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धनखड़ के साथ भाजपा का अनुभव पार्टी को आजमाए हुए तरीके अपनाने के लिए कर सकता है प्रेरित

निर्वाचन आयोग द्वारा उपराष्ट्रपति चुनाव की प्रक्रिया औपचारिक रूप से शुरू कर देने के मद्देनजर भाजपा...
धनखड़ के साथ भाजपा का अनुभव पार्टी को आजमाए हुए तरीके अपनाने के लिए कर सकता है प्रेरित

निर्वाचन आयोग द्वारा उपराष्ट्रपति चुनाव की प्रक्रिया औपचारिक रूप से शुरू कर देने के मद्देनजर भाजपा नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) इस महत्वपूर्ण संवैधानिक पद के लिए अपने उम्मीदवार के चयन को लेकर विचार-विमर्श शुरू करने वाला है और ऐसे संकेत मिल रहे हैं कि विपक्ष भी इस पद की दौड़ में शामिल होगा।

निर्वाचन आयोग ने उपराष्ट्रपति पद के चुनाव के लिए एक निर्वाचन अधिकारी नियुक्त किया है।

लोकसभा और राज्यसभा के सदस्यों वाले निर्वाचक मंडल में सत्तारूढ़ राजग के पास स्पष्ट बहुमत है, क्योंकि वर्तमान कुल 782 सांसदों में से उसके पास लगभग 425 का संख्या बल है।

उपराष्ट्रपति पद से सोमवार शाम जगदीप धनखड़ के अचानक इस्तीफे के कारण यह पद रिक्त हुआ है।

हालांकि, भाजपा ने इस बारे में अभी विचार-विमर्श शुरू नहीं किया है, लेकिन पार्टी और उसके सहयोगियों के भीतर यह सहमति बनती दिख रही कि भाजपा नेतृत्व प्रयोग पर अत्यधिक ध्यान देने के बजाय संगठनात्मक जुड़ाव और वैचारिक शुचिता को प्राथमिकता देगा।

उपराष्ट्रपति के रूप में धनखड़ की बेबाकी और अपरंपरागत शैली प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार को रास नहीं आई और 21 जुलाई को न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा को हटाने के लिए विपक्ष द्वारा प्रायोजित प्रस्ताव को स्वीकार करने के उनके (धनखड़ के) फैसले से सत्तारूढ़ गठबंधन में नाराजगी देखने को मिली। इसके कुछ ही घंटों बाद उन्हें इस्तीफा देना पड़ा।

भाजपा और उसके सहयोगी दलों के कई नेताओं का मानना है कि इस बार राजग में उन प्रवृत्तियों का पालन करने की संभावना नहीं दिखती, जिनके कारण उसने धनखड़ को चुना और अब उनके उत्तराधिकारी की तलाश में वह अधिक पारंपरिक रुख अपनाएगा।

हालांकि, यह माना जा रहा है कि भाजपा अपने ही किसी नेता को चुनेगी, लेकिन जद(यू) सांसद हरिवंश आदि पर भी चर्चा हो रही है, क्योंकि राज्यसभा के उपसभापति के रूप में पांच साल से अधिक के कार्यकाल में उन्होंने सरकार के साथ विश्वास कायम किया है।

भाजपा के एक नेता ने कहा, ‘‘जब पार्टी के भीतर भी बातचीत शुरू नहीं हुई है, तो संभावितों के बारे में अटकलें लगाना बेमानी है। हालांकि, राजनीतिक विवेक बताता है कि धनखड़ द्वारा उठाया गया कदम भविष्य के किसी भी फैसले पर भारी पड़ेगा।’’

बिहार में अक्टूबर-नवंबर में विधानसभा चुनाव होने हैं और अगले साल असम के अलावा पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु और केरल जैसे प्रमुख राज्यों में भी चुनाव होने हैं, इसलिए यह चुनावी गणित भी एक कारक हो सकता है।

निर्वाचन आयोग ने एक बयान में कहा कि कानून एवं न्याय मंत्रालय से परामर्श करके और राज्यसभा के उपसभापति की सहमति के बाद उसने उपराष्ट्रपति पद के चुनाव के लिए पी सी मोदी को निर्वाचन अधिकारी नियुक्त किया है।

निर्वाचन आयोग ने चुनाव के दौरान संयुक्त सचिव, राज्यसभा सचिवालय गरिमा जैन और राज्यसभा सचिवालय निदेशक विजय कुमार को भी सहायक निर्वाचन अधिकारी नियुक्त किया है।

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