पिछले कई दिनों से उतार-चढ़ाव से भरा कर्नाटक विधानसभा चुनाव शनिवार को अपने क्लाइमैक्स पर पहुंच गया। विधानसभा में बहुमत साबित करने में नाकाम रहे बीएस येदियुरप्पा ने फ्लोर टेस्ट के तय समय से पहले ही इस्तीफा दे दिया। लंच के बाद जब दोबारा कर्नाटक विधानसभा की कार्यवाही शुरू हुई तो मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने विधानसभा को संबोधित किया। उन्होंने एक भावुक भाषण भी दिया।
येदियुरप्पा के इस्तीफे के बाद कांग्रेस में खुशी की लहर दौड़ गई। पिछले कई दिनों में अपने विधायकों में एकजुट रखने की कोशिश में कांग्रेस कामयाब रही और इसके पीछे तीन मुख्य लोगों की भूमिका रही।
15 मई को जब चुनाव नतीजे घोषित हो रहे थे, तब शुरुआती रुझानों में बीजेपी बहुमत का आंकड़ा पार करती दिखाई दे रही थी लेकिन दोपहर ढलते-ढलते उसकी सुई 104 तक अटक गई जबकि दूसरी तरफ कांग्रेस 78 और जेडीएस 38 सीटों तक पहुंच गई। कांग्रेस ने तुरंत इस आंकड़े को जोड़कर जेडीएस के साथ मिलकर सरकार बनाने का फैसला कर लिया। कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी ने खुद कर्नाटक में मौजूद अपने नेताओं को जेडीएस संस्थापक एचडी देवगौड़ा से बात करने के निर्देश दिए। साथ ही उन्होंने गुलाम नबी आजाद और अशोक गहलोत को भी स्थिति से निपटने के लिए भेजा। कांग्रेस ने जेडीएस के एचडी कुमारस्वामी को सीएम पद ऑफर कर दिया और शाम होने से पहले ही दोनों दलों में गठजोड़ हो गया।
चुनाव में गुलाम नबी आजाद, अशोक गहलोत के अलावा कांग्रेस नेता डीके शिवकुमार की भूमिका को अहम माना जा रहा है क्योंकि विधायकों को एकजुट रखने का जिम्मा उनके ऊपर ही था।
कांग्रेस के लिए इन तीन नेताओं ने एक तरह से ‘चाणक्य’ की भूमिका निभाई और भाजपा के ‘चाणक्य’ को पटखनी दी। आइए, जानते हैं इन तीनों के बारे में-
डीके शिवकुमार
कर्नाटक के पूरे घटनाक्रम में कांग्रेस के लिए सबसे बड़े अस्त्र साबित हुए डीके शिवकुमार ने कांग्रेस दो विधायकों को लेकर बयान दिया। डीके शिवकुमार ने कहा कि प्रताप गौड़ा पहुंच चुके हैं और विधायक की शपथ लेंगे। शिवकुमार ने कहा कि इसके बाद वो कांग्रेस के लिए वोट करेंगे, वो कांग्रेस के साथ धोखा नहीं करेंगे। शिवकुमार ने कहा कि पाटिल और आनंद सिंह बाद में बताएंगे कि किसने उन्हें बंधक बनाया उन्होंने कहा की दोनों विधायक शपथ ग्रहण करने के बाद कांग्रेस के लिए वोट करेंगे।
डीके शिवकुमार सिद्धारमैया सरकार में ऊर्जामंत्री थे। इनका रसूख इस बात से जान जा सकता है कि 2017 में जब गुजरात में राज्यसभा चुनाव चल रहे थे, तब अहमद पटेल की सीट खतरे में पड़ गई थी। उस समय अपने 44 विधायक बचाने के लिए कांग्रेस ने उन्हें कर्नाटक भेज दिया था। कर्नाटक में ये सारे कांग्रेसी विधायक डीके शिवकुमार के ही ईगलटन रिजॉर्ट में रुके थे, जो बेंगलुरु में है। इन्हें कांग्रेस का ‘संकटमोचक' माना जाता है।
