संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की परीक्षा के प्रश्नपत्र में बंगाल में चुनावी हिंसा को शामिल किए जाने पर नया विवाद पैदा हो गया है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने यूपीएससी पर जमकर निशाना साधा है।
दरअसल,यूपीएससी के तहत होने वाली सेंट्रल आर्म्ड पुलिस फोर्स (सीएपीएफ) की नियुक्ति परीक्षा के प्रश्नपत्र में परीक्षार्थियों को बंगाल में चुनावी हिंसा पर प्रतिवेदन लिखने को कहा गया था। तृणमूल कांग्रेस ने इस पर कड़ी आपत्ति जताते हुए इसे प्रश्नपत्र से अविलंब हटाने को कहा है।
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि कभी संघ लोक सेवा आयोग निष्पक्ष हुआ करता था। अब इसके प्रश्न पत्रों में भाजपा सवाल दे रही है। यूपीएससी के पेपर में बंगाल पोस्ट पोल वायलेंस पर सवाल था। राजनीतिक रूप से प्रेरित किसान आंदोलन पर सवाल था। ममता ने कहा कि भाजपा यूपीएससी जैसी संस्थाओं को बर्बाद कर रही है।
वहीं तृणमूल प्रवक्ता कुणाल घोष ने कहा, 'ऐसा लग रहा है कि यह नियुक्तियां भाजपा करा रही है। वह प्रशासन पर कब्जा करने का प्रयास कर रही है। यह लोकतंत्र के लिए खतरा है।'
कुणाल घोष ने इसके लिए जिम्मेदार यूपीएससी के अधिकारियों को बर्खास्त करने की भी मांग की है। हालांकि दूसरी ओर, बंगाल भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष ने कहा, 'जब बंगाल बोर्ड के पाठ्यक्रम में सिंगुर आंदोलन को शामिल किया जा सकता है तो इसमें हर्ज क्या है? नौकरी प्रार्थियों को देश के मौजूदा हालात की कितनी जानकारी है, यह जानने के लिए ही इसे प्रश्नपत्र में शामिल किया गया था।'
तृणमूल सांसद सौगत राय ने कहा , 'यह बेहद निंदनीय है। इस तरह के विषयों को राजनीति में लाकर पूरी व्यवस्था को नष्ट करने की कोशिश की जा रही है। इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। तृणमूल इसका जबरदस्त विरोध करेगी।
बता दें कि यूपीएससी कि सीएपीएफ की परीक्षा गत 8 अगस्त को हुई थी। प्रश्नपत्र में बंगाल में चुनावी हिंसा पर करीब 200 शब्दों में प्रतिवेदन लिखने को कहा गया था। इसपर 10 अंक थे।