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कांग्रेस, शिवसेना, TMC, CPI और CPM के 12 राज्यसभा सांसद मौजूदा शीतकालीन सत्र से निलंबित, मानसून सत्र में किया था हंगामा

संसद के मौजूदा शीतकालीन सत्र से विपक्षी दलों के 12 सांसदों को राज्यसभा से निलंबित कर दिया गया है। यह...
कांग्रेस, शिवसेना, TMC, CPI और CPM के 12 राज्यसभा सांसद मौजूदा शीतकालीन सत्र से निलंबित, मानसून सत्र में किया था हंगामा

संसद के मौजूदा शीतकालीन सत्र से विपक्षी दलों के 12 सांसदों को राज्यसभा से निलंबित कर दिया गया है। यह निलंबन उनके मानसून सत्र में हंगामे के चलते की गई है। इन सांसदों को पूरे सत्र के लिए निलंबित किया गया है, यानि ये सदन की कार्यवाही में शामिल नहीं हो सकेंगे। जिन सांसदों को सस्पेंड किया गया है, उनमें कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और शिवसेना के सांसद शामिल हैं। सांसदों पर आरोप है कि उन्होंने 11 अगस्त को पिछले मानसून सत्र में राज्यसभा में हंगामा किया है जिस पर यह एक्शन लिया गया है।

जिन सांसदों  निलंबित किया गया है उनमें मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के इलामारम करीम, कांग्रेस की फूलों देवी नेताम, छाया वर्मा, रिपुन बोरा, राजमणि पटेल, सैयद नासिर हुसैन, अखिलेश प्रताप सिंह, तृणमूल कांग्रेस की डोला सेन और शांता छेत्री, शिव सेना की प्रियंका चतुर्वेदी और अनिल देसाई तथा भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के विनय विस्वम शामिल हैं।

उपसभापति हरिवंश की अनुमति से संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने इस सिलसिले में एक प्रस्ताव रखा जिसे विपक्षी दलों के हंगामे के बीच सदन ने मंजूरी दे दी। राज्यसभा से निलंबित किए जाने पर शिवसेना की सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा है कि हमारा पक्ष जाने बिना कार्रवाई की गई है। उन्होंने कहा कि सीसीटीवी फुटेज देखें तो यह पता चल जाएगा कि पुरुष मार्शल महिला सांसदों को पीट रहे हैं। एक तरफ ये सब है और दूसरी तरफ आपका फैसला? यह कैसा असंसदीय व्यवहार है?

प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा कि डिस्ट्रिक्ट कोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक, एक आरोपी को वहां भी सुना जाता है, उनके लिए वकील भी उपलब्ध कराए जाते हैं, कभी-कभी सरकारी अधिकारियों को उनका पक्ष लेने के लिए भेजा जाता है। यहां हमारा पक्ष नहीं लिया गया।

कांग्रेस की सांसद छाया वर्मा ने कहा कि यह निलंबन अनुचित और अन्यायपूर्ण है। अन्य दलों के कई सदस्यों ने भी हंगामा किया था लेकिन अध्यक्ष ने मुझे निलंबित कर दिया। पीएम मोदी जैसा चाहते हैं वैसा ही कर रहे हैं क्योंकि उनके पास भारी बहुमत है।

कांग्रेस सांसद रिपुन बोरा ने कहा कि हां, हमने पिछले सत्र में विरोध किया था। हमने किसानों, गरीब लोगों के लिए विरोध किया था और सांसदों के रूप में यह हमारा कर्तव्य है कि हम उत्पीड़ित, वंचितों की आवाज उठाएं। संसद में आवाज नहीं उठाएंगे तो कहां करेंगे ? उन्होंने कहा कि  यह पूरी तरह से अलोकतांत्रिक है; लोकतंत्र और संविधान की हत्या है। हमें सुनवाई का अवसर नहीं दिया गया है। यह एकतरफा, पक्षपाती, प्रतिशोधी निर्णय है। विपक्षी दलों से सलाह नहीं ली गई।

मॉनसून सत्र में राज्यसभा में हंगामे के दौरान धक्का-मुक्की करने और सदन की मर्यादा का कथित तौर पर उल्लंघन करने के आरोपों के बाद राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू ने इस मामले की जांच के लिए एक समिति गठित की जिसकी सिफारिशों के आधार पर इन सांसदों के खिलाफ आज कार्रवाई की गई। संसद का शीतकालीन सत्र आज से शुरू हुआ है और यह 23 दिसंबर तक प्रस्तावित है।

बता दें कि 11 अगस्त को इंश्योरेंस बिल पर चर्चा के दौरान राज्यसभा में जमकर हंगामा हुआ था। संसद के अंदर खींचातानी भी होने लगी थी। मामले को शांत कराने के लिए मार्शलों को बुलाना पड़ गया था। उस दिन हुए हंगामे पर राज्यसभा के सभापति औ और उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने कहा था कि 'जो कुछ सदन में हुआ है, उसने लोकतंत्र के मंदिर को अपवित्र किया है।' 

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