प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ करीब एक महीने पहले वाराणसी लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने के ऐलान के बाद भीम आर्मी के प्रमुख चंद्रशेखर आजाद ने बुधवार को अपने फैसले से यू टर्न ले लिया। उन्होंने कहा कि वे सपा-बसपा गठबंधन को समर्थन देंगे ताकि भाजपा को हराने के लिए दलित वोट में बंटवारा न हो सके।
भीम आर्मी प्रमुख का यह बयान उस समय आया है जब कुछ दिन पहले ही बसपा सुप्रीमो मायावती ने उन पर भाजपा का एजेंट करार देते हुए दलित वोटों के बांटने का आरोप लगाया।
'भाजपा को हराने के लिए लिया फैसला'
चंद्रशेखर आजाद ने कहा, ‘मैंने वाराणसी से चुनाव नहीं लड़ने का फैसला लिया है क्योंकि मैं नहीं चाहता कि इस फैसले से किसी भी तरह से भाजपा या मोदी को फायदा मिले। हम सभी भाजपा की हार चाहते हैं।’ उन्होंने कहा कि यदि सपा-बसपा गठबंधन सतीश चंद्र मिश्रा को वाराणसी सीट से टिकट देती है तो भीम आर्मी उनका समर्थन करेगी। चन्द्रशेखर ने कहा कि यदि सपा-बसपा गठबंधन वाराणसी से मिश्रा को उम्मीदवार बनाता है तो उन्हें अगड़ी जातियों का भी कुछ वोट मिल सकता है।
लगाया था गुमराह करने का आरोप
इससे पहले चंद्रशेखर ने सतीश मिश्रा पर मायावती को गुमराह करने और दलित संगठन के खिलाफ साजिश करने का आरोप लगाया था। मायावती की आलोचना को लेकर उन्होंने कहा, “हमारे ही लोग हमें भाजपा का एजेंट कहकर बुलाते हैं, लेकिन मैं उन्हें ही प्रधानमंत्री बनते हुए देखना चहता हूं।”
मध्य प्रदेश के मऊ में भीम राव आंबेडकर की जयंती पर आयोजित कार्यक्रम के दौरान 14 अप्रैल को चन्द्रशेखर ने कहा था कि मायावती नहीं बल्कि भीम आर्मी दलितों की 'शुभेक्षु है।
सपा प्रमुख पर साधा था निशाना
इससे पहले उन्होंने दलितों के खिलाफ अत्याचार करने वाले अफसरों के प्रमोशन को लेकर समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव की आलोचना की। उन्होंने कहा, 'अखिलेश पिता संसद में कहते हैं कि वह मोदी को फख्र से प्रधानमंत्री के रूप में देखना चाहते हैं। वह भाजपा के एजेंट हैं, हमारे नहीं।'