लखनऊ। गठबंधन के हर प्रयोग में मुंह की खा रहे सपा मुखिया अखिलेश यादव नये गठबंधन की गांठ बांधे रखने में एक बार फिर मात खा गये हैं। महान दल के प्रमुख केशव देव मौर्य पहले ही साथ छोड़ चुके हैं। प्रमुख सहयोगी सुभासपा मुखिया ओम प्रकाश राजभर ने भी राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू के सम्मान में आयोजित सीएम की डिनर पार्टी में शामिल होकर गठबंधन में दरार का साफ संकेत दे दिया है। ऐसे में छोटे -छोटे दलों के सहारे सपा के भविष्य की उम्मीद तलाश रहे अखिलेश को राष्ट्रपति चुनाव से पहले बड़ा झटका लगा है। वहीं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की रणनीति कारगर साबित होती दिख रही है। विपक्ष में सेंधमारी के बाद राष्ट्रपति चुनाव में भाजपा को उम्मीद से अधिक सफलता मिलना तय माना जा रहा है।
कांग्रेस और बसपा गठबंधन से मिले कटु अनुभव के बाद सपा मुखिया ने सत्ता की सीढ़ी बनाने के लिए विधानसभा चुनाव से पहले छोटे-छोटे दलों के साथ गठजोड़ किया। इसके बावजूद सत्ता से काफी दूर गये, उल्टे गठबंधन के साथी दलों का साथ कायम रखने में भी विफल साबित हो रहे हैं। सुभासपा मुखिया ओपी राजभर और अखिलेश यादव के बीच तल्ख़ी आजमगढ़ और रामपुर लोकसभा उपचुनाव में भाजपा से मिली करारी हार के बाद ही सतह पर आ गयी थी। राजभर ने इस हार का ठीकरा परोक्ष रूप से सीधे अखिलेश पर मढ़ते हुए उन्हें एसी कमरे से बाहर निकलने की सलाह दी थी। उनका यह भी कहना था कि अखिलेश यदि बाहर नहीं निकले तो 2024 के चुनाव में भाजपा से पार नही पाएंगे। दबाव की राजनीति के माहिर ओपी राजभर को उम्मीद थी सपा उनके बेटे को भी अपने कोटे से विधानसभा परिषद में भेज देगी, लेकिन अखिलेश तैयार नहीं हुए । यहीं से सपा-सुभासपा के गठबंधन की गांठ और खुलनी शुरू हो गई।
गठबंधन रिश्ते में तब और दरार पड़ गई जब विपक्ष के राष्ट्रपति पद के प्रत्याशी यशवंत सिन्हा के साथ विधायकों की बैठक में राजभर को सपा ने बुलाया नहीं। इस बैठक में पत्रकारों के सवाल पर अखिलेश के जवाब ने भी साफ संकेत दे दिया कि रिश्ते अब ज्यादा दिनों तक टिकने वाले नही हैं। मुख्यमंत्री योगी की डिनर पार्टी में शामिल होकर राजभर ने गठबंधन की बचीखुची उम्मीद पर भी पानी फेर दिया है। चाचा शिवपाल यादव और अखिलेश यादव के बीच रिश्ते की खटास जगजाहिर है। विधानसभा चुनाव में मात्र एक सीट मिलने से पहले ही नाराज चल रहे शिवपाल की तल्ख़ी सपा विधायकों की बैठक में न बुलाये जाने पर और बढ़ गयी। अपनी पीड़ा उन्होंने सार्वजनिक कर दी थी। द्रोपदी मुर्मू के सम्मान में सीएम आवास पर आयोजित रात्रि भोज में शामिल होकर शिवपाल ने भी साफ कर दिया सपा विधायक होते हुए भी उनकी राह जुदा है। सपा कुनबे और गठबंधन साथियों के बीच लगातार हो रही चौड़ी हो रही खायी के बीच अपना दल (कमेरावादी) की विधायक डा. पल्लवी पटेल की अंदरखाने से उठ रही मनमुटाव की खबरें राष्ट्रपति चुनाव से पहले सपा मुखिया की रणनीतिक पराजय और भाजपा की रणनीतिक जीत के रूप देखी जा रही है।