पश्चिम बंगाल में भारतीय जनता पार्टी की रथयात्रा को रोके जाने का मामला अब तूल पकड़ता जा रहा है। इसे लेकर भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने शुक्रवार को दिल्ली स्थित पार्टी मुख्यालय में प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई। इस दौरान शाह ने कहा कि ममता सरकार ने लोकतांत्रिक प्रक्रिया का गला घोंटा है। वे भाजपा की यात्रा से डरी हुई है। उन्होंने कहा कि रथयात्रा पर रोक के बावजूद शनिवार को वे पश्चिम बंगाल के दौरे पर जाएंगे।
शाह ने कहा कि पंचायत चुनाव के बाद ममता बनर्जी की नींद उडी हुई है इसीलिए उन्होंने 'गणतंत्र बचाओ यात्रा' को रोकने का निर्णय किया है। बंगाल के अंदर 7 साल जिस तरह से तृणमूल का कुशासन चला है इसके खिलाफ भाजपा ने हर मंडल और जिले में आवाज उठाई है उससे ममता बनर्जी डरी हुई है।
शाह ने कहा, “भाजपा के कार्यकर्ता ममता बनर्जी के दमन से डरते नहीं है। बंगाल के अंदर अच्छा शासन लाने के लिए हम कटिबद्ध है।”
शाह ने कहा कि रथयात्रा से राज्य सरकार से 8 बार इजाजत मांगी गई थी। शाह ने आरोप लगाया, "जितनी हिंसा ममता बनर्जी के कार्यकाल में हुई है उतनी हिंसा तो कम्युनिस्ट शासनकाल में भी नहीं हुई थी।"
अमित शाह ने यह भी कहा कि कुचबिहार यात्रा रद्द नहीं स्थगित हुई है। वे खुद यात्रा के लिए बंगाल जाएंगे।
कलकत्ता हाईकोर्ट में याचिका मंजूर
भाजपा ने पश्चिम बंगाल में रथयात्रा की इजाजत से इनकार करने के कलकत्ता हाई कोर्ट की सिंगल बेंच के फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट की बेंच में शुक्रवार को अपील दाखिल की। जिसे हाई कोर्ट ने मंजूर कर लिया है। हाईकोर्ट में दाखिल अपील पर सुनवाई करते हुए जस्टिस बी सोमद्दर और जस्टिस ए मुखर्जी की बेंच ने बीजेपी को अपील दाखिल करने की इजाजत देते हुए भाजपा के वकीलों को निर्देश दिया कि सुनवाई के लिए मामला लिए जाने से पहले अपील की कॉपी पश्चिम बंगाल सरकार और अन्य प्रतिवादियों को दी जाए। इस मामले की अगली सुनवाई 9 जनवरी को होगी।
कहां से निकलनी थी यात्रा? क्यों नहीं दी इजाजत?
पश्चिम बंगाल में भाजपा की तीन रथ यात्राएं निकालने की योजना थी। यहां खुद भाजपा अध्यक्ष अमित शाह भी शामिल होने वाले थे। यह रथयात्रा 7 दिसंबर से कूच बिहार से शुरू होने वाली थी और दूसरी रथ यात्रा 9 दिसंबर को 24 परगना, तीसरी 14 दिसंबर को बीरभूम के तारापीठसे निकली जानी थी, लेकिन ममता बनर्जी की सरकार ने इसकी इजाजत नहीं दी पश्चिम बंगाल सरकार ने इसकी अनुमति देने से इनकार करते हुए कहा था कि इससे सांप्रदायिक तनाव फैल सकता है। जिससे मामला हाई कोर्ट चला गया और हाई कोर्ट की सिंगल बेंच ने इन रथ यात्राओं के निकलने पर रोक लगा दी।