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अब आधार से जुड़ेगा वोटर कार्ड, वोटिंग में फर्जीवाड़ा रोकने के लिए मोदी सरकार का बड़ा कदम

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने चुनाव सुधारों को लेकर एक अहम फैसला लिया है। इसमें बुधवार को एक विधेयक को...
अब आधार से जुड़ेगा वोटर कार्ड, वोटिंग में फर्जीवाड़ा रोकने के लिए मोदी सरकार का बड़ा कदम

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने चुनाव सुधारों को लेकर एक अहम फैसला लिया है। इसमें बुधवार को एक विधेयक को मंजूरी दी गई, जिसमें फर्जी मतदान और वोटर लिस्ट में दोहराव को रोकने के लिए मतदाता पहचान पत्र को आधार कार्ड से जोड़ने, एक ही मतदाता सूची तैयार करने जैसे फैसले शामिल हैं। चुनावी सुधारों को देखते हुए इस फैसले को बेहद अहम माना जा रहा है। केंद्र सरकार ने ये फैसला चुनाव आयोग की सिफारिश के बाद लिया है।

मंत्रिमंडल की ओर से मंजूर किए गए विधेयक में सर्विस वोटर्स के लिए चुनावी कानून को 'जेंडर न्यूट्रल' भी बनाया जाएगा। विधेयक में यह प्रावधान भी किया गया है कि अब एक साल में चार अलग-अलग तारीखों पर मतदाता के रूप में युवा नामांकन कर सकेंगे।

वर्तमान में यह व्यवस्था थी कि एक जनवरी को कट ऑफ की तारीख होने के कारण मतदाता सूची से कई युवा वंचित रह जाते थे। मसलन एक कट ऑफ तिथि होने की वजह से 2 जनवरी को युवा 18 साल की आयु पूरी होने के बाद भी पंजीकरण नहीं करा पाता थे। ऐसे में उन्हें लंबा इंतजार करना पड़ता था, लेकिन अब विधेयक में सुधार के बाद अब उन्हें साल में चार बार नामांकन करने का मौका मिल सकेगा।

कानून मंत्रालय से सेवा मतदाताओं से संबंधित लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम के प्रावधान में 'पत्नी' शब्द को 'पति/पत्नी' से बदलने के लिए कहा था। साथ ही चुनाव आयोग पंजीकरण करने की अनुमति देने के लिए कई कट-ऑफ तारीखों पर जोर दे रहा था।

विधि एवं न्याय मंत्रालय ने हाल ही में संसद की एक समिति को बताया था कि उसका जन प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 14बी में संशोधन का प्रस्ताव है, ताकि पंजीकरण के लिए हर वर्ष चार कट ऑफ तिथि एक जनवरी, एक अप्रैल, एक जुलाई तथा एक अक्टूबर शामिल किया जा सके।

सामान्यतः लोग अपने गांव के साथ उन शहर या महानगर में भी वोट डाल देते  हैं, जहां वो कामकाज करते हैं। ऐसे में मतदाता सूची में कई जगह नाम शामिल हो जाता है, लेकिन आधार से जुड़ने के बाद कोई भी नागरिक सिर्फ एक जगह ही वोट डाल पाएगा। हालांकि सरकार की ओर से जो सुधार किया गया है, उसके तहत स्वैच्छिक आधार पर मतदाता सूची को आधार से जोड़ा जा सकेगा।

इस विधेयक में चुनाव संबंधी कानून को सैन्य मतदाताओं के मामले में लैंगिक तौर पर निरपेक्ष बनाने का प्रावधान है. मौजूदा चुनावी कानून इसमें भेदभाव करता है, मसलन पुरुष फौजी की पत्नी को सैन्य मतदाता के रूप में अपना पंजीकरण कराने की सुविधा मौजूदा कानून में है, लेकिन महिला फौजी के पति को ऐसी कोई सुविधा नहीं है। निर्वाचन आयोग ने कानून मंत्रालय से सिफारिश की थी कि चुनाव कानून में पत्नी शब्द की जगह जीवन साथी यानी वाइफ की जगह स्पाउस लिख दिया जाए, तो समस्या हल हो सकती है।

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