राष्ट्रीय संगठन मंत्री रामलाल ने शनिवार को सत्र का शुभारंभ किया। इसमें विभिन्न प्रांतों के 50 संगठन, सह संगठन और संयुक्त संगठन मंत्री हिस्सा ले रहे हैं। यह बैठक पार्टी केंद्र सहित भाजपा शासित राज्यों के लिए महत्वपूर्ण मानी जा रही है। बैठक के बाद पार्टी भाजपा शासित राज्यों में बड़े बदलाव भी हो सकते हैं। इसमें 12 सितंबर को भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के आने की संभावना है। 13 सितंबर को भाजपा के सभी राष्ट्रीय महामंत्री भी शिरकत करेंगे।
राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह को भाजपा का चाणक्य माना जाता है। अमित शाह की राजनीति गुजरात से शुरू हुई है। तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी व अमित शाह की जोड़ी ने मिल कर कार्य किया था इसके चलते लगातार तीन बार गुजरात में सरकार बनी है। वर्ष 2014 के संसदीय चुनाव से पहले भाजपा ने नरेन्द्र मोदी को पीएम प्रॉजेक्ट किया था।
इसके बाद नरेन्द्र मोदी गुजरात छोड़ कर देश की राजनीति को साधने निकले है और पीएम मोदी ने अमित शाह को गुजरात से निकाल कर देश की राजनीति में ला दिया। पिछले दो साल में दिल्ली, पश्चिम बंगाल व बिहार के चुनाव को छोड़ दिया जाये तो असम, हरियाणा, महाराष्ट्र, झारखंड में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने विजय हासिल की।
कुछ राज्यों में चुनाव हारने से अमित शाह की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े हुए तो अन्य राज्यों में मिली जीत ने अमित शाह के विरोधियों की बोलती बंद कर दी। अब सबकी निगाहे यूपी चुनाव पर टिकी हुई है, यदि इस चुनाव में बीजेपी को हार मिलती है तो पीएम मोदी व अमित शाह की जोड़ी पर इतने हमले होंगे कि जवाब देना कठिन हो जायेगा।
हाल में ही बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष गुजरात गये थे और वहां पर उनका विरोध हो गया था। यह घटना अमित शाह के लिए बड़ा झटका साबित हुई है। जिस राज्य की राजनीति ने अमित शाह को बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष की कुर्सी तक पहुंचाया है वहीं की राजनीति में विरोध होने का लोगों में गलत संदेश किया है।
राजनीतिक जगत में इस बात की चर्चा शुरू हो गयी है कि अमित शाह की गुजराज में पकड़ कमजोर हो चुकी है इसके चलते गुजरात में होने वाले विधानसभा चुनाव में बीजेपी को हार का सामना भी करना पड़ सकता है। ऐसे में राजनीति के जानकार भी मान रहे हैं कि गुजरात विधानसभा चुनाव में अमित शाह को अग्रि परीक्षा देनी होगी।
बीजेपी को यूपी के बाद पंजाब व गोवा में होने वाले विधानसभा चुनाव में पार्टी की साख बचानी होगी। पंजाब में अकाली व बीजेपी के गठबंधन वाली सरकार है जिसकी स्थिति बहुत खराब है। यहां पर कांग्रेस के अलावा आप व नवजोत सिद्ध की पार्टी भी कटी टक्कर देगी। गोवा में बीजेपी बहुमत के साथ सरकार में है और गोवा से बीजेपी को हटाने के लिए आप ने चक्रव्यूह बनाया हुआ है जबकि गोवा में बीजेपी के मुख्य नेता मनोहर पर्रिकर को बीजेपी ने केन्द्र की राजनीति में ला दिया है इसके चलते गोवा में बीजेपी कमजोर होती जा रही है।