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छत्तीसगढ़: कई विधायकों ने डाला दिल्ली में डेरा, बघेल बनाम सिंहदेव की लड़ाई में जल्द फैसले की उम्मीद

पंजाब सरकार में नेतृत्व परिवर्तन के बाद अब छत्तीसगढ़ में भी बघेल बनाम सिंहदेव की सियासी जंग तेज हो गई...
छत्तीसगढ़: कई विधायकों ने डाला दिल्ली में डेरा, बघेल बनाम सिंहदेव की लड़ाई में जल्द फैसले की उम्मीद

पंजाब सरकार में नेतृत्व परिवर्तन के बाद अब छत्तीसगढ़ में भी बघेल बनाम सिंहदेव की सियासी जंग तेज हो गई है। प्रदेश में मुख्यमंत्री परिवर्तन की संभावना की अटकलों के बीच सीएम भूपेश बघेल के करीबी माने जाने वाले कांग्रेस के लगभग 20 विधायक दिल्ली में डेरा डाले हुए हैं, जिसे कई लोग शक्ति प्रदर्शन के तौर पर देख रहे हैं। हालांकि रायपुर में मुख्यमंत्री बघेल ने कहा कि कांग्रेस विधायकों के दिल्ली दौरे को सियासी चश्मे से नहीं देखा जाना चाहिए।

शनिवार को विधायकों के दिल्ली दौरे के बारे में पूछे जाने पर मुख्यमंत्री बघेल ने कहा कि विधायकों के कहीं जाने पर कोई रोक नहीं है और वे इसके लिए आजाद हैं। उन्होंने कहा कि यह कोई राजनीतिक गतिविधि नहीं है, वे दौरा करेंगे और जल्द लौटेंगे।"

बघेल की यह टिप्पणी छत्तीसगढ़ में नेतृत्व परिवर्तन की संभावना पर अटकलों के बीच आई है। दरअसल, कैबिनेट मंत्री टीएस सिंहदेव मुख्यमंत्री पद के लिए होड़ में हैं।

वहीं दिल्ली में डेरा डाले विधायक बृहस्पत सिंह ने शनिवार को एक बार फिर कहा कि प्रदेश में नेतृत्व परिवर्तन का कोई प्रश्न ही नहीं है और राज्य सरकार बघेल के नेतृत्व में अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा करेगी। उन्होंने आगे कहा कि दिल्ली में उपस्थित विधायकों ने गांधी जयंती के मौके पर राजघाट जाकर महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि दी। रामानुजगंज सीट से कांग्रेस विधायक सिंह ने कहा, "हम यहां छत्तीसगढ़ के पार्टी प्रभारी पीएल पुनिया से मिलने के लिए आए हैं और उनकी प्रतीक्षा कर रहे हैं। जबकि इससेपहले पुनिया ने गुरुवार को कहा था कि वह लखनऊ में हैं और उन्हें विधायकों के दिल्ली में होने की कोई जानकारी नहीं है क्योंकि उनमें से किसी ने भी उनसे संपर्क नहीं किया है।

सूत्रों के अनुसार अब तक लगभग 20 विधायक दिल्ली पहुंच चुके हैं और कुछ और विधायकों के राष्ट्रीय राजधानी आने की उम्मीद है।

आलाकमान को भरोसा या कुछ और...

इस बीच, कांग्रेस ने अगले साल होने वाले यूपी विधानसभा चुनावों के लिए बघेल को वरिष्ठ पर्यवेक्षक नियुक्त किया। बघेल समर्थक इसे सकारात्मक संकेत के रूप में देख रहे हैं। बघेल का समर्थन करने वाले एक विधायक के मुताबिक मुख्यमंत्री बघेल के नेतृत्व में विकास के मामले में छत्तीसगढ़ देश के अग्रणी राज्यों में से एक है। यही वजह है कि पार्टी आलाकमान को उन पर पूरा यकीन है।


पंजाब के बाद छत्तीसगढ़ की बारी...


पंजाब में मुख्यमंत्री बदलने के बाद छत्तीसगढ़ की राजनीतिक फिजा में भी कुछ अलग किस्म की हवा बह रही है। मंत्री टीएस सिंहदेव पंजाब की तर्ज पर छत्तीसगढ़ में भी बदलाव की बाट जोह रहे हैं। लेकिन रायपुर में बघेल ने जोर देकर कहा कि उनका राज्य कभी पंजाब नहीं बन सकता है। उन्होंने कहा कि दोनों राज्यों में केवल एक समानता है - उनके नाम में संख्याएं हैं। बघेल ने कहा, "छत्तीसगढ़ हमेशा छत्तीसगढ़ रहेगा। यह पंजाब नहीं बन सकता। दोनों राज्यों में केवल एक समानता है कि दोनों के नाम में नंबर हैं।" दरअसल, "पंजाब 'पंज' (पांच) 'आब' (पानी) की भूमि है। यह पांच नदियों से बना है। इसी तरह, छत्तीसगढ़ का अर्थ 'छत्तीस' (छत्तीस) 'गढ़' (किला) से है। उन्होंने कहा कि किसी अन्य राज्य के नाम में संख्या नहीं है। दोनों राज्यों के बीच कोई अन्य समानता नहीं है।"

इससे पहले पिछले दिनों सिंहदेव ने रायपुर एयरपोर्ट में कहा था, "पंजाब में किसी ने नही सोचा था कि ऐसी स्थिति आएगी और स्थिति आ गई। कई कारण होते हैं उसे देखकर हाईकमान निर्णय लेता है।"

आलाकमान को फिर से साध पाएंगे भूपेश?

बता दें कि जून 2021 में मुख्यमंत्री के रूप में बघेल के ढाई साल पूरे होने के बाद छत्तीसगढ़ में नेतृत्व परिवर्तन की मांग तेज हो गई। कैबिनेट मंत्री टीएस सिंहदेव के खेमे ने दावा किया है कि 2018 में आलाकमान ने सरकार के अपना आधा कार्यकाल पूरा करने के बाद उन्हें पद सौंपने पर सहमति व्यक्त की थी।

कांग्रेस आलाकमान ने विवाद को सुलझाने के लिए अगस्त में बघेल और सिंहदेव दोनों को दिल्ली भी बुलाया था। लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि तब बघेल फैसले को टलवाने में कामयाब हो गए थे। अब एक बार फिर सियासी गतिरोध में आई तेजी के बाद वे आलाकमान को साध पाते हैं या नहीं इस पर सबकी निगाहें हैं।

 

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