मध्यप्रदेश के महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा प्रदेश में 97 हजार से अधिक आंगनवाड़ियों का संचालन किया जा रहा है। इन आंगनवाड़ियों में बच्चों के शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक विकास के साथ ही उनके स्वास्थ्य और पोषण की स्थिति में सुधार लाने के लिए विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से कार्य किये जा रहे हैं। बच्चों के सर्वांगीण विकास और आंगनवाड़ियों को अधिक समृद्ध बनाने के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में विभाग द्वारा नवाचार किये जा रहे हैं। प्रदेश में "एडाप्ट एन आँगनवाड़ी" अभियान संचालित है। जिसे गति देने के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रदेश की जनता से अपील की है कि वो आंगनवाड़ी बच्चों के लिए खिलौने एवं स्टेशनरी सामग्री प्रदान करें। सरकार का उद्देश्य जनभागीदारी से आंगनवाड़ियों को और भी बेहतर बनाकर बचपन को समृद्ध बनाना है। सरकार की मंशा है कि इस अभियान को जनता के सहयोग से ही बेहतर ढंग से संचालित किया जा सकता है। यदि लोग स्वयं की इच्छा से सहयोग करते हैं तो इन केन्द्रों की उपयोगिता बढ़ जाएगी और ऐसे बच्चे भी आंगनवाड़ी केन्द्रों तक पहुंचेगें जो अभी तक नहीं आ रहे हैं। आंगनवाड़ी के बच्चे अपने जीवन में अभाव महसूस न करें इसलिए सरकार और समाज को संयुक्त प्रयास करने होंगे।
आंगनवाड़ी के बच्चों का बचपन बेहतर और सर्वसुविधा युक्त बनाने में जनसहयोग के लिए मुख्यमंत्री के हृदयस्पर्शी प्रयास और संवेदनशील अपील का असर भी दिखने लगा है। प्रदेश के अन्य शहरों के बच्चे भी इस मुहिम से जुड़ रहे हैं। बच्चों ने अपने खिलौने आंगनवाड़ी को प्रदान करने का मन बनाया है। मुख्यमंत्री के प्रयासों से प्रेरित होकर बच्चों के मन में समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभाने का भाव जाग रहा है। इस दिशा में बच्चों और परिवारजनों ने कभी सोचा भी नहीं था कि उनके छोटे-छोटे से प्रयास किसी की जिंदगी को खुशहाल बना सकते हैं। हर बच्चे को अपने खिलौने से बहुत लगाव होता है, वो आसानी से अपने खिलौने किसी को नहीं देते लेकिन, जब उन्होंने मुख्यमंत्री को बच्चों के लिए सड़कों पर निकलकर ठेले से खिलौने और अन्य सामग्री एकत्रित करने के बारे में पता चला तो उन्होंने भी अपनी खिलौनी आंगनवाड़ी को देने का संकल्प लिया।
अपने खिलौने आंगनवाड़ी में दूंगी: विदुषी
मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान की अपील का असर दिखने लगा है। छिंदवाड़ा की रहने वाली 5 साल की विदुषी जो खुद भी आंगनवाड़ी केंद्र जाती हैं, का कहना है, "मेरे साथियों के पास बहुत कुछ नहीं है जो मेरे पास है। इसीलिए मैं अपने खिलौने आंगनवाड़ी में दूंगी। इससे सब लोग इन खिलौनों से खेल सकेंगे। विदुषी की मां वैशाल चक्रवर्ती बताती हैं, "ये सरकार की बहुत ही अच्छी पहल है। इससे बच्चे मिल बांटकर चीज़ों का इस्तेमाल तो सीखेंगे ही, साथ ही संवेदनशील भी बनेंगे। हम विदुषी के खिलौनों के साथ-साथ ज़रूरत के मुताबिक स्टेशनरी का सामान भी ज़रूरतमंद बच्चों के लिए देना चाहते हैं, ताकि निम्न वर्ग के बच्चों को किसी तरह की कमी का एहसास न हो।
