ओडिशा की नबरंगपुर लोकसभा सीट पर सत्तारूढ़ बीजू जनता दल (बीजद), भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और कांग्रेस के उम्मीदवार बंगाली प्रवासी निवासियों को लुभाने का प्रयास कर रहे हैं क्योंकि उनके वोट इस निर्वाचन क्षेत्र में उम्मीदवारों के चुनावी भाग्य का फैसला कर सकते हैं।
बंगाली समुदाय में बड़े पैमाने पर अनुसूचित जाति के लोग शामिल हैं जो 1960 और 1970 के दशक के दौरान पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) से आए थे। 1970 के दशक की शुरुआत में जब इन लोगों को भारतीय नागरिकता प्राप्त हो गयी उसके बाद वे मल्कानगिरी जिले के 214 गांवों और नबरंगपुर जिले के 64 गांवों में रहने लगे।
नबरंगपुर सीट पर 13 मई को चुनाव होने हैं। लगभग 1.5 लाख मतदाताओं वाला बंगाली समुदाय नबरंगपुर संसदीय क्षेत्र में काफी प्रभाव रखता है, जिसमें नबरंगपुर जिले के चार विधानसभा क्षेत्र, मल्कानगिरी जिले के दो और कोरापुट जिले का एक विधानसभा क्षेत्र शामिल है। उनके वोट का चुनाव पर महत्वपूर्ण प्रभाव है। यही कारण है कि राजनीतिक दल उन्हें अपने पाले में लाने का पूरा प्रयास कर रहे हैं।
बीजद उम्मीदवार प्रदीप माझी ने कहा, ‘‘राज्य सरकार ने पिछले पांच वर्षों में बंगाली निवासियों के विकास के लिए बहुत कुछ किया है। चूंकि मल्कानगिरी के अधिकांश बंगाली निवासी किसान हैं, इसलिए उन्हें सिंचाई सुविधाएं प्रदान की गई हैं और बंगालियों के प्रभुत्व वाले गांवों में बुनियादी ढांचे को मजबूत किया गया है।” उन्होंने कहा, "पिछली बार बंगाली मतदाताओं ने बीजद को चुना था और मुझे विश्वास है कि इस बार भी वे हमें वोट देंगे।"
भाजपा उम्मीदवार बलभद्र माझी ने विश्वास जताया कि बंगाली लोग भाजपा का समर्थन करेंगे। उन्होंने कहा, "बंगाली लोग नरेन्द्र मोदी को प्रधानमंत्री के रूप में देखना चाहते हैं और इसके लिए वे अपने सर्वांगीण विकास के लिए भाजपा को वोट देंगे।"
कांग्रेस उम्मीदवार भुजबल माझी ने बंगाली मतदाताओं को लुभाते हुए कहा, "बंगाली मतदाता बुद्धिमान मतदाता हैं और हमें भरोसा है कि वे अच्छा विकल्प चुनेंगे।" असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने नौ मई को मल्कानगिरी जिले में भाजपा उम्मीदवार के लिए प्रचार किया। शर्मा ने अपना भाषण ज्यादातर बांग्ला में दिया और लोगों से भाजपा को वोट देने की अपील की।