आखिरकार गुजरात में छठवीं बार भाजपा की सरकार बनने जा रही है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के गृहराज्य होने के नाते यहां का चुनाव राष्ट्रीय राजनीति के लिहाज से महत्वपूर्ण है। यही वजह है कि कांग्रेस और भाजपा दोनों ही दल इस सूबे में फतह हासिल करने के लिए जी-जान से लगे रहे। ताजा नतीजों के मुताबिक भाजपा 99 सीटों पर जीत हासिल कर चुकी है। वहीं कांग्रेस 77 सीटें जीत चुकी है। उसकी सहयोगी राकांपा एक सीट जीतने में कामयाब रही है, जबकि भारतीय ट्राइबल पार्टी को दो सीटों पर सफलता मिली है। निर्दलीय के खाते में 3 सीटें गई हैं।
इस तरह गुजरात में भाजपा के खाते में 99 और कांग्रेस के हिस्से में 77 सीटें आईं। 2012 के चुनाव के मुकाबले कांग्रेस को 16 सीटों का फायदा हुआ है जबकि भाजपा को इतनी ही सीटों का नुकसान उठाना पड़ा। जाहिर है कि प्रधानमंत्री मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की मेहनत और रणनीति के बूते भाजपा गुजरात की सत्ता को बरकरार रही है। लेकिन कांग्रेस के प्रदर्शन में उल्लेखनीय सुधार, अल्पेश और जिग्नेश जैसे युवा नेताओं की जीत विपक्ष के लिए शुभ संकेत है। इस तरह गुजरात के नतीजों में भाजपा और विपक्षी दलों के लिए सबक छिपा है, जो 2019 के लिए कारगर साबित हो सकता है।
आज सुबह रूझानों में शुरूआत से भाजपा और कांग्रेस के बीच रोमांचक मुकाबला देखने को मिला। हालांकि दोपहर तक भाजपा बहुमत की ओर बढ़ने लगी थी। लेकिन यह बहुमत भाजपा के लिए आसान नहीं था। ऊना में हुए दलित आंदोलन से लेकर पाटीदार आंदोलन तक पार्टी के लिए मुश्किलें बिछी हुईं थी। वहीं विपक्षी दलों की ओर से नोटबंदी, जीएसटी जैसे आर्थिक मसले पर मोदी और भाजपा सरकार को घेरने की कड़ी कवायद की गई। हार्दिक, जिग्नेश और अल्पेश जैसे युवा नेताओं ने भाजपा के खिलाफ जमकर प्रचार-प्रसार किया। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी गुजरात में डेरा डालकर जनता के बीच पैठ बनाने की कोशिश की। लेकिन चुनाव अभियान के आखिर-आखिर में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की रैलियों ने गुजराती जनता पर अपना व्यापक प्रभाव छोड़ा। लिहाजा 22 सालों से सत्ता से बेदखल कांग्रेस को इस बार भी कुर्सी नहीं मिली।
2012 VS 2017 चुनाव
2012 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को कुल 115 सीटें मिली थी, वहीं कांग्रेस को 61 सीटों पर संतोष करना पड़ा था। जबकि इस बार भाजपा को 99 तो कांग्रेस को 77 सीटें मिलती दिखाई दे रही है।
बता दें कि पिछले चुनाव में इस बार से ज्यादा वोटिंग हुई थी। 2012 में 71.30 फीसदी वोट पड़े थे जबकि इस बार 68.7 फीसदी वोट डाले गए।
वोट शेयर की बात करें तो 2012 में भाजपा को 47.85 फीसदी वोट मिले थे। जबकि कांग्रेस को 38.93 फीसदी वोट हासिल हुए थे। वहीं इस बार गुजरात में भाजपा को लगभग 49.1 फीसदी वोट मिले जबकि कांग्रेस को 41.4 फीसदी। कुलमिलाकर कहें तो सीटों के लिहाज से भाजपा को घाटा हुआ है, जबकि कांग्रेस का प्रदर्शन बेहतर हुआ माना जा सकता है।
अहम बातें
-राजकोट पश्चिम से मुख्यमंत्री विजय रुपाणी चुनाव जीत गए। शुरुआती रूझानों में कांग्रेस के इंद्रनील राजगुरु उनसे आगे चल रहे थे।
-पोरबंदर से कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अर्जुन मोढवाडिया चुनाव हार गए हैं।
-भारतीय ट्राइबल पार्टी के नेता छोटू वसावा ने जीत हासिल की। वसावा पहले जदयू में थे, लेकिन राज्यसभा चुनावों के दौरान उन्होंने नीतीश कुमार के निर्देशों के विपरीत कांग्रेस के अहमद पटेल को वोट दिया था। पटेल की जीत में उनके वोट ने निर्णायक भूमिका निभाई थी।
-जूनागढ़ से भाजपा के महेंद्र मशरू लगातार सातवीं बार जीत दर्ज करने में नाकामयाब रहे हैं।
पीएम नरेंद्र मोदी का गृह नगर वडनगर जिस ऊंझा विधानसभा सीट में आता है, वहां कांग्रेस की उम्मीदवार आशा पटेल ने जीत हासिल की।
-शुरुआती रूझानों में पीछे रहने के बाद मेहसाणा से उप मुख्यमंत्री नितिन पटेल जीत गए हैं।
-बनासकांठा जिले के वडगाम से निर्दलीय जिग्नेश मेवानी चुनाव जीतने में सफल रहे हैं। उन्हें कांग्रेस का समर्थन भी प्राप्त था।
-राधनपुर से कांग्रेस के टिकट पर अल्पेश ठाकोर ने जीत हासिल की।
-भावनगर पश्चिम से भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष करीब 17 हजार वोटों से जीतने में कामयाब रहे। शुरुआती रूझानों में वे भी पीछे चल रहे थे।
गुजरात LIVE अपडेट
गुजरात परिणाम स्थिति |
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182 निर्वाचन क्षेत्रों में से 182 की ज्ञात स्थिति
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दल का नाम | विजयी | आगे | कुल |
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इंडियन नेशनल कांग्रेस | 77 | 0 | 77 |
नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी | 1 | 0 | 1 |
भारतीय जनता पार्टी | 99 | 0 | 99 |
भारतीय ट्रायबल पार्टी | 2 | 0 | 2 |
निर्दलीय | 3 | 0 | 3 |
कुल | 182 | 0 | 182 |
राज्य के चुनाव परिणामों का असर वर्ष 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव पर भी पड़ सकता है। गुजरात में दो चरणों में हुए चुनाव में औसतन 68.7 फीसदी मतदान हुआ था। बता दें कि विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने जीएसटी और नोटबंदी को मुद्दा बनाकर भाजपा को घेरने का काम किया। ऐसे में अगर नतीजों को देखें तब लगता है कि गुजरात के वोटरों पर विपक्ष के इस विरोध का कोई खास असर नहीं पड़ा। अब जहां यह जीत भाजपा के लिए आने वाले चुनावों में हौसला देने का काम करेगी, वहीं कांग्रेस के लिए नई रणनीति बनाने के लिए एक मौका साबित हुई है।