पश्चिम बंगाल के अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव कांग्रेस (Congress) और वाम दल मिलकर लड़ेंगे। कांग्रेस ने गुरुवार को औपचारिक रूप से इसकी घोषणा की।
पश्चिम बंगाल कांग्रेस के अध्यक्ष तथा लोकसभा में पार्टी के नेता अधीर रंजन चौधरी ने गुरुवार को यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा कि इस बारे में पार्टी नेतृत्व ने फैसला ले लिया है और राज्य में विधानसभा चुनाव के लिए वाम दलों के साथ 2016 के विधानसभा चुनाव की तर्ज पर इस बार भी चुनावी गठबंधन किया गया है।
उन्होंने कहा कि यह गठबंघन सत्तारूढ तृणमूल कांग्रेस के खिलाफ है। उनका कहना था कि वाम दल तथा कांग्रेस बंगाल की जमीन पर धर्म निरपेक्षता को कायम रखने के लिए कटिबद्ध हैं और वहां जो भी सांप्रदायिकता को फैलाने का काम करेंगे उन्हें उठाकर फेंक दिया जाएगा। उन्होंने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर आरोप लगाया कि भारतीय जनता पार्टी ममता बनर्जी के कारण पश्चिम बंगाल में पैर जमाने में कामयाब हुई और उसको यह मौका खुद तृणमूल कांग्रेस की नीतियों ने दिया है।
वामदलों के साथ सीटों के बंटवारे संबंधी एक सवाल पर उन्होंने कहा कि इस बारे में अभी फैसला नहीं लिया गया है। फिलहाल वहां यह गठबंधन सत्तारूढ दल के खिलाफ किया गया है। उनका यह भी कहना था कि मुख्यमंत्र कौन होगा इस बारे में भी बाद में फैसला लिया जाएगा।
उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को कुछ सीटों पर जीत मिली थी लेकिन विधानसभा में स्थिति अलग है। लोकसभा का चुनाव राष्ट्रीय मुद्दों पर लड़ा जाता है लेकिन इस समय विधानसभा चुनाव है और इसमें स्थानीय मुद्दा प्रमुख होते है। भाजपा का 200 सीटें जीतने का बयान महज एक कल्पना बताते हुए उन्होंने कहा कि भाजपा के मंसूबे को पूरा नहीं होने दिया जाएगा।
तमिलनाडु, केरल, असम और पुडुचेरी के साथ पश्चिम बंगाल में अगले साल मार्च-अप्रैल में चुनाव होंगे। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) की केंद्रीय समिति ने अक्टूबर में पश्चिम बंगाल इकाई के फैसले को मंजूरी दी थी, जिसमें आगामी विधानसभा चुनावों में कांग्रेस सहित सभी धर्मनिरपेक्ष दलों के साथ चुनावी समझ होगी।