देश में जातिगत जनगणना को लेकर विमर्श जारी है। विपक्षी पार्टियां लगातार जाति आधारित जनगणना की पैरवी कर रही हैं। इस बीच राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने भी बड़ा बयान दिया है।
राजद प्रमुख ने ट्वीट किया, "अगर 2021 जनगणना में जातियों की गणना नहीं होगी तो बिहार के अलावा देश के सभी पिछड़े-अतिपिछड़ों के साथ दलित और अल्पसंख्यक भी गणना का बहिष्कार कर सकते है।"
उन्होंने आगे कहा कि जनगणना के जिन आँकड़ों से देश की बहुसंख्यक आबादी का भला नहीं होता हो तो फिर जानवरों की गणना वाले आँकड़ों का क्या हम अचार डालेंगे?
बता दें कि उत्तर प्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले जातिगत जनगणना को लेकर लगातार आवाज उठ रही है। विपक्षी पार्टियां लगातार इसकी मांग उठा रही हैं। एनडीए के सहयोगी दल जेडीयू भी इसके पक्ष में है। इसे लेकर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने प्रधानमंत्री मोदी से मिलने का वक्त भी मांगा है। हालांकि भाजपा की ओर से अभी तक इसमें साफ इरादा जाहिर नहीं किया गया। हालांकि भाजपा के के सांसद इसके समर्थन में हैं। इसी क्रम में एक भाजपा सांसद ने मंगलवार को लोकसभा में कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि देश में सबसे अधिक समय तक शासन करने वाली कांग्रेस पार्टी की सरकारों के समय हर राज्य में पशुओं की भी गिनती की गई लेकिन पिछड़ा वर्ग के समुदायों की गिनती नहीं की गई क्योंकि उसे इनकी कोई चिंता ही नहीं थी।
निचले सदन में ‘संविधान (127वां संशोधन) विधेयक, 2021’ पर चर्चा में हिस्सा लेते हुए सांसद संघमित्रा मौर्य ने कहा कि देश में सबसे ज्यादा वक्त तक कांग्रेस सत्ता में रही और उनके समय हर राज्य में जिलावार पशुओं की भी गिनती की गई लेकिन पिछड़े वर्गों की गिनती नहीं हुई।
उन्होंने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा, ‘‘ साल 2011 में जब जनगणना हो रही थी तब केंद्र में कांग्रेस नीत सरकार थी। हम पूछना चाहते हैं कि तब अन्य पिछड़ा वर्ग के आंकड़े क्यों प्रकाशित नहीं किये गए।’’
उन्होंने कहा कि आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्यों को अधिकार देने का काम किया है। मौर्य ने यह भी आरोप लगाया कि आरक्षण को समाप्त करने की शुरूआत साल 2010 में कर दी गई थी जब कांग्रेस की सरकार थी।