सीबीआई में मचे घमासान के बीच कांग्रेस ने भाजपा और केंद्र सरकार पर हमला बोला है। कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा है कि सीबीआई डायरेक्टर को कमेटी ने चुना है, जिसे इस तरह नहीं हटाया जा सकता। सरकार को हटाने से पहले यह मामला कमेटी के पास लाना चाहिए था।
गुरुवार को एक प्रेस कांफ्रेंस में सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कांग्रेस नेता खड़गे ने कहा कि एक ऐसी कमेटी, जिसके पीएम अध्यक्ष हैं और सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश तथ्ाा नेता विपक्ष इसके सदस्य हैं, ने सीबीआई चीफ को नियुक्ति दी है, लेकिन सरकार ने उन्हें हटाते समय कमेटी से पूछा तक नहीं। उन्होंने कहा कि सीवीसी को भी दबाव में लाया गया होगा। वो पहली बार टीवी पर आकर सफाई दे रहे हैं। पीएम को शुरू से देखना चाहिए था। सीबीआई, ईडी समेत हर स्वायत्त संस्था में सरकार का हस्तक्षेप है।
घोटालों के कारण सरकार को नहीं आ रही नींद
खड़गे ने कहा कि सरकार ने इस केस में अपनी मनमर्जी की है। सरकार को अपने घोटालों की वजह से नींद नहीं आ रही थी। उन्होंने रात में ही सीबीआई का खेल कर दिया। सरकार को गुस्सा आया कि सीबीआई चीफ राफेल घोटाले की शिकायत करने आए लोगों से क्यों मिले। आलोक वर्मा ने अरुण शौरी, प्रशांत भूषण का मेमोरेंडम सरकार से बिना पूछे क्यों लिया। अब वर्मा को इसी का खामियाजा भुगतना पड़ रहा है।
जासूसी से दिख रही है सरकार की बौखलाहट
कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि सरकार ने अब अपनी जांच एजेंसी की जासूसी करनी शुरू कर दी है। सुबह आईबी के चार आदमी पीएम के निर्देश पर वर्मा के घर के बाहर जासूसी करते पकड़े गए हैं। रफेलोमेनिया का भय, बौखलाहट इतनी बढ़ गयी है कि मोदी सरकार अपनी ही सीबीआई की जासूसी कर रही है। सरकार छटपटा रही है, रात भर नींद नहीं आ रही है।
नवनियुक्त अंतरिम निदेशक रहे हैं संदिग्ध
उन्होंने कहा कि रात में सरकार को जो अंतरिम निदेशक नागेश्वर राव मिले, वह भी संदिग्ध निकले। उनके ऊपर सीनियर अफसर मौजूद हैं लेकिन उन्हें अंतरिम निदेशक नहीं बनाया। वरिष्ठ अफसर आरके दत्ता, जिनके पास सीबीआई में 208 माह तक काम करने का अनुभव है। वे जांच एजेंसी में विशेष निदेशक रहे हैं। उन्हें निदेशक क्यों नहीं बनाया गया, उनसे जूनियर अफसर को अंतरिम निदेशक बना दिया गया।
सरकार ने खेली है राजनीति
सिंघवी ने कहा कि क्या सरकार नहीं जानती कि नवनियुक्त अंतरिम निदेशक संदिग्ध हैं, क्या सरकार ने अपने गलत कारनामे करवाने के लिये फिर से राजनीति खेली है। ये वही राव साहब हैं जिनके विरुद्ध वर्दी खरीद में 3 करोड़ के घोटाले का आरोप है। 2015 में इनके खिलाफ एक अफसर ढिल्लों ने लिखित में कहा था कि ये संदिग्ध व्यक्ति हैं इन्हें सीबीआई में नियुक्त नहीं किया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि वीएनजी स्कैम की जांच चेन्नई जोन में सीबीआई की एंटी करप्शन ब्रांच को सौंपी गई थी। दो साल बाद भी आरोपियों के घरों, वीजीएन डेवलपर और एचटीएल के दफ्तरों पर सर्च करने में सीबीआई फेल रही। आरोप है कि नागेश्वर राव ने सीबीआई टीम को सर्च करने का निर्णय नहीं लेने दिया और न ही मार्गदर्शन किया।