चुनावी रणनीति के तहत क्षेत्र के मुताबिक बाइकों का आवंटन भी शुरू हो गया है। पार्टी के मुताबिक ये सभी बाइकें नोटबंदी के बाद ही खरीदी गई हैं। इस अभियान का नाम 'कमल संदेश' रखा गया है।
पार्टी की रणनीति के अनुसार हर विधानसभा में चार बाइकें उपलब्ध कराईं जाएंगी। परिवर्तन यात्राओं से इतर यह बाइकें अलग-अलग क्षेत्रों में बूथ तक पहुंचेंगी। एक बाइक दो कार्यकर्ता को अलॉट की जाएगी। पार्टी ने पहले ही विधानसभावार पूर्णकालिक कार्यकर्ता और विस्तारक भेजे हैं। बाइकों का आवंटन भी उन्हें ही होगा।
इसके पीछे मंशा यह है कि संसाधन का उपयोग पूरी तरह से प्रचार कार्य में हो। 18 दिसंबर को प्रदेश अध्यक्ष केशव मौर्य इन बाइकों का वितरण करेंगे।
बाइकधारी कार्यकर्ताओं को पार्टी प्रचार सामग्री उपलब्ध कराएगी। सुदूर क्षेत्रों में बाइक सवार कार्यकर्ता जनता तक पहुंचेंगे। इस दौरान मोदी सरकार की योजनाओं के जिक्र के साथ ही विपक्ष की खामियों को भी गिनाएंगे, वहीं पार्टी की ओर से जनता के मन की बात जानने के लिए खास तौर पर तैयार किए गए 'आंकाक्षा पत्र' भी कार्यकर्ताओं के पास होंगे। इनके जरिए वह जनता से उनकी बात, समस्याओं एवं मुद्दों का संकलन करेंगे।
रजिस्ट्रेशन चार्ज सहित बाइक की कीमत लगभग चालीस हजार है। मसलन गोरखपुर क्षेत्र में करीब 190 बाइकों का पंजीकरण दिसंबर के पहले सप्ताह में आरटीओ ऑफिस में हुआ है। लखनऊ में भी 200 से अधिक बाइकें खरीदी गई हैं। हालांकि सभी का भुगतान चेक के जरिए किया गया है।
भाजपा की ओर से सफेद रंग की कमल के स्टीकर वाली इन बाइकों की खरीद पर सियासत भी शुरू हो गई है। भाजपा इसे भले ही पूर्व निर्धारित चुनावी रणनीति का हिस्सा बता रही हो, लेकिन विपक्षी दलों ने पार्टी पर कालाधन सफेद करने के आरोप लगाने शुरू कर दिए हैं। वहीं कांग्रेस के कम्यूनिकेशन सेल के चेयरमैन सत्यदेव त्रिपाठी ने पेमेंट मोड के जांच की मांग की है। उनका कहना है कि हालात तो यही कहते हैं कि बीजेपी ने अपने लोगों को पहले ही बता दिया था कि वह नोटबंदी करने जा रही है।