कांग्रेस ने शुक्रवार को कहा कि सरकार का जाति जनगणना का फैसला उसकी उसी नीति के अनुरूप है जिसमें वह पहले हर अच्छी योजना या नीति का विरोध करती है, उसे बदनाम करती है और फिर जनता के दबाव और वास्तविकता के सामने वही नीति अपना लेती है।
कांग्रेस महासचिव (संचार प्रभारी) ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार केवल जनता का ध्यान भटकाने, वास्तविक मुद्दों से भागने और अपने विभाजनकारी एजेंडे को आगे बढ़ाने में माहिर है।
उन्होंने एक्स पर हिंदी में लिखे पोस्ट में कहा, ‘‘इसके अलावा उनके पास न तो कोई नीति है और न ही कोई नीयत, सिर्फ झूठ, दुष्प्रचार और नफरत की राजनीति है। जाति जनगणना - जिसे मोदी सरकार ने वर्षों तक दबाने की कोशिश की, उसी सरकार को अंततः विपक्ष के नेता राहुल गांधी, कांग्रेस पार्टी और अनगिनत सामाजिक कार्यकर्ताओं और संगठनों की अटूट लड़ाई के आगे झुकना पड़ा। यह सामाजिक न्याय की लड़ाई में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है।"
उन्होंने कहा कि मोदी सरकार जो कल तक इसका नाम लेने से भी कतरा रही थी और उपहास तथा टालमटोल करने में कोई कसर नहीं छोड़ रही थी, आज जनता के भारी दबाव तथा विपक्ष के संघर्ष के आगे झुकते हुए जाति जनगणना कराने पर सहमत हो गई है।
रमेश ने कहा, "वास्तव में, भाजपा सरकार का यही तरीका रहा है - पहले हर अच्छी योजना या नीति का विरोध करो, उसे बदनाम करो - और जब जनता का दबाव और वास्तविकता सामने आती है, तो वही नीति अपना लो।"
कांग्रेस नेता ने कहा, "याद कीजिए प्रधानमंत्री ने संसद में मनरेगा को 'विफलता का स्मारक' कहा था - जिस योजना को दुनिया ने ग्रामीण रोजगार और गरीबी उन्मूलन का मॉडल कहा, उसी मनरेगा का मजाक उड़ाया गया, कहा गया कि लोग गड्ढे खोद रहे हैं। लेकिन जब कोरोना वायरस जैसा संकट आया तो यही मनरेगा देश के गरीबों की रीढ़ बन गई। फिर क्या हुआ? सरकार ने इसका बजट भी बढ़ाया और इसका श्रेय लेने की भी कोशिश की।"
रमेश ने कहा कि आधार के साथ भी यही हुआ, जब भाजपा विपक्ष में थी तो वह कहती थी कि "यह निजता के लिए खतरा है और यह सिर्फ एक राजनीतिक स्टंट है" लेकिन जैसे ही वह सत्ता में आई, उसने उसी आधार को संपूर्ण कल्याण प्रणाली का आधार बना दिया।
रमेश ने कहा, "जीएसटी की कहानी भी अलग नहीं है। जब कांग्रेस ने जीएसटी लाने की पहल की थी, तो भाजपा ने इसका कड़ा विरोध किया था और कहा था कि यह राज्यों के हितों के खिलाफ है। लेकिन जैसे ही वह सत्ता में आई, उसने बिना किसी बड़े बदलाव के इसे लागू कर दिया और फिर इसे 'गेम चेंजर' बताकर अपनी तारीफ करनी शुरू कर दी।"
उन्होंने यह भी कहा कि प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) की व्यवस्था कांग्रेस ने ही बनाई थी, ताकि सब्सिडी सीधे जनता के खाते में पहुंचे।
रमेश ने कहा, "उस समय भाजपा ने इसे यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि 'यह काम नहीं करेगा'। लेकिन जैसे ही वह सत्ता में आई, उसने पूरे देश में डीबीटी लागू कर दिया और 'डिजिटल इंडिया' का ढोल पीटना शुरू कर दिया।"
रमेश ने आगे कहा कि महिलाओं को नकद सहायता देने की नीति कांग्रेस द्वारा शुरू की गई थी। उन्होंने कहा, ‘‘भाजपा ने तब कहा था- ‘यह सिर्फ घोषणाओं की राजनीति है।’ आज वही सरकार महिलाओं के लिए अलग-अलग नकद हस्तांतरण योजनाएं चला रही है।
इंटर्नशिप/अप्रेंटिसशिप योजना की बात करें तो कांग्रेस ने 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए अपने 'न्यायपत्र' में युवा न्याय के तहत अप्रेंटिसशिप योजना का वादा किया था। रमेश ने कहा, "चुनावों के दौरान भाजपा ने भी इस पर कटाक्ष किया था। लेकिन बाद में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट में इसकी घोषणा की। दुख की बात है कि आज तक वह भी सिर्फ घोषणा ही बनकर रह गई है।"
उन्होंने कहा कि यह सूची यहीं समाप्त नहीं होती, वास्तव में ये तो कुछ उदाहरण मात्र हैं।
उन्होंने कहा, "सच्चाई यह है कि इस सरकार के पास न तो अपना कोई विजन है और न ही समस्याओं के समाधान की कोई दिशा है। यह सरकार केवल जनता का ध्यान भटकाने, वास्तविक मुद्दों से भागने और अपने विभाजनकारी एजेंडे को आगे बढ़ाने में माहिर है। इसके अलावा इनके पास न तो कोई नीति है और न ही कोई नीयत - केवल झूठ, दुष्प्रचार और नफरत की राजनीति है।"
कांग्रेस ने गुरुवार को दावा किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी "बिना समय सीमा के सुर्खियां बनाने में माहिर हैं" और पहलगाम आतंकवादी हमले के बाद पाकिस्तान के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग के मद्देनजर जाति जनगणना पर सरकार के फैसले को "ध्यान भटकाने की रणनीति" बताया।
रमेश ने कहा था कि इस निर्णय को लेकर कई सवाल उठते हैं, खासकर सरकार की मंशा पर, और उन्होंने पूछा कि जनगणना कराने की "समय सीमा कहां है"। केंद्र सरकार ने घोषणा की कि जाति गणना अगली जनगणना का हिस्सा होगी, जिसमें आजादी के बाद पहली बार जाति का विवरण शामिल किया जाएगा।