कर्नाटक में त्रिशंकु विधानसभा के हालात बनने के बीच कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि वह अपना सरकार बनाने का दावा पेश करेगी लेकिन भाजपा षड्यंत्रकारी तरीके से सरकार बनाने के प्रयास कर रही है। कांग्रेस ने दलील दी कि पिछले दिनों तीन राज्य सरकारों के गठन के दौरान अकेली बड़ी पार्टी को सरकार गठन के लिए बुलाने की परंपरा को तोड़ा गया और अब कर्नाटक में भी इसी पंरपरा का अनुसरण करते हुए कांग्रेस-जेडीएस को सरकार गठन का मौका मिलना चाहिए।
कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कांग्रेस-जेडीएस की सरकार गठन के बारे में गोवा, मेघालय और मणिपुर राज्यों का उदाहरण देते हुए कहा कि इन राज्यों में भाजपा के सबसे बड़ी पार्टी नहीं होने के बावजूद वहां भाजपा के नेतृत्व में सरकार बनी। उन्होंने कहा कि कर्नाटक में कांग्रेस और जेडीएस के पास गठबंधन सरकार के लिए पूर्ण बहुमत है। कांग्रेस और जेडीएस 104 सीटें जीत चुकी हैं और 12 पर आगे चल रही हैं। साफ है कि गठबंधन के लिए दोनों के पास स्पष्ट बहुमत है। दोनों को कुल मतों के 56 फीसदी मत मिले हैं।
सुरजेवाला ने कहा कि अकेली बड़ी पार्टी या चुनाव से पूर्व गठबंधन वाली पार्टी को सरकार गठन के लिए बुलाने की परंपरा रही है। इसी परंपरा को निभाते हुए राष्ट्रपति के आर नारायणन ने 12 मार्च, 1998 को अटल बिहारी वाजपेयी को सरकार गठन और गठबंधन सरकार का नेतृत्व करने के लिए आमंत्रित करके एक निष्पक्ष और संवैधानिक परंपरा कायम की थी लेकिन पिछले तीन राज्य सरकारों के गठन के समय इस परंपरा को तोड़ दिया गया तथा कांग्रेस को अकेली बड़ी पार्टी होने के बावजूद सरकार गठन के लिए राज्यपाल ने नहीं बुलाया।
कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि मार्च 2017 में गोवा में 40 की विधानसभा में कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी। यहां कांग्रेस के पास 17 और भाजपा के पास केवल 12 विधायक थे। राज्यपाल ने यहां पर मनोहर पर्रिकर के नेतृत्व में भाजपा को सरकार बनाने का न्योता दिया था। इसी तरह मार्च 2017 में 60 सीट वाली मणिपुर विधानसभा में कांग्रेस के पास 28 विधायक थे और भाजपा के पास 21 विधायक थे। बावजूद इसके कांग्रेस को मौका नहीं दिया गया। मार्च 2018 में हुए मेघायल चुनाव में कांग्रेस के पास 21 विधायक थे जबकि भाजपा के पास महज दो एमएलए थे। इसके बावजूद भाजपा ने एनपीईपी, यूडीपी, पीडीएफ और अन्य के साथ मिलकर सरकार बनाने का दावा पेश किया।