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क्या BJP और रुपये में लगी है होड़, कौन कितना नीचे गिर सकता है: कांग्रेस का मोदी से सवाल

कांग्रेस ने रूपये की गिरती कीमत को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा है। कांग्रेस ने पीएम...
क्या BJP और रुपये में लगी है होड़, कौन कितना नीचे गिर सकता है: कांग्रेस का मोदी से सवाल

कांग्रेस ने रूपये की गिरती कीमत को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा है। कांग्रेस ने पीएम से सवाल किया है कि ‘क्या भाजपा और रुपये में होड़ लगी है कि कौन कितना जल्दी कितना नीचे गिर सकता है?’

कांग्रेस प्रवक्ता मनीष तिवारी ने एक प्रेस कांफ्रेस में प्रधानमंत्री के 23 जनवरी 2013 में किए गए ट्वीट पर पलटवार किया है जिसमें पीएम ने कहा था कि कांग्रेस और रुपये में होड़ लगी है कि कौन कितना नीचे गिर सकता है। कांग्रेस नेता ने कहा कि आज रुपया काफी नीचे गिए गया है।  साफ है कि आज भाजपा और रुपये में गिरने की होड़ लगी है।

कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि आज रुपये की कीमत गिर रही है और प्रधानमंत्री अपना गौरव खो रहे हैं। जैसे इस देश में आज तक किसी को नहीं मालूम कि देश का वित्त मंत्री कौन है। ठीक उसी तरह आज अर्थव्यवस्था की हालत बिना पतवार के बोट वाली हो गई है। आज देश की अर्थव्यवस्था तबाह हो रही है, अस्त-व्यस्त हो रही है। इसका देश पर बहुत बुरा असर पड़ेगा और लोग सरकार को कतई माफ नहीं करेंगे।

सट्टेबाजी को कानूनी अमला पहुंचाने की कवायद पर उन्होंने कहा कि बिना सामाजिक प्रभावों को जाने सरकार इस तरह के कदम उठा रही है। खेलों में सट्टेबाजी को वैधता देकर क्या भाजपा सरकार देश की हर पान की दुकान को जुए के अड्डे में बदलना चाहती है। अगर इन सिफारिशों को लागू होने दिया तो इस देश की हर पान की दुकान जुए ंका अड्डा बनेगी। कांग्रेस साफ कर देना चाहती है कि इस देश में लॉटरी पर अधिकतर राज्यों में इसलिये रोक लगायी गयी कि इसके सामाजिक परिणामों से हम हरगिज इत्तेफाक नहीं रखते। सरकार की दिलचस्पी इस चीज में है कि खेल में जुए को किस तरह से अमली जामा पहनाया जाये।

उन्होंने कहा कि 27 लोगों को अलग-अलग राज्यों में बर्बरता से मारा जाये, तो ये सामाजिक अस्थिरता का सबसे बड़ा प्रमाण है। इसका कारण साफ है कि सामाजिक अस्थिरता और विकास साथ-साथ नहीं चलते।

 

कांग्रेस नेता ने कहा कि प्रधानमंत्री ने ईपीएफओ आंकड़ों के आधार पर कहा है कि वर्ष 2017-18 में लगभग 70 लाख नयी नौकरियां पैदा की गयीं, जबकि ईपीएफओ द्वारा जारी संशोधित आंकड़ों के मुताबिक सितंबर 2017 से मार्च 2018 के आंकड़ों में 5 लाख का फर्क है। जिन आंकड़ों का प्रधानमंत्री हवाला दे रहे थे या तो वो गलत है या फिर देश में बेरोजगारी बढ़ी है। ये अत्यंत ही चिंता का विषय है कि नये आंकड़े, पुराने आंकड़ों से 12.58 प्रतिशत कम है।

 

 

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