“हम तो डूबेंगे सनम तुम्हें भी ले डूबेंगे” ये कहावत हमने जरूर सुना है। लेकिन, इस बार के बिहार विधानसभा चुनाव में ये कहावत देखने को मिल रहा है। एनडीए से नाता तोड़ राज्य में अकेले चुनाव लड़ने का दावा करने वाले लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) के अगुआ चिराग पासवान ज्यादा कुछ नहीं कर पाए और उन्हें केवल एक सीट ही मिल पाई। एनडीए 124 सीटों के साथ बहुमत के लकीर को पार कर चुकी है। वहीं, तेजस्वी की अगुवाई वाली महागठबंधन भी धीरे-धीरे बढ़त बनाते हुए 110 सीट से आगे चल रही है।
उन्होंने 243 सीटों वाली विधानसभा में 143 सीटों पर चुनाव लड़ा था और सीएम नीतीश के खिलाफ जमकर बयानबाजी की थी। खास तौर से चिराग ने उन जगहों पर अपने उम्मीदवार को उतारे थे जहां से जेडीयू ने चुनाव लड़े। इस बार जेडीयू ने 115 पर अपनी ताल ठोकी है। वहीं, भाजपा ने 110 सीटों पर हुंकार भरा है। चिराग पासवान का हीं साइड इफेक्ट है कि जेडीयू इस वक्त तीसरे नंबर पर बनी हुई है। अब तक के रूझानों में राजद सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है। जबकि बीजेपी दूसरे नंबर पर है।
जेडीयू को सिर्फ 45 सीट पर बढ़त बनाए हुए है। जबकि, बीजेपी 75 सीटों के करीब है। रूझान के मुताबिक एनडीए में बीजेपी को सबसे अधिक सीटें मिलने की वजह से अब इस बात के सुर भी सुनाई देने लगे हैं कि मुख्यमंत्री का चेहरा भाजपा से कोई हो। यानी चिराग ने नीतीश को बड़ा झटका दिया है। इस बार चिराग ने बीजेपी के 22 बागियों को टिकट दे नीतीश के खिलाफ मैदान में उतारा था। दिनारा से राजेंद्र सिंह और सासाराम से रामेश्वर चौरसिया जैसे कईयों को एलजेपी ने नीतीश के खिलाफ उतारा था। इन दोनों सीटों से जेडीयू तीसरे नंबर पर चल रही है जबकि राजद के उम्मीदवार पहले नंबर पर काफी वोटों के अंतर से बने हुए हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में नीतीश ने महागठबंधन के साथ 101 सीटों पर चुनाव लड़ा था और इसमें जेडीयू के खात में 71 सीटें आई थी। जबकि राजद को 80 सीटें मिली थी। दोनों ने 101-101 सीटों पर ताल ठोकी थी।
कोरोना महामारी की वजह से वोटों की गिनती देर रात तक जारी रहेगी। अभी भी साफ तस्वीर आनी बाकी है। इस बार के चुनाव में बीजेपी ने अपने कोटे से वीआईपी को 11 सीटें दिए हैं जबकि नीतीश ने एनडीए सहयोगी हम को सात सीटें दी है।