खुद को 'पार्टी विद डिफरेंस' बताने वाली भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) अपने कई वरिष्ठ दिग्गजों (मार्गदर्शक मंडल के सदस्य) से दूरी बना रही है। इनमें सबसे बड़े नाम लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी के हैं। जब उन्हें मार्गदर्शक मंडल में शामिल किया गया था तभी से कहा जा रहा था पार्टी इन नेताओं को अलग-थलग कर रही है। अब टिकट बंटवारे में भी दोनों को दरकिनार कर दिया गया है। पार्टी की तरफ से लोकसभा चुनाव के लिए अब तक जारी की गई लिस्ट में लालकृष्ण आडवाणी, करिया मुंडा, वीसी खंडूरी जैसे कई पुराने और दिग्गज भाजपा के स्तंभ माने जाने वाले नेताओं को टिकट नहीं दिया गया। साथ ही यूपी के लिए जारी स्टार प्रचारकों की लिस्ट में भी लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी का नाम नहीं है।
पिछले काफी समय से वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी का टिकट काटे जाने की संभावनाओं को लेकर भी अब स्थिति स्पष्ट हो गई है। पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं देने का मन बना लिया है। पहले आडवाणी और अब जोशी को टिकट ना देने पर पार्टी के अंदर और बाहर राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो गई हैं। इस पर पार्टी के नेताओं ने नाराजगी भी जाहिर की है। भाजपा की तरफ से उठाया गया यह कदम काफी हद तक पार्टी को असहज भी कर रहा है।
2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान बीजेपी की अगुवाई कर रहे पीएम मोदी और अमित शाह की तरफ से साफ कर दिया गया था कि 75 की उम्र पार कर चुके नेताओं को चुनाव में टिकट नहीं दिया जाएगा। अब आगामी लोकसभा चुनाव में पार्टी इस फॉर्मूले को अपनाती हुई भी नजर आ रही है।
हालांकि पहले ये भी खबर थी कि बुजुर्ग नेताओं को पार्टी भले चुनाव लड़ाएगी, लेकिन उन्हें सरकार में किसी तरह की जिम्मेदारी नहीं दी जाएगी। लेकिन एक के बाद एक कई दिग्गज नेताओं के टिकट काटे जाने के बाद ऐसा माना जा रहा है कि पार्टी ने अब बुजुर्ग नेताओं को मैदान में उतारने की जगह उन्हें आराम देने का फैसला कर लिया है।
पार्टी के वरिष्ठ नेताओं का टिकट कटने पर क्या रही प्रतिक्रिया
भाजपा के वरिष्ठ नेताओं के टिकट कटने से ना सिर्फ पार्टी के अंदर ही बल्कि पार्टी के बाहर भी राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो गई हैं। जहां मुरली मनोहर जोशी ने पार्टी के इस फैसले से नाराज होकर कानपुर के मतदाताओं को पत्र लिखकर अपने मन की बात कही है। वहीं, आडवाणी भी टिकट कटने की बजाय उसके तरीके से दुखी होकर अपनी नाराजगी जाहिर कर रहे हैं।
मुझे चुनाव लड़ने से भाजपा ने रोका: जोशी
पार्टी की तरफ से टिकट नहीं दिए जाने की खबरों से दुखी मुरली मनोहर जोशी ने कानपुर के वोटर्स को एक पत्र लिखा, जो सोशल मीडिया पर काफी वायरल हो रहा है। इस पत्र में मुरली मनोहर जोशी ने बताया कि भाजपा के राष्ट्रीय संगठन मंत्री ने उन्हें सलाह दी है कि कानपुर और उसके अलावा कहीं से भी मुझे चुनाव नहीं लड़ना चाहिए। कानपुर से पहले जोशी वाराणसी से सांसद थे। 2014 में उन्होंने यह सीट प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए छोड़ दी थी। अब उन्हें चुनाव लड़ने से ही मना कर दिया गया है।
टिकट कटने की बजाय उसके तरीके से दुखी आडवाणी
हालांकि लोकसभा चुनाव से ठीक पहले बीजेपी में टिकट कटने की बजाय उसके तरीके से लालकृष्ण आडवाणी काफी दुखी हैं। सूत्रों का कहना है कि आडवाणी को इस बात का मलाल है कि उनसे इसे लेकर किसी बड़े नेता ने मुलाकात तक नहीं की। इतना ही नहीं, जिस तरीके से उनका टिकट काटा गया, वह काफी अपमानजनक था। गुजरात के गांधी नगर से लगातार 6 बार सांसद रहे आडवाणी को जितना दुख टिकट कटने का नहीं, उससे कहीं ज्यादा इसके तरीके से है। भाजपा ने गुजरात के गांधी नगर से आडवाणी की अमित शाह को टिकट दिया है।
क्या बोले सुब्रमण्यम स्वामी
वहीं, बीजेपी के वरिष्ठ नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने जोशी के चुनाव ना लड़ने पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि जब बड़े नेताओं और पूर्वाध्यक्षों नितिन गडकरी, अरुण जेटली और राजनाथ सिंह इस पर कुछ नहीं कह रहे हैं तो मैं इस पर क्या कह सकता हूं।
'आडवाणी के बदले ऐसे आदमी को लाया गया...’
