एलजी और दिल्ली सरकार के बीच अधिकारों को लेकर चल रहे विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। शीर्ष अदालत ने कहा है कि उपराज्यपाल दिल्ली में फैसला लेने के लिए स्वतंत्र नहीं हैं, एलजी को कैबिनेट की सलाह के मुताबिक ही काम करना होगा।
अदालत के फैसले के बाद दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने खुशी जाहिर करते हुए इसे लोकतंत्र की जीत करार दिया है। उन्होंने ट्वीट कर कहा कि यह दिल्ली के लोगों के लिए बड़ी जीत है। लोकतंत्र के लिए एक बड़ी जीत है।
बता दें कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी थी। जिसमें कोर्ट ने कहा था कि उपराज्यपाल ही दिल्ली के प्रशासनिक मुखिया हैं और कोई भी निर्णय उनकी मंजूरी के बिना नहीं लिया जाए।
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, आप के राज्यसभा सदस्य और पार्टी प्रवक्ता संजय सिंह ने कहा “जनता उसके हित के लिए काम करने की उम्मीद से सरकार चुनती है, लेकिन दिल्ली में चुनी हुई सरकार को काम नहीं करने दिए जाने से जनता निराश थी, सर्वोच्च अदालत का फैसला दिल्ली की जनता की जीत है।”
अदालत के फैासले पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए पार्टी नेता राघव चड्ढा ने कहा “फ़ैसले से साफ़ है कि ज़मीन, पुलिस और क़ानून व्यवस्था दिल्ली सरकार के अधीन नहीं है। इन तीन विषयों को छोड़ कर, चाहे वो बाबुओं के तबादला का मसला हो या अन्य मामले हों, वे सब अब दिल्ली सरकार के अधीन आ जाएँगे।”
आप नेता दिलीप पांडे ने ट्वीट कर कहा “बधाई हो, दिल्ली! आप की जीत हुई, दिल्ली की जीत हुई, सुप्रीम कोर्ट ने जनतंत्र को सर्वोच्च रखा। जनता के अधिकारों के सम्मान का दिन है।’’
पांडे ने इसे अहंकार की हार बताते हुए कहा “अब फाइलें एलजी दफ्तर के बेवजह चक्कर लगाकर दम नहीं तोड़ेंगी। सेवा सम्बंधी मामले में भी एलजी का हस्तक्षेप ख़त्म।” उन्होंने कहा कि अब जनता का शासन होगा, घर घर राशन होगा, सीसीटीवी कैमरा भी होगा, मोहल्ला क्लिनिक इत्यादि भी समय से बन सकेंगे।
संजय सिंह ने ट्वीट कर कहा “न्यायपालिका ने लोकतंत्र के स्तम्भ को मजबूत किया, सुप्रीम कोर्ट के फैसले से साबित हो गया कि देश आम आदमी के वोट से चलेगा, लाट साहेब के डंडे से नही।”
आप सरकार उपराज्यपाल के साथ अधिकारों की लड़ाई लंबे समय से जारी रही है। पहले तत्कालीन एलजी नजीब जंग और केजरीवाल सरकार के बीच टकराव सामने आया। इसके बाद केजरीवाल ने जंग की तुलना तानाशाह हिटलर तक से की। उसके बाद दिसंबर, 2016 में अनिल बैजल के उपराज्यपाल बनने के बाद भी यह लड़ाई चल रही है। मुख्य सचिव अंशु प्रकाश के साथ मारपीट के बाद अधिकारियों की हड़ताल और घर-घर राशन वितरण की योजना को मंजूरी नहीं देने पर भी विवाद रहा। यही कारण है कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल हमेशा उपराज्यपाल पर फाइलें अटकाने का आरोप लगाते जड़ते हैं। हाल ही में वो अपने तीन मंत्रियों के साथ 9 दिनों तक एलजी ऑफिस में धरने पर बैठे थे।