राजस्थान विधानसभा चुनाव में भाजपा ने पार्टी के लिए सरदर्द बने 11 बागी नेताओं को बाहर का रास्ता दिखा दिया है। इनमें वसुंधरा राजे सरकार के चार मंत्री भी शामिल हैं। इन नेताओं को छह साल के लिए पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से निष्कासित किया गया है। भाजपा ने यह कदम इसलिए उठाया है क्योंकि इन नेताओं ने पार्टी के आधिकारिक प्रत्याशियों के खिलाफ चुनाव लड़ने का फैसला किया था।
निकाले जाने वाले नेताओं में सुरेंद्र गोयल, लक्ष्मीनारायण दबे, राधेश्याम गंगानगर, हेमसिंह भड़ाना, राजकुमार रिणवां, रामेश्वर भाटी, कुलदीप धनकड़, दीनदयाल कुमावत, किशनाराम नाई, धनसिंह रावत व अनिता कटारा शामिल हैं।
भाजपा ने दिया संदेश
भाजपा ने राजस्थान के चार मंत्रियों को भी पार्टी से निष्कासित किया है। भाजपा ने यह कदम विधानसभा चुनाव से पहले उठाकर यह संदेश दिया है कि पार्टी अपने निर्णयों पर किसी प्रकार का दबाव बर्दाश्त करने वाली नहीं है। भाजपा ने एक सूची जारी करते हुए साफ किया कि राजस्थान विधानसभा के चुनाव में भाजपा के अधिकृत प्रत्याशियों के विरुद्ध चुनाव लड़ने के कारण इन सदस्यों को छह साल के लिए पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से निष्काषित किया जाता है।
अधिकृत उम्मीदवारों के खिलाफ भरा था नामांकन
पार्टी के कई बागियों ने 7 दिसंबर को होने वाले चुनावों के लिए अपना नामांकन दायर किया और कई विधायकों ने टिकट न मिलने के बाद पार्टी से इस्तीफा दे दिया। इस समय राजस्थान में वसुंधरा राजे की अगुआई वाली भाजपा सरकार को खासा विरोध का सामना करना पड़ रहा है।
भाजपा इकलौती पार्टी नहीं है जो बागियों की समस्या से जूझ रही है। बताया जा रहा है कि कांग्रेस के भी काफी बागी नेता हैं जो राज्य विधानसभा चुनाव में जीत की संभावनाओं पर पानी भी फेर सकते हैं।
वसुंधरा राजे के सामने मानवेंद्र मैदान में
भाजपा के बागी विधायक मानवेंद्र सिंह, जो हाल ही में कांग्रेस में शामिल हुए हैं। भाजपा छोड़ कांग्रेस में शामिल हुए पूर्व विदेश मंत्री जसवंत सिंह के बेटे मानवेंद्र को झालरापाटन से टिकट दिया है। पार्टी ने 2014 में जसवंत सिंह को टिकट नहीं दिया था। माना जाता है कि मानवेंद्र और उनके परिवार की मुख्यमंत्री राजे से रिश्ते अच्छे नहीं थेष मानवेंद्र ने अक्टूबर में बाड़मेर में ‘स्वाभिमान' रैली की और भाजपा से औपचारिक रूप से अलग हो गए। इसके बाद वह पिछले महीने कांग्रेस में शामिए हुए थे।