असम में हुए विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को शानदार जीत मिली है। लेकिन, पार्टी के भीतर लगातार खींचातानी की स्थिति बनी हुई है। अभी मुख्यमंत्री के चेहरे को लेकर रस्साकशी थमा भी नहीं था कि पार्टी ने अपनी एक इकाई अल्पसंख्यक मोर्चे को ही भंग कर दिया है। वहीं, पार्टी के नवनिर्वाचित विधायक दो धड़ों में बंट गए हैं। एक धड़ा मौजूदा मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल का समर्थन कर रहा है जबकि दूसरा धड़ा हिमंता बिस्व सरमा को मुख्यमंत्री बनाए जाने के पक्ष में है।
इस विधानसभा चुनाव में अल्पसंख्यक मोर्चा का प्रदर्शन बेहतर नहीं रहा है। इस चुनाव में भाजपा के नेतृत्व वाले गठबंधन को 126 सदस्यीय विधानसभा वाले चुनाव में 75 सीटों के साथ बहुमत पार का आंकड़ा मिला है। लेकिन, सीएम कौन बनेगा ये तय नहीं हो पाया है। गठबंधन में अकेले भाजपा को 33.21 फीसद मत पाकर 60 सीटें मिली हैं।
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हिंदुस्तान अखबार के मुताबिक असम में मुस्लिम बहुल इलाकों की सीटों पर जीत के लिए बीजेपी ने बाघबार, बिलासीपारा पश्चिम, रूपोहीहाट, लहरीघाट, दक्षिण सलमारा और सोनाई से उम्मीदवार मैदान में उतारे गए थें। वहीं, भाजपा के साथ गठबंधन में असम गण परिषद (एजीपी) ने मुस्लिम बहुल इलाकों की सीटें- चेंगा, जलगांव और जमुनामुख से उम्मीदवार मैदान में उतारे थे। लेकिन, बहुत कम मार्जिन के साथ बीजेपी को मुंह की खानी पड़ी।
भाजपा की मुश्किलें शानदार जीत के बाद भी असम में कम होती नहीं दिखाई दे रही है। सूत्रों के मुताबिक, केंद्रीय पर्यवेक्षक के तौर पर केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के मंगलवार को गुवाहाटी मुख्यमंत्री चेहरों पर चल रही खींचातानी को लेकर, उनके पहुंचने की संभावना है।