भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने संसद में सवाल पूछने के लिए रिश्वत लेने के आरोपों को लेकर महुआ मोइत्रा पर हमला तेज करते हुए मांग रखी कि या तो तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की नेता को सांसद पद छोड़ देना चाहिए या फिर टीएमसी सुप्रीमो ममता बनर्जी को उन्हें ‘बर्खास्त’ कर देना चाहिए।
भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने कहा कि मोइत्रा के खिलाफ आरोप ‘संसदीय प्रणाली को पूर्ण रूप से संकट में डालने’ की ओर इशारा करते हैं।
वहीं, भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने मामले के घटनाक्रम पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला का ध्यान आकर्षित करने की मांग की और जोर देकर कहा कि ‘इस पर तत्काल कार्रवाई की जरूरत है।’ टीएमसी ने अभी तक इस मुद्दे पर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है।
इससे पहले केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा, "संसदीय प्रक्रिया में रिश्वतखोरी के लिए कोई जगह नहीं है। यह मामला लोकसभा आचार समिति के समक्ष है जो अपना काम कर रही है।"
बता दें कि तृणमूल कांग्रेस पार्टी की सांसद महुआ मोइत्रा के खिलाफ 'कैश फॉर क्वेश्चन' के आरोप लगे हैं। भाजपा सांसद निशिकांत दुबे द्वारा लगाए गए आरोपों के बाद से ही बयानबाज़ी का दौर जारी है। इस मामले ने बीते कुछ दिनों में काफी तूल पकड़ लिया है और दिल्ली हाईकोर्ट तक जा पहुंचा है।
टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा और भाजपा सांसद निशिकांत दुबे के बीच कानूनी लड़ाई शुक्रवार को दिल्ली उच्च न्यायालय में पहुंच गई, जहां निशिकांत दुबे के वकील ने कहा कि मोइत्रा को संसद में प्रश्न पूछने के लिए उपहार मिले थे।
निशिकांत दुबे की ओर से पेश वकील अभिमन्यु भंफारी ने न्यायमूर्ति सचिन दत्ता के समक्ष प्रस्तुत किया, "कल प्रेस में, एक व्यवसायी ने एक हलफनामा प्रसारित किया है कि उसने याचिकाकर्ता को महंगे उपहार दिए हैं।"
वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायण ने अंतरिम निषेधाज्ञा पर जोर देते हुए अदालत से कहा, ''वह समाज में प्रतिष्ठा के साथ एक सार्वजनिक हस्ती हैं...दुर्भाग्य से वह देहदारी की मित्र थीं।''
जब महुआ मोइत्रा की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता शंकरनारायण अपनी बात रख रहे थे, तो अधिवक्ता जय अनंत देहाद्राई, जिनके खिलाफ भी निषेधाज्ञा मांगी गई थी, ने मामले में उनके पेश होने पर आपत्ति जताई।
देहाद्राई व्यक्तिगत रूप से पेश हुए और अदालत को बताया कि शंकरनारायणन ने कल रात उनसे संपर्क किया और कुत्ते के बदले में उनसे अपनी सीबीआई शिकायत वापस लेने को कहा। इन दलीलों के बाद, शंकरनारायण मामले से हट गए और इसलिए, मामले को 31 अक्टूबर के लिए स्थगित कर दिया गया।