“मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री 2023 के विधानसभा चुनावों की चुनौतियों से निपटने के लिए सहानुभूति बटोरने की डगर पर”
मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में लगभग 12 महीने का समय बाकी है, मगर इन दिनों दोनों राज्यों के मुख्यमंत्री अलग ही अंदाज में नजर आ रहे हैं। कभी कोई भरी सभा में जिला कलेक्टर पर गरज जाता है, तो कभी कोई अपने निवास पर बैठक के दौरान अधिकारियों पर बरस जाता है। और हो भी क्यों न, जब चुनाव दोनों मुख्यमंत्रियों के राजनीतिक करियर के लिए महत्वपूर्ण माने जा रहे हैं। इसके संकेत दोनों के भाषणों में धड़ल्ले से मिल जाते हैं। खासकर हाल के दिनों में शिवराज सिंह चौहान और भूपेश बघेल का एक जैसा अंदाज अगले चुनाव को लेकर उनकी बेचैनी को साफ दिखा रहा है।
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने झाबुआ जिले के पेटलावद में चुनावी (राज्य में पिछले पखवाड़े 18 जिलों के 46 नगरीय निकायों के चुनाव सम्पन्न हुए) सभा में कहा, ‘‘जनता मेरी भगवान है और भांजे-भांजी भी, जनता का अपमान करने वाले किसी अधिकारी को बर्दाश्त नहीं करूंगा और इसीलिए मैंने तत्काल एसपी को निलंबित कर दिया है।’’ चौहान झाबुआ जिले के एसपी अरविंद तिवारी को सस्पेंड का जिक्र कर रहे थे। इसके पीछे किस्सा यह है कि तिवारी ने मदद मांगने पहुंचे पॉलिटेक्निक कॉलेज के आदिवासी छात्र से फोन पर गाली-गलौज कर दी थी। छात्रों ने इस रिकॉर्डिंग को सोशल मीडिया में उछाल दिया, जिसके कुछ ही घंटों बाद तिवारी की जिले से छुट्टी कर दी गई।
कुछ ऐसा ही माजरा देखने में आया चौहान के डिंडौरी जिले के दौरे में। वहां वे मंच से ही जिला कलेक्टर पर बरस पड़े। लोगों की शिकायत के पहले ही कह दिया कि अगर वे नहीं संभले तो जिले से 31 अक्टूबर को उनकी रवानगी तय है। चौहान ने मंच से ही कलेक्टर रत्नाकर झा को सुनाया, ‘‘कलेक्टर भी सुन लें, हिले-हवाले से काम नहीं चलेगा। नौकरी जनता की सेवा के लिए कर रहे हैं, उसके अपमान के लिए नहीं। किसी ने जनता का अपमान किया तो किसी को नौकरी करने लायक नहीं छोडूंगा। 31 अक्टूबर तक शिविर लगाए जाएं। सभी योग्य लोगों को योजना का लाभ दिया जाए। अगर 31 अक्टूबर के बाद जिले में कोई भी योग्य व्यक्ति बचा तो फिर मैं आपको भी नहीं छोड़ूंगा।’’ फिर, अचानक बोले, ‘‘जनवरी से लेकर सितंबर तक उज्ज्वला योजना का टारगेट पूरा नहीं कर पाए, क्या समस्या थी? सितंबर तक 70 हजार उज्ज्वला योजना के कार्ड नहीं बन पाए। ये लापरवाही ठीक नहीं, जाओ सस्पेंड।’’
इस बीच, मुख्यमंत्री के हिनौता ग्राम में सभा-स्थल से रवाना होते ही टी.आर. अहिरवार के सस्पेंशन ऑर्डर की प्रति निकल गई और कलेक्टर रत्नाकर झा तमाम योजनाओं के क्रियान्वन, उनकी प्रगति की जानकारी और योजनाओ के फीडबैक लेने में मशगूल हो गए। इस घटना के लगभग 48 घंटे बाद (24 अक्टूबर को) जो कुछ भी हुआ, वह तो और भी चौंकाने वाला था। बुरहानपुर जिले के नेपानगर की चुनावी सभा में चौहान कलेक्टर प्रवीण सिंह की तारीफ करते पाए गए। उन्होंने कहा, ‘‘बुरहानपुर कलेक्टर बहुत ही व्यवस्थित काम करते हैं। जो काम मैं देता हूं, प्रदेश में बुरहानपुर जिला अग्रणी रहता है। उसका मुझे आनंद और प्रसन्नता है। जिले में अमृत सरोवर के निर्माण से लेकर घर-घर पानी पहुंचाने तक उन्होंने उत्कृष्ट कार्य किया है।’’
