महाराष्ट्र के पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख ने बृहस्पतिवार को दावा किया कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के कुछ विधायक राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरद चंद्र पवार) में शामिल होने के इच्छुक हैं।
देशमुख ने कहा कि दूसरे दलों को छोड़ शरद पवार के नेतृत्व वाली राकांपा (एसपी) में शामिल होने की प्रक्रिया पूर्व पार्षदों के जरिये शुरू हो गई है। उनका इशारा अजित पवार नीत राकांपा की पिंपरी-चिंचवाड़ इकाई के प्रमुख अजीत गव्हाणे और दो पूर्व पार्षदों के इस्तीफे की तरफ था। गव्हाणे ने बुधवार को कहा था कि वे सभी शरद पवार का आशीर्वाद लेंगे।
नागपुर में एक संवाददाता सम्मेलन के बाद पत्रकारों से बात करते हुए देशमुख ने दावा किया कि भाजपा के कुछ विधायक भी उनकी पार्टी का हिस्सा बनने में दिलचस्पी रखते हैं, क्योंकि वे “सरकार में प्रतिनिधित्व नहीं मिलने से निराश हैं।” देशमुख ने कहा, “राकांपा (अजित पवार गुट) के विधायक भी लौट आएंगे। हालांकि, शरद पवार तय करेंगे कि राकांपा (सीपी) में किसे लिया जाएगा और किसे नहीं।”
यह पूछे जाने पर कि क्या अजित पवार उनमें से एक होंगे, देशमुख ने कहा, “वह अपनी पार्टी बना रहे हैं। उन्हें इसका विस्तार करने दीजिए।” शरद पवार ने बुधवार को कहा था कि उनकी पार्टी में किसी भी नेता के संभावित प्रवेश के बारे में फैसला सामूहिक होगा। उन्होंने इस बात की पुष्टि करने से इनकार कर दिया था कि अगर अजित पवार वापसी का विकल्प चुनते हैं, तो उन्हें पार्टी में जगह दी जाएगी या नहीं।
अजित पवार जुलाई 2023 में अपने वफादार विधायकों के साथ एकनाथ शिंदे नीत महायुति सरकार में शामिल हो गए थे, जिससे राकांपा दो हिस्सों में बंट गई थी। लोकसभा चुनावों में राकांपा को चार में से तीन सीटों पर हार मिलने के बाद अजित पवार खेमे में असंतोष की अटकलें जोर पकड़ने लगीं। इसके विपरीत, राकांपा (एसपी) ने कांग्रेस और शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के साथ गठबंधन में लड़ी गई 10 सीटों में से आठ पर जीत हासिल की।
नागपुर में एक संवाददाता सम्मेलन में देशमुख ने राज्य सरकार से उनके खिलाफ रिश्वतखोरी के आरोपों की जांच करने वाले आयोग की रिपोर्ट सार्वजनिक करने को कहा और चेतावनी दी कि अगर ऐसा नहीं हुआ, तो वह अदालत का रुख करेंगे। देशमुख ने महाराष्ट्र सरकार पर चांदीवाल आयोग की रिपोर्ट को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दबाने का आरोप लगाया और दावा किया कि इसमें उन्हें ‘क्लीन चिट’ दे दी गई है।
देशमुख ने कहा कि मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह ने उन पर तब आरोप लगाए थे, जब वह राज्य के गृह मंत्री थे, और इसके बाद उन्होंने खुद तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से आरोपों की जांच करने को कहा था। देशमुख ने कहा कि राज्य सरकार ने दो साल पहले सेवानिवृत्त न्यायाधीश कैलाश चांदीवाल के नेतृत्व में एक आयोग का गठन किया था, जिसने 11 महीने बाद 1,400 पन्नों की रिपोर्ट सौंपी थी।
उन्होंने कहा, “कई अनुरोधों के बावजूद, रिपोर्ट को अब तक न तो सार्वजनिक किया गया है और न ही राज्य विधानमंडल के समक्ष रखा गया है।” देशमुख ने दावा किया कि महाराष्ट्र के कई अखबारों ने खबर दी है कि चांदीवाल आयोग ने उन्हें सभी आरोपों से बरी कर दिया है।
उन्होंने कहा, “सरकार जानबूझकर इसे सार्वजनिक करने में देरी कर रही है, क्योंकि मुझे आयोग से ‘क्लीन चिट’ मिल गई है।” देशमुख ने राज्य सरकार से चांदीवाल आयोग की रिपोर्ट सार्वजनिक करने को कहा और चेतावनी दी कि अगर वह ऐसा करने में नाकाम रही, तो उनके पास अदालत का दरवाजा खटखटाने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचेगा।
फरवरी 2021 में जब दक्षिण मुंबई में उद्योगपति मुकेश अंबानी के आवास ‘एंटीलिया’ के पास विस्फोटकों से लदी एसयूवी खड़ी मिली थी, तब परमबीर सिंह मुंबई के पुलिस आयुक्त थे। उन्होंने आरोप लगाया था कि तत्कालीन गृह मंत्री देशमुख ने पुलिस अधिकारियों को बार और रेस्तरां मालिकों से हर महीने 100 करोड़ रुपये की उगाही करने का निर्देश दिया था।
केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने भी सिंह द्वारा देशमुख पर लगाए गए आरोपों की जांच शुरू की थी। ईडी ने देशमुख को कथित धन शोधन मामले की जांच के सिलसिले में नवंबर 2021 में गिरफ्तार किया था। अप्रैल 2022 में सीबीआई ने उन्हें औपचारिक रूप से गिरफ्तार कर लिया। फिलहाल वह जमानत पर बाहर हैं।