बिहार विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष अवध बिहारी चौधरी सिवान से राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के उम्मीदवार के तौर पर और पार्टी के पूर्व सांसद मोहम्मद शहाबुद्दीन की पत्नी हिना शहाब निर्दलीय प्रत्याशी के रूप इस बार लोकसभा चुनाव में एक दूसरे के आमने-सामने हैं।
बिहार में सिवान एकमात्र संसदीय सीट है जहां राजद ने औपचारिक रूप से अपने उम्मीदवार की घोषणा नहीं की।
सिवान से कई बार विधायक रहे चौधरी ने मंगलवार को पार्टी सुप्रीमो लालू प्रसाद के बेटे और उनके राजनीतिक उत्तराधिकारी माने जाने वाले राजद नेता तेजस्वी यादव की उपस्थिति में अपना नामांकन पत्र दाखिल किया था।
चौधरी ने फरवरी में बिहार विधानसभा अध्यक्ष का पद उस समय गंवा दिया था, जब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के भाजपा के साथ मिलकर प्रदेश में नई सरकार बना लिए जाने पर राजग ने उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया था।
सिवान लोकसभा सीट वर्तमान में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जद (यू) के पास है, जिसने मौजूदा सांसद कविता सिंह की जगह हाल में पार्टी में शामिल हुई विजयलक्ष्मी देवी कोई इस बार अपना उम्मीदवार बनाया है ।
सिवान लोकसभा सीट का कई बार प्रतिनिधित्व कर चुके दिवंगत पूर्व सांसद मोहम्मद शहाबुद्दीन की विधवा हिना शहाब द्वारा निर्दलीय के रूप में अपना नामांकन पत्र दाखिल करने से इस बार इस संसदीय क्षेत्र में मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है।
कई आपराधिक मामलों में अपने पति को सजा सुनाए जाने के बाद की सजा के बाद, हिना शहाब ने तीन बार राजद के टिकट पर इस सीट से चुनाव लड़ा, लेकिन हर बार उन्हें पराजय का सामना करना पड़ा।
राजद नेतृत्व के शहाबुद्दीन के परिवार से दूरियां बना लिए जाने की अटकलों को उस समय बल मिला जब तेजस्वी यादव ने अपने राज्यव्यापी दौरे में सिवान में एक रात बिताने के बावजूद पार्टी के दिवंगत पूर्व सांसद के परिजनों से मुलाकात नहीं की थी।
मौके का फायदा उठाते हुए, हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम और बागी कांग्रेस नेता पप्पू यादव जैसे राजद विरोधियों ने हिना शहाब के निर्दलीय चुनाव लड़ने की स्थिति में उन्हें अपना समर्थन देने की घोषणा की है।
राजद का कांग्रेस, तीन वाम दलों और बिहार के पूर्व मंत्री मुकेश सहनी की विकासशील इंसान पार्टी के साथ गठबंधन है और वह राज्य की 40 लोकसभा सीट में से 23 पर चुनाव लड़ रहा है।
सिवान के लिए उम्मीदवार की घोषणा करने में राजद की हिचकिचाहट को पार्टी में घबराहट के संकेत के रूप में देखा गया था क्योंकि ऐसी शंका जताई जा रही थी कि ऐसा करने पर राजद को अपने दिवंगत बाहुबली पूर्व सांसद शहाबुद्दीन के समर्थकों की नाराजगी का सामना करना पड़ सकता है। शहाबुद्दीन अपने निर्वाचन क्षेत्र में रॉबिनहुड माने जाते थे।