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तीसरे नंबर पर रहे नोटा ने कई सीटों पर बिगाड़ा खेल

गुजरात में करीब 1.8 फीसदी मतदाताओं ने ईवीएम में नोटा का बटन दबाया। हिमाचल प्रदेश में ऐसे मतदाता 0.9 फीसदी...
तीसरे नंबर पर रहे नोटा ने कई सीटों पर बिगाड़ा खेल

गुजरात में करीब 1.8 फीसदी मतदाताओं ने ईवीएम में नोटा का बटन दबाया। हिमाचल प्रदेश में ऐसे मतदाता 0.9 फीसदी हैं। 2013 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद नोटा का बटन ईवीएम पर आखिरी विकल्प के रूप में जोड़ा गया। यानी गुजरात और हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव में इसका इस्तेमाल पहली बार हुआ है। नोटा विकल्प मतदाता को आधिकारिक रूप से इस बात का अधिकार देता है कि वह चुनाव लड़ रहे सभी उम्मीदवारों को खारिज कर दे।

गुजरात में नोटा दबाने वाले मतदाताओं की संख्या 5.5 लाख है। प्रतिशत के हिसाब से गुजरात में भाजपा और कांग्रेस के बाद नोटा तीसरे पायदान पर रहा। भाजपा को 49, कांग्रेस को 41.4 और निर्दलीयों को 4.3 फीसदी वोट मिले हैं। कम से कम 16 सीटें ऐसी हैं जिनमें नोटा को हार के अंतर से अधिक वोट मिले हैं। इसमें चार सीटें ऐसी रहीं जहां हार का अंतर 170 से लेकर एक हजार वोट तक है, जबकि वहां नोटा को 21 सौ से लेकर 38 सौ तक वोट मिले हैं। मुख्यमंत्री विजय रुपाणी की राजकोट पश्चिम विधानसभा क्षेत्र में भी नोटा को करीब 3300 वोट मिले।

हिमाचल प्रदेश में भाजपा 48.7 फीसदी वोट पाने में कामयाब रही, जबकि कांग्रेस के खाते में 41.8 फीसदी वोट गए। निर्दलीयों ने 6.3 फीसदी वोट हासिल किए। माकपा ने 1.5 प्रतिशत वोट पाया जो नोटा से अधिक है। पर बसपा से ज्यादा वोट नोटा को मिले। बसपा को कुल 17 हजार 335 वोट मिले, वहीं 32 हजार 656 लोगों ने नोटा का इस्‍तेमाल किया।

साल की शुरुआत में जिन पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव हुए थे उसमें सबसे अधिक नोटा बटन मतदाताओं ने गोवा में दबाया। उत्तराखंड दूसरे नंबर पर रहा था। चुनाव आयोग के आंकड़ाें के मुताबिक गोवा में 1.2 फीसदी मतदाताओं ने नोटा का बटन दबाया। उत्तराखंड में ऐसे मतदाता एक फीसदी थे। उत्तर प्रदेश में 0.9 फीसदी, पंजाब में 0.7 और मणिपुर में 0.5 फीसदी मतदाताओं ने नोटा का बटन दबाया था।

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