आंगनवाड़ी के दोस्तों के लिए अपने खिलौने दूंगी : केश्वी
मुख्यमंत्री की संवेदनशील अपील ने नन्हें दिलों को भी देने की भावनाओं से भर दिया है। भोपाल के कल्पना नगर में रहने वाली 4 साल की केश्वी जैन अपने खिलौने आंगनवाड़ी के दोस्तों को देना चाहती हैं। जब केश्वी को पता चला कि आंगनवाड़ी आने वाले बच्चों के पास पर्याप्त खिलौने नहीं होते तो उन्होंने अपने सारे खिलौने बाहर निकालकर अपने माता-पिता से कहा कि वो यह खिलौने अपने आंगनवाड़ी के दोस्तों को देना चाहती हैं। केशवी की मां का कहना है कि जब हमनें अपनी बेटी के सामने आंगनवाड़ी के बच्चों को खिलौने की जरूरत के बारे में बात की तो उसने खुद अपने खिलौने आंगनवाड़ी में देने के लिए कहां। आमतौर पर बच्चे जल्दी अपने खिलौने किसी को देते नहीं ही लेकिन जब उसे पता चला के प्रदेश के मुख्यमंत्री और कई लोग ऐसा करने वाले हैं तो उसके मन में भी खिलौने देने का ख्याल आया। हमारे बच्चे समाज को देखकर ही सीखते हैं। सरकार की यह पहल बहुत ही संवेदनशील और अच्छी है। हम खिलौनों के साथ अन्य आवश्यक शैक्षणिक सामग्री भी आंगनवाड़ी को देंगे।
प्रदेश की जनता से मुख्यमंत्री ने की है अपील
“हमारे बेटा और बेटियां देश के भविष्य हैं। यह बच्चे स्वस्थ और संस्कारित हों यह जरूरी है। इसलिए सरकार अपनी तरफ से प्रयास कर रही है, आंगनवाड़ियों में प्रयास किये जा रहे हैं। लेकिन क्या सरकार के अलावा आपकी कोई जवाबदारी नहीं हैं ? क्या वो बच्चे जो पूर्णत स्वस्थ नहीं हैं, अंडरवेट हैं या जिनके पास खेलने - कूदने या पढ़ने - लिखने की सामग्री नहीं है उनके प्रति क्या हमारा कोई दायित्व नहीं है ? हमारा देश तो कहता है वसुधैव कुटुम्बकम सारी दुनिया ही एक परिवार है, ये तो हमारे बच्चे हैं। इसलिए मेरे मन में आया कि हमारे बेटा-बेटी स्वस्थ हों। इस अभियान से समाज को जोड़ना चाहिए। स्वस्थ बच्चों के लिए यह एक जन आंदोलन बन जाये। आप, हम सब और पूरा समाज इससे जुड़ जाए। इसलिए समाज को जोड़ने के लिए मैं स्वयं सड़क पर जाकर समाज से अपील कर रहा हूं। बच्चों के लिए खेल-कूद की सामग्री दें, शिक्षा के साधन दें, आवश्यक जरूरी सामग्री जुटाएं। ताकि हमारा कोई बच्चा अभाव में न जिए। आईए अपने देश के बेहतर भविष्य के लिए आप भी स्वस्थ बालक-बालिका अभियान में सहयोग दें और अपनी आंगनवाड़ियों के लिए कोई चीज अवश्य दान करें।”
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के प्रयासों से न सिर्फ सामाजिक सोच बदल रही है बल्कि सहयोग भी मिल रहा है। अब ग्रामीण क्षेत्रों में भी किसान भाई आँगनवाड़ी केंद्रों के लिए अनाज उपलब्ध करवा रहे हैं। एक मटके में अन्य खाद्य सामग्री प्रदान करने में भी सहयोग मिल रहा है। तो शहरी क्षेत्रों में बच्चों को स्कूल बेग, ड्राइंग शीट, कलर्स के साथ ही कॉमिक्स और अन्य शिक्षाप्रद साहित्य भी उपलब्ध हो रहा है। आँगनवाड़ी केंद्रों में आने वाले बच्चे जीवन में अभाव महसूस न करें, इसके लिए सरकार और समाज का यही संयुक्त आंगनवाड़ियों को समृद्ध बनाकर बच्चों को स्वर्णिम एवं सशक्त भविष्य देगा।