केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान द्वारा सात लंबित विधेयकों को राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए भेजने के फैसले पर मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने बुधवार को कड़ी आपत्ति जाहिर की।
उच्चतम न्यायालय केरल सरकार की उस याचिका पर सुनवाई कर रहा है जिसमें राज्यपाल द्वारा विधेयकों को मंजूरी देने में अनावश्यक देरी का हवाला दिया गया था। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्यपाल के इस फैसले पर यह संदेह होता है कि वह उच्चतम न्यायालय के फैसले का सम्मान करते हैं या नहीं ।
मामले पर पूछे गए एक सवाल के जवाब में मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार की याचिका पर विचार करते हुए उच्चतमन न्यायालय ने अपने फैसले में पंजाब के एक समान मामले का संदर्भ दिया, जिसमें अदालत ने कहा था कि राज्यपाल किसी भी विधेयक को बिना किसी कार्रवाई के अपने पास लंबित नहीं रख सकते हैं।
मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया कि खान की प्रतिक्रिया उच्चतम न्यायालय की टिप्पणी पर उनकी नाखुशी को दर्शाती है।
विजयन ने कहा, ”इस प्रकार का संदेह होना लाजमी है कि राज्यपाल उच्चतम न्यायालय के फैसले का सम्मान करते हैं या नहीं।” उन्होंने कहा कि वे इस मामले पर ज्यादा कुछ नहीं कहेंगे क्योंकि मामला अदालत में लंबित है।
खान ने मंगलवार को उन आठ लंबित विधेयकों में से एक को मंजूरी दी थी, जिन्हें कुछ वक्त पहले राज्य विधानसभा में पेश किया गया था।
राजभवन ने मंगलवार को कहा, ”राज्यपाल ने महत्वपूर्ण जन स्वास्थ्य विधेयक को अपनी मंजूरी प्रदान कर दी जबकि सात विधेयकों को राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए भेजा गया है, जिसमें विवादास्पद विश्वविद्यालय संशोधन विधेयक भी शामिल है।”