त्रिपुरा निकाय चुनाव में भाजपा ने घोषित 334 वार्डों में से 329 वार्ड जीते। इस चुनाव में विपक्ष को सिर्फ 5 सीटों पर जीत मिली है। भाजपा ने 14 नगर निगमों में से 11 में जीत हासिल की। पानीसागर नगर पंचायत में, भाजपा 13 में से 12 सीटों पर विजयी हुई और अंबासा की 12 सीटें हासिल की हैं। भाजपा ने 51 सदस्यीय अगरतला नगर निगम (एएमसी) की सभी सीटों पर जीत हासिल की है। विपक्षी टीएमसी और सीपीआई (एम) एएमसी में खाता खोलने में विफल रही।
भाजपा ने अगरतला नगर निगम की सभी 334 सीटों, 13 नगर निकायों और राज्य की छह नगर पंचायतों के लिए उम्मीदवार खड़े किए थे। भाजपा के उम्मीदवारों ने 112 सीटों पर तो निर्विरोध जीत हासिल की थी। बाकी 222 सीटों पर 25 नवंबर को मतदान हुआ था। 222 सीटों पर हुई वोटों की गिनती के बाद बीजेपी ने 217 सीटों पर जीत दर्ज की है जबकि CPIM को 3 सीट, टीएमसी को 1 सीट और टिपरा मोथा को महज एक सीट से संतोष करना पड़ा है।
भाजपा अध्यक्ष जे पी नड्डा ने त्रिपुरा के मुख्यमंत्री बिप्लब कुमार देब, राज्य भाजपा अध्यक्ष और सभी पार्टी कार्यकर्ताओं को इस ऐतिहासिक जीत के लिए बधाई दी है। उन्होंने कहा कि यह लोकतंत्र की जीत है।
चुनावों में टीएमसी ने वोटों की धांधली और भाजपा पर लोगों को डरा-धमकाकर अपने पक्ष में वोट देने का आरोप लगाया है। वहीं, माकपा ने पांच नगर निकायों में नए सिरे से चुनाव कराने की मांग की है। दोनों पार्टियों ने दावा किया कि भाजपा समर्थकों ने राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों पर हमला किया और चुनावों में धांधली की लेकिन सरकार मूकदर्शक बनी रही। हालांकि भाजपा खेमे ने इन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है।
पिछले कुछ दिनों से त्रिपुरा में सत्तारूढ़ भाजपा और तृणमूल कांग्रेस के बीच राजनैतिक लड़ाई चरम पर चल रही थी। एक तरफ भाजपा अपने अस्तित्व को बचाने की लड़ाई लड़ रही थी तो टीएमसी त्रिपुरा में सेंध लगाने की जुगत में थी। इससे पहले 2018 में सीपीआई (एम) को उखाड़कर बिप्लब कुमार देब की सरकार सत्ता में आई थी। वहीं, इस बार टीएमसी की घुसपैठ को बिप्लब कुमार देव की सरकार नाकाम करने में कामयाब रही है।