समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने बुधवार को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मौलवी और कठमुल्ला वाले बयान पर कटाक्ष किया और उनकी उर्दू भाषा वाली टिप्पणी को लेकर पलटवार करते हुए कहा कि सीएम राज्य की शिक्षा और प्रगति के प्रति 'लापरवाह' हैं।
यादव ने मुख्यमंत्री से इस बंद के बारे में सवाल किया और कहा कि पूरे भारत में 11 लाख प्राथमिक स्कूल बंद कर दिए गए हैं, जिनमें से अधिकांश उत्तर प्रदेश में हैं।
एएनआई से बात करते हुए यादव ने कहा, "यह बहुत स्पष्ट है कि सीएम का भाषा या प्रगति से कोई लेना-देना नहीं है। अगर आप रिकॉर्ड देखें तो 11 लाख प्राथमिक स्कूल बंद हो चुके हैं। कितने इंटरमीडिएट स्कूल खोले गए हैं? चाहे वह पॉलिटेक्निक हो, आईटीआई हो या इंजीनियरिंग हो, सरकार इनमें से कितने का ध्यान रख रही है?"
उन्होंने कहा, शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार कैसे किया जाए? समय-समय पर रिपोर्ट आती रही हैं। सरकार को यह सोचना चाहिए कि 11 लाख प्राथमिक स्कूल बंद हो चुके हैं, उनमें से अधिकांश यूपी में हैं।"
सपा नेता माता प्रसाद पांडेय जो विपक्ष के नेता हैं, ने यूपी के सीएम पर जानबूझकर इसे हिंदू-मुस्लिम विषय बनाने का आरोप लगाया।
उन्होंने कहा, "उर्दू भी एक भाषा है। विधानसभा में उठाया गया मामला एक अलग परिप्रेक्ष्य में था, लेकिन उन्होंने (उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ) हिंदू-मुस्लिम के अपने एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए उर्दू के बारे में बात की। हम विधानसभा में अंग्रेजी भाषा के प्रवेश का विरोध कर रहे थे, लेकिन किसी तरह मामला उर्दू भाषा का हो गया।"
यादव की यह टिप्पणी उत्तर प्रदेश विधानसभा में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के उस बयान के बाद आई है जिसमें उन्होंने कहा था कि सपा बच्चों को मौलवी बनाने के लिए उर्दू को बढ़ावा देना चाहती है।
विधानसभा में सीएम योगी ने कहा, "आप लोगों की यही समस्या है, आप (समाजवादी पार्टी) हर अच्छे काम का विरोध करते हैं जो राज्य के हित में है। इस तरह के विरोध की निंदा की जानी चाहिए। ये लोग अपने बच्चों को अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में पढ़ाएंगे लेकिन अगर सरकार दूसरों के बच्चों को सुविधाएं देना चाहती है, तो वे उन्हें उर्दू पढ़ाएंगे, वे उन्हें मौलवी और कठमुल्ला बनाना चाहते हैं।"
सपा विधानसभा में अनुवाद की भाषा में उर्दू भाषा को शामिल करने की मांग कर रही थी। उत्तर प्रदेश विधानसभा की कार्यवाही अब अनुवादक की सुविधा से लैस हो गई है। विज्ञप्ति के अनुसार, कार्यवाही अब अवधी, ब्रज, भोजपुरी, बुंदेली और अंग्रेजी भाषा में उपलब्ध है।