झारखण्ड में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव दलीय आधार पर होंगे! यह सवाल राजनीतिक गलियारे में तेजी से पसरने लगा है। कारण यह है कि राज्य में सत्ताधारी दल झारखण्ड मुक्ति मोर्चा ने ही इसकी पैरवी कर दी है।
झामुमो के महासचिव सह प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि झामुमो दलीय आधार पर पंचायत चुनाव का पक्षधर है। सरकार को इस पर इसके स्टेक होल्डर्स के साथ विमर्श विमर्श कर निर्णय करना चाहिए। यह स्थानीय निकाय का चुनाव है इसमें राजनीतिक दलों के कार्यकर्ता और छोटे-छोटे संगठनों के लोग चुनाव लड़ते हैं। ऐसे में इन लोगों की राय आवश्यक है। पार्टी और सरकार से जुड़ी नीतियों पर सुप्रियो ही बोलते रहे हैं, ऐसे में उनके वक्तव्य को गंभीरता से लिया जा रहा है। बिहार में भी जल्द पंचायत चुनाव होने हैं वहां भी सत्ताधारी पार्टी भाजपा ने दलीय आधार पंचायत चुनाव की मांग की है। दलीय आधार चुनाव होने पर जाहिर है भाजपा या वामपंथी पार्टियों की तरह कैडर आधारित पार्टियों को फायदा मिलेगा। क्योंकि अनेक दलों का निचले स्तर पर सुदृढ़ संगठन नहीं है। जानकार बताते हैं कि राजनीतिक दलों के साथ दूसरा संकट भी है। निचले स्तर के चुनाव में जाति विशेष के किसी एक उम्मीदवार को समर्थन करने का मतलब उस जाति के दूसरे तमाम उम्मीदवार विरोधी हो जायेंगे। विधानसभा या लोकसभा चुनाव में इसका बड़ा नुकसान हो सकता है।
जहां तक झाखण्ड का सवाल है यहां पहली बार 2018 में शहरी निकायों का चुनाव दलीय आधार पर हुआ। मेयर, डिप्टी मेयर या नगर परिषद व नगर पंचायत के अध्यक्ष उपाध्यक्ष दलीय आधार पर लड़े थे। कोरोना काल और राज्य निर्वाचन आयुक्त के न होने के कारण झारखण्ड में पंचायती निकायों के चुने हुए सदस्यों का कार्यकाल बीते जनवरी माह में समाप्त हो गया। उसके बाद सरकार ने जन प्रतिनिधियों की ही कमेटी बनाकर तदर्थ व्यवस्था कायम की है। पिछले सप्ताह ही राज्य निर्वाचन आयुक्त के पद पर पूर्व मुख्य सचिव डीके तिवारी की नियुक्ति कर दी गई है। कोरोना की रफ्तार भी धीमी पड़ती जा रही है। राज्य निर्वाचन आयुक्त का कार्यालय भी जल्द पंचायत चुनाव कराना चाहता है। मगर सीटों का आरक्षण, मतदाता सूची का विखंडन आदि प्रक्रिया को देखते हुए चुनाव में पांच-छह माह लग सकते हैं। वैसे निर्वाचन आयोग ने चुनाव को लेकर पंचायतों के आरक्षण, परिसीमन, मतदाता सूची के विखंडन का काम शुरू कर दिया है। इधर भाजपा के एक प्रतिनिधिमंडल ने भी राज्य निर्वाचन आयुक्त से मुलाकात कर पंचायत चुनाव व 14 शहरी निकायों का चुनाव जल्द कराने की मांग की है।
झामुमो ने दलीय आधार पर पंचायत चुनाव की वकालत जरूर कर दी है मगर अभी तक चुनाव के पास इस तरह का कोई प्रस्ताव नहीं आया है। पंचायत राज निदेशक आदित्य रंजन के अनुसार अभी दलीय आधार पर पंचायत चुनाव को लेकर कोई प्रस्ताव नहीं तैयार हुआ है। प्रस्ताव ग्रामीण विकास विभाग को तैयार करना होगा और कैबिनेट से मंजूरी के बाद आगे की प्रक्रिया होगी। इसके पहले राजनीति दलों से विमर्श भी जरूरी है। ऐसे में लगता है अभी झारखण्ड में दलीय स्तर पर पंचायत चुनाव दूर की कौड़ी है।