बिहार के पटना साहिब से सांसद शत्रुघ्न सिन्हा ने वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी को टिकट नहीं दिए जाने पर भी अपनी नाराजगी जाहिर की। उन्होंने कहा, 'आडवाणी के बदले ऐसे आदमी को लाया गया जो पार्टी अध्यक्ष है लेकिन उनकी छवि और व्यक्तित्व कहीं से उनसे (आडवाणी) नहीं मिलती है। यह जानबूझकर किया गया और यह देश के लोगों के साथ ठीक नहीं हुआ।' उन्होंने आगे कहा, 'वह एक पिता के समान हैं और एक पितातुल्य व्यक्ति के साथ कोई इस तरह का व्यवहार करने की इजाजत नहीं देगा।'
'जब मोदी बुजुर्गों का आदर नहीं करते तो जनता के विश्वास का आदर कहां करेंगे?'
कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने गांधीनगर सीट से लालकृष्ण आडवाणी को टिकट नहीं मिलने पर भाजपा पर कटाक्ष किया। उन्होंने कहा कि भाजपा ने पहले उन्हें मार्गदर्शक मंडल में भेजा और अब उनकी सीट भी छीन ली। सुरजेवाला ने कहा कि 'देश को बचाने के लिए भाजपा को भगाना जरूरी है।' भाजपा ने यूपी में इस बार अपने छह मौजूदा सांसदों को टिकट नहीं दिया है।
सुरजेवाला ने अपने ट्वीट में कहा, 'पहले श्री लाल कृष्ण आडवाणी को जबरन मार्गदर्शक मंडल में भेज दिया। अब उनकी संसदीय सीट छीन ली। जब मोदी जी बुजुर्गों का आदर नहीं करते तो वह जनता के विश्वास का आदर कहां करेंगे? भाजपा भगाओ, देश बचाओ'।
‘आपने बुजुर्गों आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी का अपमान किया’
दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने जोशी को टिकट नहीं दिए जाने के मुद्दे को लेकर बीजेपी पर तंज कसा है। उन्होंने ट्वीट में लिखा, 'मोदी जी जिस तरह आपने बुजुर्गों आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी का अपमान किया है। ये हिंदू संस्कृति के खिलाफ है। हिंदू धर्म में अपने बुजुर्गों का सम्मान करना सिखाया गया है।
'भारतीय राजनीति के ‘भीष्माचार्य' को 'जबरन रिटायरमेंट' दिया गया'
शिवसेना ने अपने मुखपत्र 'सामना' में एक संपादकीय में कहा कि आडवाणी की जगह शाह के चुनाव लड़ने को राजनीतिक रूप से ऐसा माना जा रहा है कि भारतीय राजनीति के ‘भीष्माचार्य' को 'जबरन रिटायरमेंट' दे दिया गया हो। शिवसेना ने कहा कि लालकृष्ण आडवाणी को भारतीय राजनीति का ‘भीष्माचार्य' माना जाता है लेकिन लोकसभा चुनावों के लिए भाजपा के उम्मीदवारों की सूची में उनका नाम ना होना हैरानी भरा है।
चुनावी मैदान में नहीं दिखेंगे ये बड़े नेता
जोशी और आडवाणी के अलावा भाजपा ने जहां इस बार बीसी खंडूरी, करिया मुंडा, कलराज मिश्रा और विजय चक्रवर्ती जैसे वरिष्ठ नेताओं को टिकट नहीं दिया है। वहीं, कई नेताओं ने खुद ही चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया है।
बीसी खंडूरी
मेजर जनरल (से.नि.) बीसी खंडूरी भी इस बार लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे। पिछले दिनों खंडूरी ने कहा था कि वो छह महीने पहले ही केंद्रीय नेतृत्व को चुनाव न लड़ने का अपना फैसला बता चुके हैं। उम्रदराज होने और अस्वस्थता के कारण खंडूड़ी सक्रिय राजनीति से कुछ सालों में बाहर होते चले गए। पिछले दो वर्षों में सामाजिक और राजनीतिक कार्यक्रमों में उनकी बेहद कम उपस्थिति रही। लंबे समय से उनके वर्ष 2019 चुनाव नहीं लड़ने की चर्चा चल रही थी।
सुषमा स्वराज
