पार्लियामेंट ऑपरेशन सिंदूर से जुड़ी चर्चाओं के लिए तैयार हो रहा है। विपक्ष इस मुद्दे को लेकर सरकार से कई तीखे सवाल कर सकता है। वहीं, सरकार इस ऑपरेशन को अपनी सफलता बताते हुए अपनी पीठ थपथपाने की कोशिश करेगी। लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या कांग्रेस सांसद शशि थरूर इस चर्चा में भाग लेंगे?
ऐसा इसलिए क्योंकि ऑपरेशन सिंदूर से जुड़े मामले में जो डेलीगेशन विदेशों में गया था, उसमें थरूर भी शामिल थे। इस दौरान उन्होंने केंद्र सरकार के इस निर्णय की पार्टी के रुख से अलग हटकर जमकर सराहना की थी।
शशि थरूर ऑपरेशन सिंदूर के मुद्दे पर सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व की तारीफ़ कर चुके हैं, जबकि कांग्रेस इस मुद्दे पर सरकार पर हमलावर है। देखना दिलचस्प होगा कि थरूर इस चर्चा में हिस्सा लेते हैं या नहीं। और अगर वे हिस्सा लेते हैं, तो क्या उनका रुख पार्टी लाइन के अनुरूप होगा या वे सदन में भी सरकार की तारीफ़ करते नजर आएंगे?
हालांकि, जब उनसे पूछा गया कि क्या वे संसद में ऑपरेशन सिंदूर को लेकर हो रही चर्चा में हिस्सा लेंगे, तो उन्होंने सिर्फ दो शब्दों में जवाब दिया— "मौनव्रत, मौनव्रत।" इसके बाद उन्होंने न तो मीडिया से कोई सवाल लिया और न ही अपने जवाब का मतलब स्पष्ट किया। थरूर का यह बयान राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बन गया है।
हाल ही में कांग्रेस और उनके बीच तकरार काफी बढ़ गई है। कयास लगाए जा रहे हैं कि थरूर जल्द ही पार्टी छोड़ सकते हैं। यह भी एक बड़ा सवाल है कि क्या कांग्रेस उन्हें ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा करने के लिए नामित करेगी? राजनीतिक पंडितों की मानें तो कांग्रेस आलाकमान से उनके बिगड़ते रिश्ते को देखते हुए इसकी संभावना काफी कम है।
पिछले हफ्ते शुरू हुए संसद के मानसून सत्र में कांग्रेस ने पहलगाम हमले और ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा की मांग कई बार की है। कांग्रेस ने इस दौरान सदन में प्रधानमंत्री की उपस्थिति की भी मांग की है। पार्टी नेता जयराम रमेश ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हालिया विदेश यात्राओं पर भी हमला बोला और कहा कि वह घरेलू समस्याओं के प्रति गंभीर नहीं हैं।