दरअसल, सभा में मुख्यमंत्री की बातें सुन रही जनता और बाहर बैठे जानकारों का मानना है कि शिवराज सिंह के इस अलग अंदाज से उन्हें भाजपा, उनके मंत्रीगण, विधायक, और अन्य जन प्रतिनिधियों के खिलाफ ठांठे मार रही सत्ता-विरोधी लहर से पार पाने में काफी मदद मिल पाएगी। वैसे भी, भाजपा और खासकर चौहान के लिए 2023 का विधानसभा चुनाव चुनौतियों से भरा पड़ा है। पहली चुनौती तो यह है कि इस चुनाव में भाजपा और चौहान कांग्रेस से 2018 के चुनाव का बदला लें, जब उसे मामूली नुकसान से सत्ता गंवानी पड़ी थी। उसके बाद 2020 के सत्ता परिवर्तन के घटनाक्रम के कारण लोगों की धारणा में बनी दागदार छवि से कैसे निजात पाई जाए।
इन सभी दांवपेंच के बीच, जानकारों का मानना है कि सबसे बड़ी चुनौती तो लोगों से संवाद कायम करने की है। जाहिर है, जो तमाम तरह के रंग बिखेर पाने में कामयाब होगा, सेहरा भी उसी के सिर बंधेगा। शायद यही वजह है कि आजकल हर सभा और बैठकों में शिवराज अपने अलग अंदाज से संवाद स्थापित करते नजर आ रहे हैं। जो भी हो, भोपाल से लेकर दिल्ली तक सत्ता गलियारों में यह चर्चा जरूर है कि आखिर भाजपा के इतिहास में सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री रहे चौहान के गरम-नरम अंदाज की वजह क्या है।
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल
यह अलग अंदाज सिर्फ मध्य प्रदेश तक सीमित नहीं है, इसकी झलक पड़ोसी राज्य छत्तीसगढ़ में भी दिखाई दे रही है। बतौर मुख्यमंत्री पहली बार जनता के बीच पहुंच रहे भूपेश बघेल एक अलग ही पटकथा रचते नजर आ रहे हैं। अपने निवास पर लोक निर्माण विभाग और सड़क निर्माण से जुड़े अफसरों की समीक्षा बैठक में उन्होंने जिम्मेदार अधिकारियों की जमकर क्लास ली। पहले तो एक-एक सड़क का ब्यौरा लिया। फिर जिन सड़कों की अधिक शिकायत है, उसके जिम्मेदार अफसरों से वजह पूछी। उसके बाद विभागीय सचिव से उसकी तस्दीक कराई। फिर मौजूद अफसरों की फटकार लगा दी।
मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘पूरा सोशल मीडिया सड़क के मुद्दों से भरा पड़ा है। भेंट-मुलाकात में खराब सड़कों के बारे में लगातार शिकायत मिली है। यह स्थिति किसी भी लिहाज से ठीक नहीं है। एक-एक इलाके का फीडबैक आ रहा है। पैसा मंजूर होने के बाद भी आप लोग सड़क नहीं बनवा पाए। यहां आपको तो कोई नहीं जानता लेकिन लोग तो हमसे पूछेंगे।’’
इस वाकये से कुछ दिन पहले ही छत्तीसगढ़ सरकार ने सड़कों के खराब हो जाने की शिकायतों के चलते प्रमुख अभियंता वी.के. भतपहरी को चलता कर दिया था। उसके कुछ दिन बाद, मुख्यमंत्री भूपेश बघेल बालोद जिले के गुंडरदेही विधानसभा क्षेत्र में ग्राम जेवरतला में एक भेंट-मुलाकात कार्यक्रम में पहुंचे। उस दौरान पिनकापार की बारहवीं की छात्रा हर्षिता यादव ने मुख्यमंत्री से शिकायत की और बताया कि प्राचार्या का व्यवहार बच्चों से ठीक नहीं है। छात्राओं की शिकायत पर अपनी अनोखी मुस्कराहट को छात्रों के सामने बिखेरते हुए बघेल ने शासकीय उच्चतर माध्यमिक शाला, पिनकापार की प्राचार्य संगीता खोब्रागड़े को निलंबित करने के निर्देश जारी कर दिए।
जानकारों का मानना है कि बघेल के इस अंदाज की वजह लोगों की सहानुभूति हासिल करके अगली चुनावी फसल काटने की उम्मीद है। यूं तो नेता अपने अलग-अलग अंदाज के लिए किसी वजह के मोहताज नहीं होते, मगर 2023 के चुनाव के पहले चौहान और बघेल की अलग छाप जरूर दिखने लगी है।