एसोसिएशन के अध्यक्ष भी रह चुके हैं। जून 2016 में उन्हें असम क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष नियुक्त किया गया था। साल 2002 से साल 2016 तक सेवा करने वाले एसोसिएशन के सबसे लंबे वक्त तक सेवा देने वाले उपाध्यक्ष भी रह चुके हैं।

कांग्रेस पार्टी से की थी सियासी सफर की शुरुआत

जोरहाट में पैदा हुए हेमंत बिस्‍व शर्मा ने कांग्रेस के साथ अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की। साल 2001 से 2015 तक जालुकबारी विधानसभा क्षेत्र में उन्होंने कांग्रेस का दबदबा बरकरार रखा। 15 साल तक वे इस सीट से विधायक रह चुके हैं। साल 2011 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की जीत में उन्होंने बड़ी भूमिका निभाई थी। इसके बावजूद कांग्रेस से उन्हें तवज्जो नहीं मिली। फिर वे बीजेपी में शामिल हो गए। साल 2016 असम में पहली बार बीजेपी की सरकार बनी
इस कामयाबी के पीछे सीएम सर्बानंद सोनोवाल के अलावा हेमंत बिस्वा सरमा की भी बड़ी भूमिका थी।

इसलिए कांग्रेस से हुआ मोहभंग

जब हिमंत कांग्रेस में थे, और चुनाव से पहले उन्होंने कई बार राहुल गांधी से मिलने की कोशिश की,मगर उन्हें हर बार राहुल से मिलने से रोका गया। इसके बाद वे नाराज होकर बीजेपी में शामिल हो गए। कांग्रेस छोड़ने के बाद उन्होंने कहा था कि मैंने राहुल से 8-9 बार बात करने का प्रयास किया। लेकिन उन्होंने मेरी बात सुनने से ज्यादा अपने कुत्तों के साथ खेलना बेहतर समझा। अपने आसपास मौजूद लोगों की बात सुनने से ज्यादा वे कुत्तों के साथ खेलने में बिजी रहते हैं। वहीं तत्कालीन बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने उनकी एक कॉल पर उनको मिलने के लिए वक्त दे दिया था। बीजेपी में हिमंत की एंट्री के साथ ही असम में पार्टी को दो मजबूत नेता मिले। एक सर्बानंद सोनोवाल, दूसरे हेमंत बिस्वा। दोनों नेताओं ने मिलकर असम में बीजेपी को मजबूत किया।

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