शशिकांत वत्स
गुजरात विधानसभा चुनावों में भाजपा का कोई प्रभाव दिखाई नहीं देता। भाजपा ध्रुवीकरण के जरिए चुनाव जीतना चाहती है लेकिन स्थानीय लोग अब उसके इस झांसे में आने वाले नहीं है। अभी तक मोदी के नाम पर चुनाव लड़ा जाता रहा है लेकिन अब भाजपा के सामने नेतृत्व और नीति का संकट है तो कांग्रेस भी अंदरूनी कलह के कारण सशक्त नहीं कही जा सकती है।
यह कहना है दिल्ली के मंत्री और आप पार्टी के गुजरात के प्रभारी गोपाल राय का। हाल में गुजरात का दौरा कर लौटे है। वहां चुनाव की जमीनी हकीकतों पर एक खास मुलाकात में उन्होंने माना कि इन चुनावों में उनकी पार्टी केवल कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ाए रखने के लिए कुछ ही सीटों पर चुनाव लड़ेगी क्योंकि कार्यकर्ता जरूर लंबे समय से काम कर रहे है। उनकी मांग पर आप ने गुजरात में चुनाव लड़ने का फैसला लिया है। पंजाब और गोवा के नतीजों के बाद पहले पार्टी ने चुनाव नहीं लड़ने का फैसला लिया था। इसी की कारण भ्रम के हालात बने। पार्टी ने फैसला देरी से लिया है जिसके कारण पार्टी खुद वहां अपनी मजबूत स्थिति नहीं मानती। आप का नारा है, भाजपा हराओ, परिवर्तन लाओ। जहां हमारी स्थिति कमजोर है वहां भाजपा विरोधी का समर्थन करेंगे।
गोपाल राय ने कहा कि गुजरात में मुख्य तौर पर बिजली, पानी, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे ही बुनियादी मुद्दे हैं। शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी चीजें एकदम खराब हालात में है। आप इसी पर वह फोकस कर रही है। वहां लोगों को इतना जरूर पता है कि दिल्ली में आप अच्छा काम कर रही है जो विकास का मॉडल गुजरात में दे सकती है। जहां तक भाजपा का सवाल है तो सत्तारूढ़ दल के चलते लोगों में असंतोष है। भाजपा ने चुनाव के दौरान किसानों से कपास के दाम डेढ़ गुऩा देने का वादा किया था जो पूरा नहीं हुआ है। नर्मदा को लेकर पानी का मसला जस का तस पड़ा है। दलितों और पाटीदारों की समस्याएं भी अनसुलझी हैं।
आप नेता ने कहा, भाजपा केवल हिंदू मुस्लिम की राजनीति करना चाहती है। जिन पाटीदारों को गोलियां लगी वह हिंदू ही थे और उनके परिवारों तक को न्याय नहीं मिल पाया है। भाजपा का समर्थक वोटर ही उससे नाराज है। भाजपा की गौरव गाथा भी कहीं नजर नहीं आती। गुजरात में अभी तक मोदी के चेहरे पर चुनाव लड़ा जाता था। लोगों में अमित शाह के नाम पर गुस्सा है और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विजय रूपाणी भी उतने प्रभावी नहीं हैं।
कांग्रेस पर उन्होंने कहा, उसका 22 सालों का रिकार्ड है और पार्टी की अपनी अंदरूनी कलह है। अगर उम्मीदवार सही मिले तो विकल्प के तौर पर कांग्रेस को लोग चुनना पसंद कर सकते हैं। कांग्रेस का सारा दारोमदार उम्मीदवार पर ही निर्भर करेगा। हां इतना जरूर है कि लंबे समय से सत्ता पर काबिज भाजपा को लोग बदलना चाहते हैं। जहां तक आप का सवाल है तो वह सरकार बनाने के लिए नहीं लड़ रही है। उसका मकसद मॉडल विधानसभा का निर्माण करना है और भविष्य के लिए यह चुनाव लड़ रही है। आप नेता ने गुजरात के चुनाव घोषित न करने के चुनाव आयोग के फैसले को शर्मनाक कदम बताते हुए कहा कि आयोग भाजपा के एक टूल की तरह काम कर रहा है।