राजस्थान के उदयपुर में किसानों के मसलों पर बात करने के लिए 13 से 15 मई तक होने वाले कांग्रेस के चिंतन शिविर को लेकर इसके संयोजक की जिम्मेदारी निभा रहे हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने अलग-अलग राज्यों से आए किसान नेताओं से साथ बैठक की। बैठक में शामिल किसान नेताओं ने हुड्डा के सामने खेती व किसानों से संबंधित तमाम चुनौतियों व सुझावों को सांझा किया।
भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने पत्रकारों को बताया कि इस बैठक में पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, यूपी, उत्तराखंड से लेकर तमिलनाडु और कर्नाटक तक के किसान नेताओं ने शिरकत की। उन्होंने बैठक में खेती को लाभकारी बनाने के लिए किसानों को स्वामीनाथन आयोग के सी2 फार्मूले के तहत एमएसपी देने पर सभी ने सहमति जताई। उन्होंने हमेशा इसकी वकालत की है। 2009 में उनकी अध्यक्षता में बनी मुख्यमंत्रियों की कमेटी ने भी इसकी सिफारिश की थी। उन्हीं सिफारिशों पर अमल करते हुए कई योजनाओं को यूपीए सरकार ने लागू किया था। उदहारण के तौर पर पूरे देश में शॉर्ट टर्म लोन पर ब्याज दर को 4 प्रतिशत किया गया। इतना ही नहीं हरियाणा में कांग्रेस सरकार ने इसी शून्य कर दिया था।
हुड्डा ने कहा कि सरकार द्वारा सिर्फ एमएसपी का ऐलान होना काफी नहीं है बल्कि इसकी गारंटी का कानून भी बनाया जाए, ताकि सभी किसानों को एमएसपी मिल सके। इसके अलावा किसानों की लागत को कम करने के बारे में बैठक में सुझाव दिए गए। सब्सिडी से लेकर मुआवजा तक लेने में पेश आने वाली परेशानियों के बारे में भी किसान नेताओं ने बताया। साथ किसानों पर बढ़ते कर्ज के बोझ और सिंचाई की चुनौतियों पर भी चर्चा हुई। इस बात पर भी चर्चा हुई कि देश की आयात व निर्यात नीति को भी किसानों के हितों को ध्यान में रखते हुए निर्धारित करने की जरूरत है।
किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि विपक्ष और सत्ता पक्ष दोनों द्वारा किसानों के मसलों पर चर्चा करना बेहद आवश्यक है। किसान नेता युद्धवीर सिंह ने बताया कि 2009 में भूपेंद्र सिंह हुड्डा की कमेटी ने सरकार को जो सिफारिशें सौंपी थी, उनको अमलीजामा पहनाए जाने की जरूरत है। एमएसपी के निर्धारण के साथ लागत निर्धारण के तरीके में भी सुधार की जरूरत है।
किसान नेताओं ने सरकार की तरफ से लाए गए बिजली बिल पर भी विरोध दर्ज करवाया है। उनकी मांग है कि किसानों को इस बिल से अलग रखा जाए। क्योंकि अगर इसमें किसानों को शामिल किया गया तो उनके लिए बिजली बहुत महंगी हो जाएगी, जो उसकी लागत को बढ़ा देगी।