झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन ने कहा है कि कांग्रेस-झामुमो और राजद का मजबूत गठबंधन जनता की अपेक्षाएं पूरी करेगा। गठबंधन को विधानसभा चुनाव में बहुमत मिला है। सोरेने एक बार फिर राज्य के मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं। 81 सदस्यीय विधानसभा में उनके गठबंधन ने 47 सीटों पर जीत दर्ज की है।
अचूक रणनीति से भाजपा को हराने में सफलता
राज्य में 30 सीटों पर जीत दर्ज करके झामुमो ने सबसे बड़ी पार्टी होने का तमगा भी भाजपा से छीन लिया है। सोरेन दोनों सीटों दुमका और बैरहाट में जीत दर्ज करने में सफल रहे हैं। उन्होंने रांची में एक प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि चुनाव से पहले गठबंधन की अचूक रणनीति के चलते हम भाजपा को हराने में सफल रहे।
सरयू राय की तारीफ, पर मंत्री बनाने पर संशय
मुख्यमंत्री रघुवर दास को जमदेशपुर पूर्वी सीट पर हराने वाले भाजपा के बागी सरयू राय को कैबिनेट में शामिल किए जाने पर पूछे गए सवाल पर सोरेन ने कहा कि इसके बारे में सहयोगी दलों से कोई विचार विमर्श नहीं किया गया है। सोरेन ने कहा कि रघुवर दास सरकार में मंत्री पद से इस्तीफा देकर मुख्यमंत्री के खिलाफ चुनाव लड़ने का सरयू राय ने साहसिक फैसला किया। उन्होंने विपक्षी उम्मीदवारों का समर्थन किया जिससे चुनाव और रोचक हो गए।
मोदी ने जिन मुद्दों को नकारा, वही हावी रहे
कांग्रेस झारखंड के प्रभारी आरपीएन सिंह ने कहा कि तीनों पार्टियों के कार्यकर्ताओं ने बिना थके और एकजुट होकर काम किया जिसके कारण हमें विजय मिली। उप मुख्यमंत्री होने के सवाल को वह टाल गए। उन्होंने कहा कि अभी इसके बारे में कोई चर्चा नहीं हुई है। उन्होंने कहा कि बेरोजगारी, किसानों की आत्महत्या और भ्रष्टाचार के मुद्दे इस चुनाव में हावी रहे। लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इन्हें मुद्दा नहीं माना। उन्होंने कहा कि झारखंड चुनाव के नतीजों का असर दिल्ली, बिहार और अन्य राज्यों में होने वाले चुनाव पर भी पड़ेगा।
नई सरकार के सामने कई कठिन चुनौतियों
चुनाव में भारी जीत से उत्साहित हेमंत सोरेने को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। मुख्यमंत्री रघुवर दास राज्य पर 85,234 करोड़ रुपये का कर्ज छोड़कर जा रहे हैं। जब 2014 में उनकी सरकार बनी थी, तब राज्य पर 37,593 करोड़ रुपये कर्ज था। सरकार ने उनके कार्यकाल में कुल बकाए कर्ज से भी ज्यादा लोन लिया। राज्य की पिछली सरकारों के कुल कर्ज से ज्यादा कर्ज रघुवर दास की सरकार ने लिया। हेमंत सोरेन के सामने कर्ज का बोझ घटाना पड़ी चुनौती होगा। किसानों पर करीब 6000 करोड़ रुपये कर्ज बाकी है। नई सरकार से उन्हें राहत की उम्मीद है। नई सरकार के सामने किसानों को कर्ज से मुक्ति दिलाने की भी बड़ी चुनौती होगी। यही नहीं, 2000 में बने इस राज्य की 36.96 फीसदी जनता अभी भी गरीबी रेखा के नीचे है। गरीब राज्य के तमगे से मुक्ति दिलाने भी कठिन चुनौती होगी। मुखमरी के कारण मौतों के लिए राज्य बार-बार सुर्खियों में आता है। राज्य में हर साल 50 लाख टन अनाज की खपत होती है जबकि यहां उत्पादन ज्यादा से ज्यादा 40 लाख टन होता है। गरीबी और अनाज की कमी से निपटना भी नए सरकार के लिए मुश्किल होगा। झारखंड के कई जिलों में माओवादियों पर अंकुश लगाया जा चुका है। लेकिन अभी भी 13 जिलों में उनके प्रभाव को खत्म करना नई सरकार की चुनौती होगा। इसके अलावा मॉब लिंचिंग और बेरोजगारी की समस्याओं का भी सरकार को समाधान निकालना होगा।