भाजपा की वरिष्ठ नेता और विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने इंदौर में एक मीडिया कार्यक्रम के दौरान 2019 लोकसभा चुनाव न लड़ने का ऐलान किया था। इसके पीछे स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए उन्होंने कहा था इस बारे में पार्टी को अपनी मंशा से अवगत करा दिया है।
उमा भारती
केंद्रीय मंत्री उमा भारती ने कहा था कि उनकी मई से 18 माह तक तीर्थयात्रा पर जाने की योजना है। उमा भारती ने बताया था, 'मैंने 2016 में कहा था कि मैं चुनाव नहीं लड़ूंगी क्योंकि मुझे गंगा के तटों पर बसे तीर्थस्थानों पर जाना है। अगर मैं चुनाव लड़ती तो मैं झांसी से ही लड़ती। मैं अपना निर्वाचन क्षेत्र कभी नहीं बदल सकती। वहां के लोगों को मुझ पर गर्व है और वह मुझे अपनी बेटी जैसा मानते हैं।'
कलराज मिश्र
जिस दिन उम्मीदवारों की सूची आने वाली थी, उससे एक दिन पहले ही कलराज मिश्र ने ट्वीट कर कह दिया था कि वह चुनाव नहीं लड़ेंगे। फिलहाल कलराज मिश्र हरियाणा के प्रभारी हैं।
शांता कुमार
शांता कुमार ने पार्टी से कहा है कि वह अब चुनाव नहीं लड़ेंगे. शांता कुमार हिमाचल प्रदेश की कांगड़ा सीट से सांसद हैं।
करिया मुंडा
भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने पूर्व लोकसभा उपाध्यक्ष और आठ बार लोकसभा सदस्य रहे करिया मुंडा का लोकसभा चुनाव में झारखंड से उनका टिकट काटा। करिया मुंडा 1977 में पहली बार लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए थे। वह 2009 में लोकसभा उपाध्यक्ष बने थे। टिकट कटने से निराश 82 वर्षीय करिया मुंडा ने कहा, 'मैं खेती से लोकसभा गया था। मैं खेती की ओर फिर से लौटूंगा। मैं लोगों की सेवा के लिए राजनीति में था न कि निजी हित के लिए। भगवान ने मुझे बहुत कुछ दिया है।'
विजय चक्रवर्ती
भाजपा ने असम में मौजूदा सांसद विजय चक्रवर्ती का टिकट काटा। पार्टी की पहली सूची में चक्रवर्ती का नाम शामिल नहीं था। मौजूदा एवं तीन बार की सांसद विजय चक्रवर्ती की जगह पार्टी ने गुवाहाटी की महत्वपूर्ण सीट पर पूर्व मेयर क्वीन ओझा को तरजीह दी।
रमेश बैस
रायपुर से 7 बार सांसद रह चुके रमेश बैस का पार्टी ने टिकट काट दिया गया है। बैस को अपनी राजनीति जीवन में 9 बार टिकट मिला है। अटल सरकार में मंत्री भी रहे बैस इस बार चुनाव नहीं लड़ेंगे।
महासचिव रामलाल को सौंपी गई जिम्मेदारी
सूत्रों के मुताबिक, पार्टी के ऐसे बुजुर्ग नेताओं को चुनाव न लड़ने के लिए राजी करने की जिम्मेदारी संगठन महासचिव रामलाल को सौंपी गई। कहा गया कि वह पार्टी के संबंधित वरिष्ठ नेताओं से संपर्क कर अनुरोध करें कि वह चुनाव लड़ने की जगह आराम करें। कहीं सूची में नाम न होने पर जनता और पार्टी समर्थकों के बीच वरिष्ठों का अनादर करने का गलत संदेश न चला जाए, इसके लिए इन बुजुर्ग नेताओं से पहले से ही बयान जारी करवाया जाए कि वे चुनाव नहीं लड़ेंगे।
पार्टी महासचिव राम लाल ने बुजुर्ग नेताओं से संपर्क साधना शुरू किया। रामलाल ने मुरली मनोहर जोशी सहित शांता कुमार और कलराज मिश्र जैसे नेताओं से मुलाकात की। इसमें कलराज मिश्र और शांता कुमार सार्वजनिक रूप से यह घोषणा करने के लिए तैयार हो गए कि वह चुनाव नहीं लड़ेंगे। लेकिन लालकृष्ण आडवाणी ने जहां इससे इनकर कर दिया, वहीं जोशी ने पत्र लिखकर अपना दुख प्रकट किया है।