ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने ओबीसी आरक्षण मामले को एक बार फिर उठाया है। ओवैसी ने मांग की है कि रिजर्वेशन कोटा की 50 फीसदी लिमिट को बढ़ा देना चाहिए। ओवैसी ने रोहिणी कमीशन की रिपोर्ट का जिक्र करते हुए आरक्षण कोटा बढ़ाने की मांग की।
ओवैसी ने एक्स (पहले ट्विटर) पर लिखा, "भारत की 50% से अधिक आबादी मात्र 27% (आरक्षण) के लिए प्रतिस्पर्धा करने के लिए मजबूर है। नरेंद्र मोदी सरकार को 50% (आरक्षण) की सीमा को बढ़ाना चाहिए और उन जातियों के लिए आरक्षण का विस्तार करना चाहिए जो आरक्षण से कभी लाभ नहीं उठा सकते। कुछ प्रमुख जातियों ने सभी लाभों पर कब्जा कर लिया है।"
ओवैसी ने आगे कहा, "सब क्लासिफिकेशन समानता के आधार पर किया जाना चाहिए ताकि एक छोटे बुनकर परिवार के बच्चे को पूर्व जमींदार के बेटे के साथ मुकाबला करने के लिए मजबूर न होना पड़े, जो समुदाय राज्य की बीसी सूची में शामिल हैं, उन्हें सीधे केंद्रीय ओबीसी सूची में शामिल किया जाना चाहिए।"
Over 50% of India’s population is forced to compete for a paltry 27%. @narendramodi govt must breach the 50% ceiling limit & expand reservations for those groups that could never benefit from reservations. A few dominant castes have cornered all benefitshttps://t.co/Y8qNAANUzl
— Asaduddin Owaisi (@asadowaisi) September 2, 2023
Sub-classification should be done on the basis of parity so that the child of a small weaver family is not forced to compete with a former zamindar’s son
Those communities that are included in state BC list should automatically be included in Central OBC list
— Asaduddin Owaisi (@asadowaisi) September 2, 2023
जानें क्या है रोहिणी कमीशन?
रिपोर्ट्स के मुताबिक, रोहिणी कमीशन की रिपोर्ट में 2600 से ज्यादा ओबीसी जातियों की एक लिस्ट उपलब्ध कराई गई है। रोहिणी कमीशन की रिपोर्ट 1 हजार से ज्यादा पन्नों की है। यह दो भागों में है। पहले भाग में सुझाव दिए गए हैं कि ओबीसी कोटा कैसे दिया जाना चाहिए। वहीं, दूसरे भाग में 2,633 ओबीसी जातियों की अपडेटेड लिस्ट दी गई है।
ओबीसी आरक्षण पर रोहिणी कमीशन का कहना है कि सब-क्लासीफिकेशन का उद्देश्य ओबीसी के बीच एक नई हायरार्की स्थापित करना नहीं है, बल्कि सभी को समान मौके देना है। रोहिणी कमीशन को अक्टूबर, 2017 में बनाया गया था, इसे सुनिश्चित करना था कि आरक्षण का लाभ कुछ प्रमुख ओबीसी तक ही सीमित न रहे।