पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव नतीजों के रुझानों में तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) हैट्रिक लगाती दिख रही है। कोरोना के बीच पीएम नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह समेत लगभग सभी केंद्रीय मंत्रियों की पश्चिम बंगाल में रैलियां हुईं, लेकिन सभी पर अकेली ममता बनर्जी पूरी बीजेपी ब्रिगेड पर भारी पड़ती दिख रही हैं। ऐसे में ये राजनीतिक गुणा-भाग शुरू हो चुका है कि आखिर ममता बनर्जी को मिली जीत का क्या कारण है। एक्सपर्ट्स की मानें तो '4 M' ममता की जीत के लिए अहम रहे हैं।
नवभारत टाइम्स के मुताबिक, चुनाव प्रचार के दौरान बीजेपी की ओर से दावा किया जा रहा था कि ये 4 एम उन्हें फायदा पहुंचाएंगे। 2 करोड़ की आबादी वाले मतुआ समुदाय का वोट हासिल करने के लिए पीएम नरेंद्र मोदी वोटिंग के दिन बांग्लादेश दौरे पर इस समुदाय के मंदिर में पूजा करने पहुंचे। लेकिन नतीजों के बाद लगता है कि मतुआ समुदाय ने बीजेपी पर भरोसा करने के बजाय ममता बनर्जी को ही अपना नेता माना है।
प्रचार के दौरान बीजेपी लगातार ममता बनर्जी मुस्लिम तुष्टीकरण का आरोप लगा रही थी। ममता बनर्जी ने चुनावी मंच से मुस्लिमों को एकजुट रहने का संदेश दिया तो पीएम मोदी ने बेहद सधे हुए शब्दों में बंगाल के हिंदुओं को बीजेपी को सपोर्ट करने का संदेश दे गए। बीजेपी को उम्मीद थी कि मुस्लिमों का वोट ममता के पक्ष में जाने से हिंदुओं का एक मुश्त वोटर बीजेपी को जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। मुस्लिम वोटों में धुव्रीकरण करने के लिए एआईएमआईएम के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने भी कई सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे, लेकिन यहां वह बिहार जैसा कमाल नहीं कर सके। ममता बनर्जी नें तेजस्वी यादव वाली गलती नहीं कि और मुस्लिम वोटरों को अपने साथ जोड़े रखने में कामयाब रहीं।
चुनावों में वोटिंग के दौरान बूथों पर महिलाओं की खासी भीड़ देखी गई थी। इस दौरान महिलाओं के उत्साह को देखकर बीजेपी को उम्मीद थी कि यह उनके पक्ष में जाएगा लेकिन यह भी गलत साबित हुआ। रुझानों से स्पष्ट है कि ज्यादातर महिलाओं ने ममता का साथ दिया।
ममता बनर्जी 'जय श्रीराम' के नारे से सार्वजनिक मंचों पर चिढ़ती हैं। इस वजह से बीजेपी पूरे चुनाव प्रचार में उन्हें हिंदू विरोधी दिखाने की कोशिश करती रही। जवाब में ममता बनर्जी ने चुनावी मंच से चंडी पाठ किया। जब ममता को बीजेपी ने मुस्लिम बता दिया तो उन्होंने बताया कि वह ब्राह्मण हैं और शांडिल्य गोत्र की हैं। ममता बनर्जी ने चोट की बात कहकर पूरा चुनाव प्रचार व्हिलचेयर पर कीं। यानी सहानुभूति वोट के लिए भी ममता ने व्हिलचेयर को बड़ा दांव खेला।
 
                                                 
                             
                                                 
                                                 
                                                 
			 
                     
                    