आम आदमी पार्टी ने रविवार को कहा कि पार्टी ने अपने राष्ट्रीय संयुक्त सचिव भबन चौधरी को पद से हटाने के पांच महीने बाद उन्हें असम इकाई का कार्यवाहक राज्य अध्यक्ष नियुक्त किया है।
चूंकि पार्टी के स्थायी अध्यक्ष मनोज धनोवर "व्यक्तिगत कारणों" से सक्रिय नहीं हैं, इसलिए शनिवार को हुई बैठक में कार्यकारी समिति ने सर्वसम्मति से चौधरी को इस पद के लिए चुना।
पिछले साल सितंबर में धनोवर के प्रदेश अध्यक्ष का कार्यभार संभालने से पहले चौधरी आप असम के प्रमुख थे।
पदभार ग्रहण करने के तुरंत बाद चौधरी ने "बढ़ती राजनीतिक हिंसा, लोकतांत्रिक विरोधों के दमन और विपक्षी नेताओं और उनके परिवारों के खिलाफ जानबूझकर चलाए जा रहे बदनामी अभियानों" की निंदा की।
उन्होंने एक बयान में कहा, "भाजपा सरकार विपक्ष की आवाज को दबाकर व्यवस्थित रूप से लोकतंत्र की हत्या कर रही है। चाहे वे कितना भी दमन करें, असम के लोग उन्हें 2026 में करारा जवाब देंगे।"
बढ़ते सार्वजनिक असंतोष' पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने दावा किया कि सरकार आसमान छूती कीमतों, सांप्रदायिक टिप्पणियों, वनों की कटाई के कारण पर्यावरण विनाश और असम में बार-बार आने वाली बाढ़ जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों को हल करने में विफल रही है।
चौधरी ने कहा, "आम लोगों में निराशा हर दिन बढ़ रही है और इसके जवाब में भाजपा जानबूझकर जनता में भय पैदा करने के लिए अराजक माहौल बना रही है।"
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि भाजपा सरकार 2026 के विधानसभा चुनावों से पहले जनता की असहमति को रोकने के लिए भय की रणनीति का इस्तेमाल कर रही है।
चौधरी ने कहा, "यदि गृह विभाग पर पूर्ण नियंत्रण रखने वाली डबल इंजन वाली सरकार अराजकता को नहीं रोक सकती, तो इससे केवल यही साबित होता है कि राजनीतिक लाभ के लिए जानबूझकर ऐसी स्थिति पैदा की जा रही है।"
उन्होंने असम लोक सेवा आयोग (एपीएससी) घोटाले पर न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) बिप्लब कुमार शर्मा आयोग की एक सदस्यीय रिपोर्ट की भी आलोचना की तथा इसे राजनीति से प्रेरित दस्तावेज बताया।
उन्होंने दावा किया, "जांच में प्रमुख गवाहियों को नजरअंदाज किया गया तथा केवल आरोपी के बयान को ही आगे बढ़ाया गया, जिसे न्यायपालिका भी विश्वसनीय नहीं मानती। यह विपक्षी नेतृत्व को बदनाम करने की स्पष्ट साजिश है।"
17 फरवरी को असम विधानसभा में पेश की गई रिपोर्ट में मुख्य आरोपी राकेश कुमार पॉल को पहले एपीएससी का सदस्य और बाद में अध्यक्ष नियुक्त करने में पूर्व मुख्यमंत्री तरुण गोगोई की भूमिका जांच के दायरे में आई है।
चौधरी ने विपक्षी सांसदों और विधायकों के जीवनसाथियों की "लक्षित बदनामी" की भी निंदा की तथा आश्चर्य व्यक्त किया कि सरकार उमरंगसो में अवैध कोयला खनन और सत्तारूढ़ पार्टी के सदस्यों की आय से अधिक संपत्ति जैसे अधिक गंभीर आरोपों की जांच करने में विफल क्यों रही।
उन्होंने कहा, "राजनीतिक प्रतिशोध के लिए पूरी प्रशासनिक मशीनरी का दुरुपयोग किया जा रहा है।"
चौधरी ने दावा किया कि मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा के नेतृत्व में भाजपा सरकार ने असम की राजनीति को "अब तक के सबसे निचले स्तर" पर पहुंचा दिया है और इसे शासन के बजाय व्यक्तिगत दुश्मनी के युद्ध के मैदान में बदल दिया है।
उन्होंने कहा, "यह प्रवृत्ति असम की राजनीतिक व्यवस्था के भविष्य के लिए बेहद खतरनाक है।"