डीके शिवकुमार ने इस बार भी कांग्रेस की सरकार बनाने में जमकर मदद की। निर्दलीय विधायकों से बातचीत करके उन्हें अपने पाले में ले आए। कांग्रेस के 78 विधायकों को इस बार भी इन्हीं के ईगलटन रिजॉर्ट में रोका गया। हालांकि, 17 मई की सुबह खबर आई कि कांग्रेस के दो विधायक रिजॉर्ट से फरार हो गए हैं। इनमें से एक विधायक प्रताप गौड़ा पाटिल हैं, जिन्होंने चुनाव से पहले अपनी संपत्ति 40 लाख रुपए बताई थी। 2013 के चुनाव में ये सबसे कम पैसे वाले कैंडिडेट थे।
अशोक गहलोत
इस पूरे चुनाव में वरिष्ठ कांग्रेसी नेता और राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की भी बड़ी भूमिका मानी जा रही है। हाल ही में उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर महासचिव का पद दिया गया है। कर्नाटक चुनाव के बाद जाहिर है पार्टी में उनका कद और बढ़ेगा।
उन्होंने इन्दिरा गांधी, राजीव गांधी और पी.वी.नरसिम्हा राव के मंत्रिमण्डल में केन्द्रीय मंत्री के रूप में काम किया था। वे तीन बार केन्द्रीय मंत्री बने। जब इन्दिरा गांधी भारत की प्रधानमंत्री थीं उस समय अशोक गहलोत 2 सितम्बर, 1982 से 7 फ़रवरी 1984 की अवधि में श्रीमती इन्दिरा गांधी के मंत्रीमण्डल में पर्यटन और नागरिक उड्डयन उपमंत्री रहे। इसके बाद गहलोत खेल उपमंत्री बनें।
उन्होंने 7 फरवरी 1984 से 31 अक्टूबर 1984 की अवधि में खेल मंत्रालय में कार्य किया और 12 नवम्बर, 1984 से 31 दिसम्बर, 1984 की अवधि में इसी मंत्रालय में कार्य किया। उनकी इस कार्यशैली को देखते हुए उन्हें केन्द्र सरकार में राज्य मंत्री बनाया गया। 31 दिसम्बर, 1984 से 26 सितम्बर, 1985 की अवधि में गहलोत ने केन्द्रीय पर्यटन और नागरिक उड्डयन राज्य मंत्री के रूप में कार्य किया। इसके बाद उन्हें केन्द्रीय कपड़ा राज्य मंत्री बनाया गया। यह मंत्रालय पूर्व प्रधानमंत्री के पास था और गहलोत को इसका स्वतंत्र प्रभार दिया गया। गहलोत इस मंत्रालय के 21 जून 1991 से 18 जनवरी 1993 तक मंत्री रहे।
गुलाम नबी आजाद
वहीं, कर्नाटक चुनाव परिणामों के बाद लगातार राज्य में सक्रिय रहे गुलाम नबी आजाद ने न्यायपालिका को धन्यवाद देते हुए कहा कि राज्यपाल ने तो बीजेपी को बहुमत साबित करने के लिए 15 दिन का समय दिया था, ताकि विधायकों की खरीद-फरोख्त हो सके। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने राज्यपाल के फैसले के रद्द करते हुए एक निश्चित समय में बहुमत साबित करने का फैसला दिया। उन्होंने कहा कि आज सदन में जो कुछ भी हुआ वह लोकतंत्र की जीत है, वह हमारे संविधान की जीत है।
गुलाम नबी आजाद वर्तमान में राज्य सभा के विपक्ष के नेता है। वे वाशिम, महाराष्ट्र से सातवीं और आठवीं लोक सभा के सदस्य रहे हैं। उन्हें पंद्रहवीं लोकसभा के मंत्रीमंडल में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण में मंत्री बनाया गया था।
कर्नाटक की 224 में से 222 सीटों पर 12 मई को वोटिंग हुई थी। नतीजे 15 मई को आए, जिसमें त्रिशंकु विधानसभा की स्थिति बनी। शुरुआती रुझानों में आगे दिखने के बाद भाजपा जरूरी 112 सीटों से 8 सीटें पीछे रह गई। कांग्रेस ने जेडीएस के साथ मिलकर सरकार बनाने का दावा पेश किया। भाजपा ने भी सरकार बनाने का दावा किया और येदियुरप्पा ने 17 मार्च को शपथ ले ली लेकिन 19 मार्च को वह बहुमत सिद्ध नहीं कर सके।