भोपाल से भाजपा की उम्मीदवार साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर की शहीद हेमंत करकरे को लेकर की गई विवादित टिप्पणी को पार्टी ने उनका निजी बयान बताकर किनारा कर लिया है। साध्वी की टिप्पणी की चौतरफा निंदा के बाद भाजपा का कहना है कि वे हेमंत करकरे को शहीद मानते रहे हैं। हालांकि भाजपा की ओर से यह भी कहा गया कि प्रज्ञा ने मानसिक और शारीरिक यातना के कारण ऐसा बयान दिया होगा।
साध्वी प्रज्ञा ने कहा था कि उनकी शाप की वजह से हेमंत करकरे की मौत हुई थी। इस पर भाजपा की ओर स्पष्टीकरण देते हुए कहा गया कि भारतीय जनता पार्टी का स्पष्ट मानना है कि स्व. हेमंत करकरे बहादुरी से लड़ते हुए वीरगति को प्राप्त हुए। भाजपा ने उन्हें हमेशा शहीद माना है।
भाजपा के मीडिया प्रमुख अनिल बलूनी की ओर से जारी पत्र में कहा गया, “जहां तक साध्वी प्रज्ञा के बयान का विषय है, यह उनका निजी बयान है जो वर्षों तक उन्हें हुई शारीरिक और मानसिक प्रताड़ना के कारण दिया गया होगा।”
प्रज्ञा ने गुरुवार शाम को भाजपा कार्यकर्ताओं की बैठक में मुंबई एटीएस के दिवंगत प्रमुख का नाम लेते हुए कहा, '‘मैं मुंबई जेल में थी उस समय। जांच जो बिठाई थी, सुरक्षा आयोग के सदस्य ने हेमंत करकरे को बुलाया और कहा कि जब सबूत नहीं है तो साध्वीजी को छोड़ दो। सबूत नहीं है तो इनको रखना गलत है, गैरकानूनी है। लेकिन उसने (करकरे) कहा कि मैं साध्वी को नहीं छोड़ूंगा।'’
साध्वी प्रज्ञा ने कहा, ‘'इतनी यातनाएं दीं, इतनी गंदी गालियां दीं जो असहनीय थी, मेरे लिए और मेरे लिए नहीं, किसी के लिए भी। मैंने कहा तेरा सर्वनाश होगा। ठीक सवा महीने में सूतक लगता है। जब किसी के यहां मृत्यु होती है या जन्म होता है। जिस दिन मैं गई थी, उस दिन इसके सूतक लग गया था। ठीक सवा महीने में जिस दिन उसको आतंकवादियों ने मारा उस दिन सूतक का अंत हो गया।'’
प्रज्ञा मालेगांव विस्फोट मामले में आरोपी हैं। इस मामले की जांच करकरे के नेतृत्व में हुई थी। 26 नवंबर 2008 को पाकिस्तान से आए आतंकवादियों ने मुंबई के कई जगहों पर हमले किए थे। उसी दौरान करकरे और मुंबई पुलिस के कुछ अन्य अफसर शहीद हुए थे।